WHO के अनुसार, ध्रूमपान करना कोरोना संक्रमण की स्थिति को बना सकता है और भी ज्यादा खतरनाक
डब्ल्यूएचओ (WHO) की मानें तो स्मोकिंग करके अपने फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों में कोविड की गंभीरता और इससे मौत का जोखिम 50 परसेंट ज्यादा होता है। दुनिया की पूरी आबादी में तकरीबन 40 परसेंट पुरुष और 10 परसेंट महिलाएं कई तरीकों से तंबाकू का सेवन करते हैं।
जैसे-जैसे साल आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे कोरोना वायरस की भी डेवलपमेंट हो रही है। जांचें और वैक्सीन लगाने का सिलसिला चल रहा है लेकिन फिर भी अभी तक इस पर पूरी तरह से कंट्रोल नहीं किया जा सका है। हर थोड़े वक्त बाद नए म्यूटेंट का मिलने से यह कह पाना मुश्किल है कि इसका प्रकोप अभी और कितने दिनों तक रहने वाला है। एक्सपर्ट्स के अलावा इंटरनेट, टीवी, समाचार पत्रों के माध्यम से भी यही बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों को थामने के लिए अपने फेफोड़ों को दुरुस्त रखना बेहद जरूरी है। डब्ल्यूएचओ (WHO) की मानें तो स्मोकिंग करके अपने फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों में कोविड की गंभीरता और इससे मौत का जोखिम 50 परसेंट ज्यादा होता है।
छोड़ना ही होगा धूम्रपान
डब्लूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने 28 मई को जारी एक रिलीज में कहा कि स्मोकिंग करने वालों में कोरोना की गंभीरता और इससे मौत होने का जोखिम 50 परसेंट तक ज्यादा होता है, इसलिए कोरोनावायरस के जोखिम को कम करने के लिए स्मोकिंग छोड़ देने में ही भलाई है। स्मोकिंग की वजह से कैंसर, दिल की बीमारी और सांस की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। गौरतलब है कि दुनिया की पूरी आबादी में तकरीबन 40 परसेंट पुरुष और 10 परसेंट महिलाएं किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं। यूरोप में सबसे ज्यादा स्मोकिंग दर 26 परसेंट से ऊपर पाई जाती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
पल्मो केयर-द चेस्ट स्पेशियल्टी के डॉ. अनुकूल जैन ने कहा, स्मोकिंग जैसे रिस्क फैक्टर के संपर्क में जितना जल्दी आते हैं, फेफड़ों को उतना ही ज्यादा नुकसान होता है। स्मोकिंग करते रहने से फेफड़ों की स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है। ऑन्कोलॉजी डॉक्टर शिल्पी शर्मा ने बताया कि जो लोग ध्रूमपान करते हैं उन्हें महामारी को इस लत को छोड़ने के एक और कारण मानना चाहिए। उन्हें फेफड़ों को इस धीमे जहर से बचाने की कोशिश करनी चाहिए।
Pic credit- freepik