Asian Tiger Mosquito: कोमा में पहुंचाने के साथ जान भी ले सकता है एशियन टाइगर मच्छर, काटने से होते हैं ये 5 रोग
Asian Tiger Mosquito जंगल के मच्छर के तौर पर जाने जाने वाला एशियन टाइगर मच्छर का काटना घातक साबित हो सकता है। इसके काटने से 5 तरह की जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। तो आइए जानें इस मच्छर और इससे होने वाली बीमारियों के बारे में।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Asian Tiger Mosquito: एशियन टाइगर मच्छर को एडीस एल्बोपिक्टस भी कहा जाता है। यह मच्छर आक्रामक होने के साथ दिन में काटता है। आमतौर पर मनुष्यों के खून पर ज़िंदा रहता है और कभी-कभी कुछ जानवरों पर। इसका काटना इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इन्हें जंगल का मच्छर भी कहते हैं, जो मूल रूप से दक्षिण पूर्व एशिया से हैं, लेकिन अब यूरोपीय देशों और अमेरिका में भी फैल गए हैं।
डेली स्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मच्छर के काटने से जर्मनी में रहने वाले 27 वर्षीय व्यक्ति कोमा में चला गया। सिर्फ इतना ही नहीं उसकी पैरों की दो उंगलियों को काटना पड़ा और उसकी 30 सर्जरी करनी पड़ीं। रिपोरिट के मुताबिक, मच्छर के काटने से एक घातक जीवाणु पैदा हुआ जो उसकी बाईं जांघ के लगभग आधे हिस्से को खा गया। इसकी वजह से हुए घाव को भरने के लिए मरीज़ को स्किन ट्रांसप्लांट से गुज़रना पड़ा। ऐसे में एशियन टाइगर मच्छर के बारे में जानना और ज़रूरी हो गया है। यह मच्छर भारत में भी पाया जाता है और कईगंभीर बीमारियों की वजह बनता है।
एशियन टाइगर मच्छर बन सकता है इन 5 जानलेवा बीमारियों का कारण
1. डेंगू
एडीस एजिप्टी के बाद एडीस एल्बोपिक्टस भारत में डेंगू बुखार का कारण बनता है, खासतौर पर उत्तर पूर्वी राज्यों और ग्रामीण क्षेत्रों में। यह डेंगू के गंभीर बुखार का कारण बनता है, जैसे डेंगू शॉक सिंड्रोम। जिसमें शॉक, ब्लीडिंग, मेटाबॉलिक एसीडॉसिस जैसे लक्षण दिखते हैं।
2. चिकनगुनिया
यह बीमारी मरीज़ को कमज़ोर ज़रूर बना देती है, लेकिन यह जानलेवा नहीं है। यह भी एक वायरल बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है। यह डेंगू बुखार की तरह ही होती है। जो लोगों में एडीस एजिप्टी और एडीस एल्बोपिक्टस प्रजाती के मच्छरों के काटने से फैलता है। इसमें डेंगू की तरह जोड़ों में दर्द आम है। चिकनगुनिया, अफ्रीका, भारत और दक्षिणपूर्वी एशिया में ज़्यादा देखा जाता है।
3. वेस्ट नाइल बुखार
इस संक्रमण में मरीज़ को बुखार के साथ सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, रैशेज़, गर्दन में अकड़न, उल्टी जैसे लक्षण परेशान करते हैं। इस बीमारी का गंभीर रूप है, वेस्ट नाइल इंसेफेलाइटिस, जो दिमाग को प्रभावित कर सकता है। इसमें कंफ्यूज़न, थकावट, दौरे पड़ना, लोकल पेरेस्टेसिया जैसे लक्षण शामिल हैं। इस बीमारी से मरीज़ की जान भी जा सकती है।
4. ईस्टर्न इक्वाइन इन्सेफेलाइटिस
EEE आर्थ्रोपोड जनित अल्फावायरस की वजह से होती है, जो मनुष्यों में कम देखा जाता है, लेकिन घोड़ों में जानलेवा साबित होता है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिर दर्द और कुछ मामलों में दस्त के साथ पेट दर्द की शिकायत देखी जाती है। यह लक्षण तेज़ी से कंफ्यूज़न, तेज़ नींद आने जैसा महसूस होना और यहां तक कि कोमा में बदल जाते हैं। EEE अमेरिका, मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका का उत्तरी कोस्ट, कैरिबियन देशों में ज़्यादा देखा जाता है।
इस बीमारी की चपेट में आने से 16 से 20 दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। संक्रमित रोगियों की हालत अक्सर बेहद खराब होती है, 50 से 70 फीसदी मामलों में मरीज़ की मौत हो जाती है। 10 प्रतिशत मरीज़ पूरी तरह के रिकवर हो पाते हैं।
5. ज़ीका वायरस
यह वायरस आमतौर पर हल्का देखा जाता है। हालांकि, यह यौन संबंध के ज़रिए फैल सकता है। इसके अलावा अगर गर्भवती महिला पहले तीन महीने में इस संक्रमित हो जाती है, तो इससे बच्चे में दिमाग का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता। एडीस एजिप्टी और एडीस एल्बोपिक्टस दोनों ही ज़ीका वायरस का कारण बन सकते हैं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।