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Yoga For Spinal Cord: ये 4 योग आसन बनाएंगे आपकी रीढ़ को लचीला और मज़बूत

Yoga For Spinal Cord रीढ़ शरीर का सारा भार अपने ऊपर उठाते हुए यह हमें चलने लायक बनाती है। यह नसों और नसों की जड़ों की भी रक्षा करती है। उम्र के साथ रीढ़ में समस्याएं आने लगती हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 05:09 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 05:09 PM (IST)
Yoga For Spinal Cord: ये 4 योग आसन बनाएंगे आपकी रीढ़ को लचीला और मज़बूत
रीढ़ सारा भार अपने ऊपर उठाते हुए यह हमें चलने लायक बनाती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Yoga For Spinal Cord: योग करने से आप अपनी रीढ़ को स्वस्थ बना सकते हैं और उम्र से सम्बंधित दर्द और ऐठन को दूर भी कर सकते हैं। ये आसन ऐसे बनाए गए हैं कि यह आपकी चलने-फिरने की ज़रूरत को भी पूरा करेंगे, आपको मज़बूती प्रदान करेंगे और आपको उर्जावान बनाए रखेंगे। मानव की रीढ़ की बनावट बहुत कॉम्प्लेक्स (जटिल) होती है, इसमें हड्डियां, मांस, टेंडनन्स (कंडरा), लिगामेंट (स्नायुबंधन), और नसें एक साथ बंधी हुई होती हैं। रीढ़ शरीर को स्ट्रक्चर (संरचना) और ताकत प्रदान करती है। हमें सीधे खड़े होने की शक्ति देती है। यह लचीली होती है, जिससे हम कई पोजीशन में चल पाने में समर्थ होते हैं। यह शरीर के लिए शॉक एब्जोर्बर के रूप में काम करती है।   

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रीढ़ सारा भार अपने ऊपर उठाते हुए यह हमें चलने लायक बनाती है। यह नसों और नसों की जड़ों की भी रक्षा करती है। उम्र के साथ रीढ़ में समस्याएं आने लगती हैं। इस समस्या को लोग तब तक महसूस नहीं करते जब तक यह दर्द नहीं देने लगती हैं। अगर रीढ़ में आगे होने वाली समस्या से छुटकारा चाहते हैं, तो इसका ख्याल हमें दिन की डेली रूटीन में रखना चाहिए। आइए कुछ ऐसे योग के आसानों पर नज़र डालते हैं जो न केवल हमारी रीढ़ की सुरक्षा करेंगे बल्कि रीढ़ के काम करने में भी सुधार करेंगे।

शलभासन : इस आसन से कोर और पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह आसन बहुत आसान होता है इसे कोई भी कर सकता है।  अपने पेट के बल लेट जाएं, अपनी ठुड्डी को नीचे चटाई पर लगाये रखें और हथेली अपनी जांघ के नीचे रखें। हथेली को ऊपर करें, सांस लेते हुए पैर को उठाएं, इन्हें तब तक फैलाते रहें जब तक आप यह न महसूस करने लगे कि आपकी पीठ पर जोर पड़ रहा है। 10 बार सांस लेने तक इसी आसन में बने रहे और फिर धीरे-धीरे नीचे आयें। अगर आपको हर्निया, अल्सर या हार्ट अलाइनमेंट हैं, तो इस आसन को न करें।

उर्ध्व मुख स्वसना: कुत्ते की मुद्रा में ऊपर देखते हुए, यह पीठ को झुकाने की सबसे महत्वपूर्ण योग आसन होता है। इस आसन को हर रोज करें। यह आपके छाती को फैलाता है, फेफड़ों को खोलता है और रीढ़ की, कंधे और बाहों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। अपने पेट के बल लेट जाएं और अपनी हथेलियों को रिबकेज के साथ लगाएं। आपका कन्धा आपकी कलाई के ठीक ऊपर लगा होना चाहिए। अपने धड़ को ऊपर उठाएं ताकि केवल आपकी हथेलियां और आपका पैर जमीन को छुएं। अपने पैरों को जोड़ें और अपने शोल्डर ब्लेड को कस लें। आपकी गर्दन आपकी रीढ़ से जुड़ी होनी चाहिए। सामने देखें और दस सांसों तक इसी कंडीशन में रहे। सांस छोड़ते और धीरे से जमीन पर आयें।

धनुरासन: इस आसन को करते रहने से आपकी छाती खुलती है और धड़ को फैलाने में मदद मिलती है। यह पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, पोश्चर में सुधार करता है और पीठ दर्द से राहत देने में मदद करता है। अपने पेट के बल लेट जाएं और अपनी एड़ियों को अपने हाथों से पकड़ें। सांस लेते हुए जांघों को ऊपर उठाएं। इसके साथ ही सिर, छाती और पेट को ऊपर उठाएं और ऊपर देखें। पेट के निचले हिस्से पर शरीर को स्थिर करें। सामान्य रूप से सांस लेते हुए इस पोजीशन में रहे। अपने पैरों को पीछे खींचें ताकि बांह सीधी रहे। साँस छोड़ते हुए शरीर को चटाई पर लाएँ, अपनी टखनों को धीरे से छोड़ें अपने आप को जमीन पर वापस लाएं। हर्निया, अल्सर और हार्ट की समस्याओं वाले व्यक्ति इस आसन को करने से बचें।

चक्रासन:  इस फुल-व्हील पोज़ की प्रैक्टिस करने से छाती को खोलने में मदद मिलती हैए हिप फ्लेक्सर और कोर को फैलाने और रीढ़ की लचीला बनाने में मदद मिलती है। यह एक पीछे झुकने वाला आसन है जिसमे पैरए हाथए पेल्विस और कंधे का इस्तेमाल होता है। इसका प्रभाव रीढ़ और धड़ में होता है।

अपनी पीठ के बल लेट जाएं और अपने घुटनों को तब तक मोड़ें जब तक कि आपके पैर जमीन पर सपाट न हों जाए और यह आपके सिटिंग बोन के समानांतर हों। अपने हाथों की उंगलियों को कंधे की ओर किये हुए अपने कंधों के ठीक ऊपर जमीन पर रखें। अपने हाथों को नीचे दबाते हुए अपने धड़ को जमीन से उठाएं, अपने क्राउन को हल्के से आराम देते हुए जमीन पर रखें। अपने पैरों में पुश करें और अपनी हथेलियों पर सहन करने के लिए ज्यादा वजन लाएं। यह आपकी लोअर बैक को प्रोटेक्ट करने में मदद करेगा। यह सुनिश्चित करें कि आपका सिर न्यूट्रल पोजीशन में रहे ताकि आपकी गर्दन में कोई तनाव न रहे। इस पोजीशन में 10 बार सांस लेने तक बने रहे और धीरे अपनी पीठ और बांह को नीचे लायें।

 

ऊपर बताये गए आसनों की प्रैक्टिस

जब तक आप इन आसनों में मास्टर न हो जाए तब तक इसे किसी प्रशिक्षित योग गुरु के मार्गदर्शन में करें। गलत तरीके से इन आसनों की प्रैक्टिस करने से समस्या हल होने की बजाय और बढ़ सकती है। अगर आप किसी अंडरलाइंग मेडिकल कंडीशन से गुज़र रहे हैं तो इन आसनों को करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा करें।  

- डॉ राजीव राजेश द्वारा इनपुट 

(जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट, बैंगलोर के चीफ योग ऑफिसर) 


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