क्रिएटिव काम करें बच्चे
छुट्टियों में बच्चों की स्वच्छंदता कम न हो। वह कुछ क्रिएटिव करें और तेज धूप की चपेट में भी न आएं इसके लिए परिजनों को करनी होगी समर वैकेशन प्लानिंग, ताकि बच्चे ले सकें छुट्टियों का पूरा आनंद...
सुमित को फुटबाल खेलने का बहुत शौक है। सुमित सातवीं का स्टूडेंट है। छुट्टियों में उसे खेलने की पूरी आजादी मिल गई है। आजकल तो वह सुबह होते ही अपने फ्रेंड्स के साथ निकल जाता है फुटबाल खेलने। वह सुबह देर तक प्रैक्टिस करता रहता है, चाहे उसके सारे साथी धूप तेज होते ही घर चले जाएं। पापा ने उसको कई बार समझाया कि बेटा धूप में खेलने से बीमार हो सकते हो। धूप में न खेलने की हिदायत देकर दबाव बनाया तो जवाब मिला कि पूरे दिन घर में क्या करूं। वैसे भी कौन सा आप समर वैकेशन के लिए मुझे बाहर ले जाने वाले हैं। आपको तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती है। गर्मी की छुट्टियां आते ही ऐसी ही स्थिति अनेक घरों में बन जाती है।
आजकल स्कूल बंद हो चुके हैं। ऐसे में बच्चे छुट्टियों का आनंद उठाना चाहते हैं, पर उनकी छुट्टियां परिजनों की फिक्र बढ़ा देती है। बच्चे हैं कि मानते नहीं। खेल में लग जाते हैं तो यह भी भूल जाते हैं कि धूप तेज हो गई है। सभी के लिए समर ब्रेक में बच्चों को घुमाने हिल स्टेशन या किसी अन्य पर्यटन स्थल पर ले जाना संभव नहीं होता। वहीं दूसरी ओर छुट्टियों में बच्चों का देर तक खेलना आम बात है, पर उनकी सेहत का ख्याल करते हुए जब परिजन संयम बरतने का दबाव बनाते हैं तो उन्हें लगता है कि उनकी स्वच्छंदता में खलल पड़ रहा है।
समझदारी से लें काम
बाल मनोरोग चिकित्सक डॉ. मनीष निगम कहते हैं कि बड़े होते बच्चों का धूप में देर तक खेलना कोई रोग नहीं है। वे बहुत सजग होते हैं। उन्हें बाहर घुमाने न ले जा पाने में मां-बाप की असमर्थता को वे समझते हैं। स्कूल में छुट्टियां होने पर घर में बोरियत होती है, क्योंकि होमवर्क तो कुछ ही दिनों में कंप्लीट हो जाता है। ऐसे में देर तक खेलना स्वाभाविक है। बड़े होते बच्चों पर दबाव बनाना भी ठीक नहीं हैं, क्योंकि तब वे ढेरों प्रश्न करने लगेंगे। ऐसे में उनका ध्यान बांटने के लिए परिजनों का समय निकालना ही समझदारी है। बच्चों को यह समझाना होगा कि जब आपका खेलने का समय निश्चित होगा तो ही हम कहीं घूमने चलेंगे या पिकनिक की प्लानिंग करेंगे।
चीकू तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह थोड़ा शरारती है। स्कूल बंद हो गए हैं ऐसे में अब उसकी खेलकूद अधिक हो जाती है। तेज धूप में भी वह घर के कंपाउंड में बेपरवाह खेलता रहता है। वह जब थककर चूर हो जाता है, तभी उसे घर की याद आती है। मम्मी उसे धूप में न खेलने की नसीहत देती हंै। इस संबंध में अधिक दबाव बनाने पर चीकू नाराज होकर गुमसुम सा घर में कैद हो जाता है। वह रोनी सी सूरत बनाकर यह कहने लगता है कि कहीं घूमने भी नहीं ले जाते हैं। खेलता हूं तो खेलने भी नहीं देते हैं। चीकू जैसे बच्चों का इस तरह का व्यवहार नयी बात नहीं है। जब वे देखते हैं कि वैकेशन में उनके फ्रेंड्स अपने पापा-मम्मी के साथ किसी पर्यटन स्थल पर घूमने गए हैं तो वे निराश से हो जाते हैं।
बच्चों को करने दें प्लानिंग
काउंसलर व चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. रीमा सहगल के अनुसार, ‘जो बच्चे छुट्टियों के दौरान बाहर कहीं घूमने नहीं जा पाते हैं वे जब टाइमपास के लिए खेलना शुरू करते हैं तो उन्हें सिर्फ खेल में ही मजा आता है। माता-पिता को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सही रूटीन बनाना चाहिए। उसे घर में अपने साथ किसी काम में लगाकर मस्ती कराई जा सकती है। वैसे भी आजकल हर फैमिली बिजी है वैकेशन के लिए बच्चे को कुल्लू मनाली तो ले नहीं जा सकते हैं सो स्कूल की छुट्टियों से पहले ही बच्चे में वैकेशन की प्लानिंग के लिए जिज्ञासा जगाएं। उसे ही यह तय करने का मौका दें कि वह कहां जाना चाहता है। देर तक धूप में खेलने से होने वाले नुकसान के बारे में समझाएं, लेकिन दबाव न बनाएं। सच मानिए जब वह स्वयं वैकेशन प्लान की चर्चा आपसे करेगा तो उसमें बदलाव दिखाई देगा।
सहेज सकते हैं खुशी
बच्चों को ऐसा कतई महसूस नहीं होने देना चाहिए कि छुट्टियों में खेलने को लेकर उन पर दबाव पड़ रहा है या उनकी स्वच्छंदता कम हो रही है। उनका वैकेशन मजे से गुजरे इसके लिए रखें कुछ बातों का ख्याल।
न महसूस हो दबाव
बच्चों को ऐसा न लगे कि छुट्टियों के दौरान रोक-टोक के जरिए उनकी स्वच्छंदता पर परिजनों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। यह जरूर होना चाहिए कि उसकी हर एक्टिविटी पर उसे फायदे और नुकसान के बारे में बताया जाए।
जानें उसकी मर्जी
स्कूल की छुट्टियों के दौरान बच्चे की मर्जी जानना जरूरी है कि वह क्या करना चाहता है। क्या किसी तरह की एक्टिविटी क्लास जॉएन करना चाहता है। ऐसा करके आप बहुत हद तक उसके लिए एक लिमिट तैयार कर सकते हैं। ताकि वह धूप में देर तक खेलने से बचे और लू लगने से बीमार भी न हो।
कुछ नया करना
स्कूल में छुट्टियां तो होती ही हैं बच्चों को खेलने का मौका देने के लिए। ऐसे में रूटीन खेलों के अलावा बच्चे में कुछ नया करने का जज्बा भी पैदा करें। उसमें इनडोर गेम्स के प्रति रुझान पैदा करें। रोचक और ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी किताबें पढ़ने को प्रेरित करें, ताकि वे धूप में कम से कम बाहर जाएं।
बनाएं टाइम टेबल
छुट्टियों में बच्चा खेलने में ही सारा समय न बिता दे। इसके लिए उसे इन दिनों क्या-क्या करना है इसका टाइम टेबल स्वयं बनाने को कहें। फिर बच्चे के साथ बैठकर उसके टाइम टेबल पर चर्चा करें। इससे उसका ध्यान भी बंटेगा। साथ ही छुट्टियों के दौरान उसे क्या करना चाहिए इसकी सीख भी मिलेगी।
पिकनिक है जरूरी
अगर आप शहर से बाहर कहीं घूमने नहीं जा पा रही हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं। आप संडे को या सुविधानुसार अन्य किसी दिन अपने शहर के दर्शनीय स्थलों की बच्चों को सैर करा सकती हैं। आप शहर के करीब में मौजूद ऐसी जगहों पर भी जा सकती हैं जहां जाने के लिए आपने कई बार सोचा होगा, लेकिन अब तक जा नहीं पाई हैं। अपने शहर और शहर के नजदीकी पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों पर बच्चों को ले जाने से बच्चे अपने शहर की खूबी और ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जान सकते हैं।
इन छोटे-छोटे उपायों से हम बच्चों को समर वैकेशन के दौरान खुश रख सकते हैं और उनका ज्ञान भी बढ़ा सकते हैं। इससे उनकी स्वच्छंदता में रुकावट भी नहीं पड़ेगी और वे बहुत कुछ क्रिएटिव सीख भी सकते हैं।
मलय बाजपेई