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सीसैट कंफ्यूजन से पाएं पार

अमूमन सिविल सर्विस एग्जाम में बैठने वाले कैंडीडेट्स दो तरह के होते हैं, एक वे, जो सब कुछ एक साथ पढ़ डालने में यकीन करते हैं, दूसरे वे, जो बेतरतीब अस्त-व्यस्त स्टडी की जगह एग्जाम पैटर्न के नजरिये से सेलेक्टेड स्टडी पर जोर देते हैं। ज्यादातर सफल छात्रों से हुई बातचीत से यही बात निकल कर आई कि अपनी स्टडी क्वालिटी को बढ़ाकर सेलेक्श्

By Edited By: Published: Mon, 09 Jun 2014 04:09 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jun 2014 04:09 PM (IST)
सीसैट कंफ्यूजन से पाएं पार

अमूमन सिविल सर्विस एग्जाम में बैठने वाले कैंडीडेट्स दो तरह के होते हैं, एक वे, जो सब कुछ एक साथ पढ़ डालने में यकीन करते हैं, दूसरे वे, जो बेतरतीब अस्त-व्यस्त स्टडी की जगह एग्जाम पैटर्न के नजरिये से सेलेक्टेड स्टडी पर जोर देते हैं। ज्यादातर सफल छात्रों से हुई बातचीत से यही बात निकल कर आई कि अपनी स्टडी क्वालिटी को बढ़ाकर सेलेक्शन सुनिश्चित किया जा सकता है। आईएएस 2012 में 12 वीं रैंक लाने वाले संयम अग्रवाल इसी बात का हवाला देते हुए कहते हैं कि यूं तो परीक्षा की तैयारी के लिए आइडल टाइम लिमिट तय नहीं की जा सकती, लेकिन करीब आते एग्जाम के साथ अपना स्टडी पैटर्न बदल कर खुद को कामयाबी के करीब जरूर ला सकते हैं।

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खुद को तैयार करें

सीसैट का सिलेबस कुछ इस तरह से तैयार किया गया कि हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स के बीच भारी कंफ्यूजन क्रिएट हुआ। इसका असर प्रिलिम्स के रिजल्ट पर दिखा, जहां सक्सेस पाने वाले हिंदी मीडियम के कैंडिडेट्स की संख्या लगातार गिरती जा रही है। 2013 के प्रिलिम्स के भी करीब 16 हजार सक्सेसफुल कैंडिडेट्स में हिंदी मीडियम वालों की तादाद हजार के आस-पास रह गई है। लेकिन अगर हिंदी मीडियम के कैंडीडेट्स अपनी तैयारी को थोड़ी धार दे दें और प्लान करके स्मार्ट तरीके से खुद को तैयार करें, तो सी-सैट मुश्किल नहीं।

प्रेशर का टेंशन दूर रखें

सी-सैट एग्जाम में अक्सर कैंडीडेट्स बेहतर तैयारी के बावजूद भी सफलता से चूक जाते हैं। इसका कारण है, उनका एग्जाम के प्रेशर में आकर मेंटली बिखर जाना। द स्टडी आइएएस कोचिंग के डायरेक्टर मणिकांत सिंह का मानना है कि परीक्षा के ठीक पहले पढाई के साथ-साथ छात्रों को खुद का ख्याल भी रखना होगा। आईएएस का सिलेबस इतना बडा है कि इस पर पूरा कंट्रोल मुमकिन नहीं है। यह बात हर कैंडीडेट के लिए लागू होती है। इसलिए बेस्ट स्कोर करने पर ध्यान दें, ना कि पूरा का पूरा सिलेबस कवर पर।

जुनून के साथ करें तैयारी

हरियाणा की वंदना पांडेय ने मुरादाबाद के एक गुरुकुल से पढ़ाई करके सिविल सर्विस 2012 एग्जाम में 8वीं रैंक और हिन्दी मीडियम में पहली रैंक हासिल की। उनकी मां के मुताबिक वंदना अपने जुनून की वजह से आइएएस बनी हैं। वह गर्मियों में कूलर बंद करके पढ़ाई करती थी, ताकि उन्हें आराम और ठंडक की वजह से नींद न आने लगे। गुरुकुल में उनकी पढ़ाई बेहद अनुशासित माहौल में हुई, यही अनुशासन उन्हें काम आया। 10वीं क्लास से ही वंदना के सिर पर आइएएस बनने का जुनून सवार था। हर पल वह अपने इसी सपने के साथ जीती थी और हर कदम अपनी मंजिल की ओर बढ़ाती थी। धीरे-धीरे उनका सेल्फ-कॉन्फिडेंस बढ़ता गया और जुनून कामयाबी में बदल गया।

प्लानिंग के साथ करें तैयारी

हड़बड़ी में पढ़ाई न करें। पूरी तरह रिलैक्स होकर अपनी स्टडी को प्लान करें और फिर उस पर अमल करें। कंफ्यूजन से सारे काम बिगड़ सकतें हैं। इसलिए पहले सारे कंफ्यूजन अपने मेंटर से पूछकर एग्जाम पैटर्न, सिलेबस और क्वैश्चन पैटर्न को समझ लें।

पुराने क्वैश्चन पेपर्स से समझें पैटर्न

सिलेबस के टॉपिक्स पर रिसर्च करने की बजाय 2011,2012 और 2013 के क्वैश्चन पेपर से क्वैश्चंस का पैटर्न समझें कि किस चैप्टर से किस तरह के क्वैश्चंस पूछे जाते हैं।

रिवीजन देगा धार

जो भी पढ़ें उसे रिवाइज करना न भूलें, खास तौर पर जीएस और करेंट अफेयर्स।

क्वालिटेटिव स्टडी पर दें जोर

कुछ भी पढ़ने से अच्छा है, क्वालिटी मैटेरियल पढ़ें। आथेंटिक बुक्स और वेलनोन राइटर्स की बुक्स ही पढ़ें ताकि फैक्ट्स और कॉन्सेप्ट्स में कंफ्यूजन न हो।

पेपर सॉल्व करने की स्ट्रेटजी

शुरुआत के इस सेक्शन को शुरुआत में ही हल करने की कोशिश करें, क्योंकि यह अमूमन सामान्य होता है। थोड़ी सी मेहनत से आप इसमें बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

आंसर शीट भी भरते चलें

कई कैंडीडेट्स की आदत होती है कि वे पहले क्वैश्चंस सॉल्व कर लेते हैं। इसके बाद एक साथ आंसर शीट भरते हैं। ऐसे कैंडीडेट्स को सलाह दी जाती है कि वे हर 4-5 क्वैश्चंस के बाद आंसर शीट भरते चलें, नहीं तो आपका क्रम बिगड़ सकता है।

निगेटिव मार्रि्कग से रहें सतर्क

निगेटिव मार्किग के तहत गलत आंसर पर एक तिहाई अंक कटेगा। अगर एक से अधिक ऑप्शंस मार्क करते हैं, तो भी आपका आंसर गलत माना जाएगा। निगेटिव मार्किंग से बचने के लिए ऑप्शन तभी चुनें, जब आप कम से कम 70 फीसदी कॉन्फिडेंट हों।

सी-सैट क्या है?

2011 में अलघ कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सिविल सर्विस के प्री एग्जाम में जीएस के अलावा एक नया पेपर शामिल किया गया, इसे नाम दिया गया, सी-सैट यानी सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट।

जीएस के पेपर में 2-2 मा‌र्क्स के 100 क्वैश्चंस होते हैं, जबकि सी-सैट के पेपर में 2.5 मा‌र्क्स के 80 क्वैश्चंस।

हव्वा नहीं है सीसैट

घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सीसैट ऐसा सब्जेक्ट है, जो आप पढाई के शुरुआती दौर से लेकर अब तक पढ़ते रहे हैं और जीवन के अलग-अलग आयामों में आपको कुदरती तौर पर इसकी जरूरत भी पड़ती रहती है। एप्टीट्यूड टेस्ट एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज के आज के दौर में कैंडीडेट्स की कैबेलिटीज को आंकने का तरीका है। इसमें वही सफल होते हैं जिनमें एप्टीट्यूड रिलेटेड ओरिजिनल टैलेंट होता है।

विकास दिव्यकीर्ति

डायरेक्टर, दृष्टि आइएएस

दो एक्स्ट्रा अटेम्प्ट्स

कैंडीडेट्स को उम्रसीमा में दो साल की रिलैक्सेशन के अलावा दो अटेम्प्ट्स और दिए जा रहे हैं। ये केवल 2014 और 2015 के लिए उपलब्ध होंगे।

जिन उम्मीदवारों के लिए 2014 लास्ट अटेम्प्ट था, वजह चाहे उम्र हो या या अटेम्प्ट खत्म होना, वे 2014 और 2015 में एग्जाम दे सकेंगे।

एडमिनिस्ट्रेटर बनें

-सिविल सर्विस में सेलेक्टेड अफसर हर जगह लीडिंग पोजीशन में होते हैं। इसलिए आपमें एक लीडर और एडमिनिस्ट्रेटर की सारी खूबियां होनी चाहिए।

-सिविल सवर्ेंट में सही ऑप्शन चुनने की समझ होनी चाहिए। शायद इसीलिए एग्जाम में काफी मिलते-जुलते ऑप्शन दिए होते हैं।

-कभी भी अपने बैकग्राउंड को लेकर अफसोस न करें। मैं खुद गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ा हूं। अगर आप कुछ हासिल करना चाहते हैं, तो जरूर कर लेंगे, बशतर्ें सही दिशा में और ईमानदारी से मेहनत से की जाए।

-सबसे बड़ी जरूरी क्वालिटी है आपकी अच्छी और सुलझी हुई पर्सनालिटी का होना। आप जितना सुलझे हुए होंगे, आपके एक्सप्रेशंस भी उतने ही क्लियर होंगे। सटीक लिखेंगे, सटीक बोलेंगे, तो जाहिर है हर कोई प्रभावित होगा।

-यूपीएससी प्रिलिमिनरी एग्जाम से छंटनी करता है। मेन्स में अच्छा लिख गए, तो भी अगर आपका कम्युनिकेशन और एक्सप्रेशन स्किल अच्छा होगा, तभी आप इंटरव्यू पास कर पाएंगे।

-नए पैटर्न में एडमिनिस्ट्रेटिव एप्टीट्यूड को ज्यादा इम्पॉटर्ेंटस दी गई है। आपको अपनी सोच एक स्टूडेंट्स की बजाय एक एडमिनिस्ट्रेटर की करनी होगी। देश और दुनिया के हर मुद्दे पर अपनी ओरिजिनल सोच विकसित करनी होगी।

-ऑब्जर्वेशन और एनालिसिस ये दोनों सक्सेस की अहम चाबियां हैं। यूपीएससी पढ़ाकू नहीं ढूंढती, स्मार्ट कैंडीडेट्स ढूंढती है, जो सिस्टम को समझ सकें

जोगिंदर सिंह, एक्स डायरेक्टर, सीबीआइ

जीएस पेपर -1

(200 मा‌र्क्स) समय-दो घंटे

-नेशनल ऐंड इंटरनेशनल

इम्पॉर्र्टेस के करेंट इवेंट्स

-इंडिया ऐंड इंडियन नेशनल

मूवमेंट की हिस्ट्री

-इंडियन और व‌र्ल्ड की

फिजिकल, सोशल, इकोनॉमिक

ज्यॉग्राफी

-इंडियन पॉलिटी ऐंड गवनर्ेंस:

संविधान, पॉलिटिकल सिस्टम,

पंचायती राज, पब्लिक पॉलिसी, राइट्स इश्यू

-इकोनॉमिक ऐंड सोशल

डेवलपमेंट, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, गरीबी, इंक्ल्यूजन, डेमोग्राफिक्स,

सोशल सेक्टर इनिशिएटिव्स

-एनवायर्नमेंटल इकोलॉजी,बॉयो-

डायवर्सिटी ऐंड क्लाइमेट चेंज

-जनरल साइंस

ऐसे करें तैयारी

जीएस फ‌र्स्ट पेपर के लिए कैंडीडेट्स को करेंट इवेंट्स, उनके रिजल्ट्स, नेशनल ऐंड इंटरनेशनल सिनेरियो में उनकी इम्पॉटर्ेंस और इनके पैदा होने वाले हालात पर पैनी नजर रखनी चाहिए. हर खबर में से 'क्या', 'क्यों', 'कैसे', 'कब' और 'कौन' का पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए. इस पेपर में हाल में हुई घटनाओं के बारे में क्वैश्चंस पूछे जाते हैं. क्वैश्चंस ज्यादातर खबर के बैकग्राउंड पर बेस्ड है। हर सब्जेक्ट की तैयारी के लिए बेसिक बुक्स जैसे एनसीइआरटी की 8वीं,9वीं,10वीं,11वीं,12वीं की बुक्स की स्टडी करें।

हिस्ट्री के फैक्ट्स याद रखें

हिस्ट्री के तीसरे पार्ट इंडियन फ्रीडम स्ट्रगल से सबसे ज्यादा क्वैश्चंस पूछे जाते हैं। खास तौर पर कांग्रेस अधिववेशन, आंदोलन, एक्ट, समझौते, विद्रोह आदि चैप्टर्स से ज्यादा क्वैश्चंस होते हैं। लेकिन ध्यान रहे, क्वैश्चंस फैक्ट बेस्ड और कंफ्यूजिंग होते हैं।

एनवायर्नमेंटली जागरूक रहें

एनवायर्नमेंट स्टडी में यूपीएससी आपसे यही जानने की कोशिश करता है कि आप इसके प्रति कितने जागरूक हैं। इसलिए डीप स्टडी की बजाय ज्यादा से ज्यादा इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करने पर ध्यान दें। इसके लिए न्यूजपेपर्स, मैगजींस और टीवी प्रोग्राम्स का सहारा लिया जा सकता है।

इकोनॉमी को समझें

एनसीइआरटी बुक्स के बाद इकोनॉमिकल इंस्टीट्यूट्स और उनकी वर्किंग प्रोसेस, रिलिवेंसी, उनसे जुड़े सरकारी डिसीजंस और पॉलिसीज की स्टडी करें। सामाजिक विकास और जनसांख्यिकी से जुड़ी सरकार की पूर्व और वर्तमान नीतियों को लेकर भी करीब 10 सवाल पूछे जाते है। अखबारों के इकोनॉमी पेज, बजट, इकोनॉमिक सर्वे, 'इंडिया' इयरबुक से ही ज्यादातर क्वैश्चंस फॉर्मेटिंग होती है।

न्यूज रीडिंग बेहद जरूरी

हर रोज अखबार पढ़कर हैंड रिटेन नोट्स बनाएं। अखबार पढ़ते वक्त एब्रीविएशंस, न्यू टर्म्स, ऑर्गनाइजेशंस, कोट्स ऐंड एग्जाम्पल्स पर ध्यान दें। एडिटोरियल्स के मेन प्वाइंट्स पर गौर करें। पढ़ने के बाद अपने नोटबुक में उस पर एक समरी लिखें।

45 फीसदी कॉम्प्रिहेंशन

सीसैट में करीब 40 फीसदी क्वैश्चंस कॉम्प्रिहेंशन के होते हैं। इसमें पांच पैराग्राफ दिए होते हैं। इसे सॉल्व करते समय मूल विचार को ध्यान में रखें। बिना समझे इसे पढ़ना पूरी तरह समय की बर्बादी है। पैराग्राफ पढ़ना शुरू करने से पहले क्वैश्चंस को सीरियसली एनालिसिस करें कि क्या पूछा जा रहा है।

लॉजिक पावर डेवलप करें

एक जिम्मेदार एडमिनिस्ट्रेटिव अफसर के तौर पर कैंडीडेट को आगे चल कर कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में क्विक डिसीजन की कैपेसिटी और लॉजिकल रीजनिंग उसके लिए बहुत जरूरी है। ऐसे क्वैश्चंस को तभी अच्छी तरह हल किया जा सकता है, जब आप खुद को प्रभावी अधिकारी के तौर पर देखें।

मेंटल एबिलिटी इम्पॉर्र्टेट

जनरल मेंटल एबिलिटी सेक्शन में वर्बल रीजनिंग से जुड़े क्वैश्चंस शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य कैंडीडेट की स्ट्रक्चरल पावर और उसकी लॉजिकल एनालिसिस पावर को मापना होता है। इसके लिए सिर्फ कॉमन सेंस और एनालाइजिंग इंटेलेक्चुअलिटी की जरूरत होती है।

इंग्लिश ग्रामर पर दें ध्यान

अंग्रेजी के सेक्शन में उम्मीदवार को अंग्रेजी व्याकरण की पुस्तकों का उपयोग तथा खूब सारे शब्दों को रटने की जरूरत नहीं होती। पढ़ी जाने वाली अवधारणा को कुछ इस तरह से तैयार किया जाता है कि इससे उम्मीदवार की पैसेज पढ़ने की क्षमता का पता चल सके। साथ ही उसमें दिए गए तथ्यों को समझने तथा पढ़े गए तथ्यों के आधार पर अनुमान निकालने की योग्यता का परीक्षण हो सके।

बेसिक न्यूमरेसी

इसमें नंबर्स, उनकी क्वालिटी और डाटा एनालिसिस से जुड़े क्वैश्चंस पूछे जाते हैं। इसके जरिए क्वालिटेटिव एबिलिटी और न्यूमेरिकल कैलकुलेशन टेस्ट किया जाता है। डाटा टेबल, ग्राफ, चार्ट आदि के जरिए दिए जाते हैं। इसकी तैयारी के लिए सबसे पहले छठी से 10वीं तक के एनसीईआरटी के मैथ्स के क्वैश्चंस सॉल्व करना चाहिए।

शॉर्टकट कभी-कभी काम कर जाता है, लेकिन याद रहे लंबा रास्ता मंजिल तक जरूर पहुंचाएगा। इसलिए जल्दबाजी में अपने अटेम्प्टस बर्बाद न करें। अपनी कड़ी मेहनत और ईश्वर पर भरोसा रखें। खुद पर भरोसा रखें कि आप कर लेंगे। यह केवल सिविल सर्विस के लिए ही नहीं बल्कि जिंदगी के हर काम में अप्लाई होता है। सेल्फ-कॉन्फिडेंस और सेल्फ-बिलीफ के बिना सफलता नहीं मिल सकती। सीसैट में सिलेबस बदला है, क्वैश्चंस का पैटर्न बदला है। इसको पहले खुद एनालाइज करें। पिछले साल के क्वैश्चन पेपर्स सॉल्व करें। धीरे-धीरे आपका कॉन्फिडेंस बढ़ता जाएगा। अगर आप कोचिंग कर रहे हैं, तो अपने फैकल्टी से ज्यादा से ज्यादा क्वैश्चंस पूछे, अपने कंफ्यूजंस क्लियर कर लें, तभी सही दिशा में तैयारी कर पाएंगे।

सीबीपी श्रीवास्तव, डायरेक्टर

डिस्कवरी आइएएस एकेडमी

जीएस पेपर -2

(200 मा‌र्क्स) समय: दो घंटे

-कॉम्प्रिहेंशन

-इंटरपर्सनल स्किल्स ऐंड कम्युनिकेशन स्किल्स

-लॉजिकल रीजनिंग ऐंड एनालिटिकल एबिलिटी

-डिसीजन मेकिंग ऐंड प्रॉब्लम सॉल्विंग

-जनरल मेंटल एबिलिटी

-बेसिक न्यूमरेसी (नंबर्स ऐंड उनके रिलेशंस, मैग्नीट्यूड के ऑर्डर्स (10वीं क्लास के लेवल का)

-डाटा एंटरप्रेटेशन (चार्ट, ग्राफ्स, टेबल्स, डाटा सफिशिएंसी, 10वीं क्लास के लेवल का)

-इंग्लिश लैंग्वेज कॉम्प्रिहेंशन स्किल्स (10वीं क्लास के लेवल का)

टॉपर्स टिप्स

-कभी भी इस बारे में न सोचें कि एग्जाम में कितने मा‌र्क्स आएंगे या क्या रैंक होगी, अपना ध्यान केवल उस क्वैश्चन के आंसर देने पर लगाएं जो आपके सामने है। सब्जेक्ट वही चुने जिसमें आपका वाकई इंट्रेस्ट हो।

-शॉर्टकट कभी-कभी काम कर जाता है, लेकिन याद रहे लंबा रास्ता मंजिल तक जरूर पहुंचाएगा। इसलिए जल्दबाजी में अपने अटेम्प्टस बर्बाद न करें। अपने सब्जेक्ट्स और जीएस पर पूरा टाइम दें। आपका डिसीजन ही आपकी सफलता तय करेगा।

-हर काम सिक्वैंस के साथ करें, एक साथ नहीं। डेढ़ या दो साल मन लगाकर तैयारी करने के बाद ही आपको अपना पहला अटेम्प्ट देना चाहिए।

शीना अग्रवाल, आइएएस टॉपर

(रैंक-1, 2011 बैच)

सीएसई, अ लांग जर्नी

-सबका अपना-अपना अलग पढ़ने की स्टाइल और रफ्तार होती है। कुछ लोग कॉन्सेप्ट में ज्यादा वक्त लगाते हैं, कुछ जल्दी ही समझ जाते हैं। आपको खुद समझना होगा कि स्टडी के लिए कौन-सी टाइमिंग आपको सूट करती है।

-आपकी उंगलियों की ही तरह आपके सारे दिन एक जैसे नहीं होंगे। किसी दिन आप ज्यादा पढ़ेंगे, किसी दिन कम पढ़ेंगे और किसी दिन ऐसा भी होगा कि आप कुछ नहीं पढ़ पाएंगे। लेकिन आप हर दिन हर पल एंच्वाय करें।

-अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस समझें। अगर आप खुद को समझ जाएंगे, तो चीजें बहुत आसान हो जाएंगी।

प्रिंस धवन, आइएएस टॉपर

(रैंक-3, 2012 बैच)

- कॉन्सेप्ट ऐंड इनपुट: मिथिलेश श्रीवास्तव बी कॉन्फिडेंट


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