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Finding Out Your Unique Skills

हर स्टूडेंट में कुछ यूनीक स्किल्स होती हैं, अगर उन्हें ठीक से डेवलप किया जाए, तो रिजल्ट अनएक्सपेक्टेड हो सकते हैं। यही मानते हैं, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के एग्जिक्यूटिव वीसी और आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. अनिल कुमार गुप्ता..

By Edited By: Published: Wed, 28 Aug 2013 10:38 AM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2013 12:00 AM (IST)
Finding Out Your Unique Skills

पॉजिटिव चेंजेज

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इधर कुछ सालों में इंडियन स्टूडेंट्स में काफी पॉजिटिव चेंजेज देखने को मिल रहे हैं। पहले जहां वह अपने ऊपर काफी प्रेशर महसूस करता था, अपने व्यूज देने में संकोच करता था, वहीं आज उसने अपने ऊपर का प्रेशर बहुत हद तक कम कर दिया है। वह निर्भीक होकर अपने व्यूज भी लोगों को देता है। जो चीज उसे सही नहीं लगती है, उसके बारे में अपने विचार रखने में संकोच नहीं करता है। वह लगातार चेंज चाहता है और इसके लिए अगर जरूरत पडती है, तो बडे डिसीजन लेने में भी हिचकता नहीं है। स्टूडेंट्स के अंदर तेजी से आ रही यह नई क्वॉलिटी निश्चित ही कंट्री को सभी सेक्टर्स में आगे ले जाने का काम करेगी।

मेक योर डिसीजन

हालांकि अभी भी एक चीज की कमी स्टूडेंट्स में दिखाई दे जाती है कि वह बहुत सी चीजों में सेल्फ डिसीजन लेने में कतराता है। मिडिल क्लॉस में यह सिचुएशन कुछ ज्यादा दिखाई देती है। वह थोडी सी सक्सेस में ही सटिस्फाइड हो जाता है। आगे बढने के प्रयास कम कर देता है। इस चीज से बाहर निकलें। जॉब से सटिस्फाइड तो होना है, लेकिन इसके बाद आगे बढने की कोशिश ही बंद कर दी जाए, यह कहां की समझदारी है। अपने डिसीजन खुद लें। आगे बढें और दूसरों को भी आगे बढने के जितने चांस हो सकें दिलाएं।

पहचानें यूनीक स्किल्स को

हर स्टूडेंट में कोई न कोई ऐसी स्किल जरूर होती हैं, जो उसे औरों से कहीं अलग कर देती है। उसे यूनीक बनाती है, लेकिन पता नहीं क्यों बहुत से स्टूडेंट्स अपनी ऐसी क्वॉलिटीज पर ध्यान ही नहीं देते हैं। जॉब मिल जाने या फिर मनचाहे कोर्स या कॉलेज में एडमिशन मिल जाने पर, तो फिर इसे वे भूल ही जाते हैं। याद रखिए, अपनी स्किल्स को हमेशा मजबूत करते रहें। कम से कम इसे हॉबी के रूप में तो जिंदा रखें ही। कभी न कभी ये जरूर काम आती है।

सोच बदलने की जरूरत

आज सभी फील्ड में इंडिया का कंपेरिजन चीन के साथ हो रहा है। चीन हमसे बहुत सी चीजों में आगे है और यह अंतर बढ भी रहा है। इसका बस एक कारण है, वहां क्रिएटिविटी को प्रमोट किया जाता है। जो जिस सब्जेक्ट या फील्ड में बेटर कर रहा है, उसे उसी में आगे बढाने की कोशिश की जाती है। अपने यहां अभी इस तरह की सोच डेवलप नहीं हुई है। हम ओवरऑल परफॉर्मेस की बात करते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि कम्प्लीट शब्द में हमेशा नया करने की गुंजाइश बनी रहती है। दूसरों की कमियां न निकालें। कमियां तो लोगों ने थॉमस एडिसन में भी निकाली थीं, लेकिन पहले खुद को देखें। ग्राउंड लेवल पर जो वर्क को शेप देता है, असली सक्सेस उसी की है। उसके बाद स्टेप बाई स्टेप चेंज होते रहते हैं।

गलतियां करने का हक है

गलतियां किससे नहीं होती हैं, लेकिन इनसे डर कर काम ही बंद कर देना सबसे बडी गलती है। गलतियों से ही हम सीखते हैं। नए एक्सपेरिमेंट करने से कभी न डरें। यहां पेरेंट्स की भी रिस्पॉन्सिबिलिटी बनती है कि वे गलतियों पर बच्चों को डिमॉरलाइज न करें। उनकी हेल्प करें, देखिएगा वह कितनी तेजी से आगे बढते हैं। किसी के निगेटिव प्वॉइंट्स को गिनाने से पहले अच्छा होगा कि हम पहले अपने निगेटिव प्वाइंट्स को देख लें। एक नहीं, कई मिल जाएंगे।

टैलेंट की तलाश

आज जो टैलेंटेड स्टूडेंट हमारे सामने हैं, उससे कहीं ज्यादा गुमनामियों में गुम हो गए हैं। बहुत से लोग टैलेंट का पैरामीटर मा‌र्क्स मानते हैं, लेकिन एवरेज स्टूडेंट या फिर उससे भी नीचे के स्टूडेंट्स में भी गजब का टैलेंट है। उनके पास अलग तरह का विजन है, जो हमें हैरत में डाल देता है, लेकिन हम इन्हें ठीक से सोसायटी के सामने नहीं ला पा रहे हैं। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के तहत हमने इस चीज को देखा है। हम ऐसे स्टूडेंट्स को लोगों के सामने लाने का काम कर रहे हैं। यहां एक बात और है कि हमारे बीच में बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो टैलेंट को खत्म करने का काम करते हैं, इनसे बचते हुए स्टूडेंट्स को आगे बढना है।

इंटरैक्शन : शरद अग्निहोत्री


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