बनें प्रॉब्लम सॉल्वर
अगर एंटरप्रेन्योरशिप असफलता को सफलता में बदलने की कहानी है, तो ऐसे ही एंटरप्रेन्योर हैं कुंवर सचदेव, जिन्होंने 10 हजार रुपये से शुरू हुई कंपनी को 1000 करोड़ रुपये वाली कंपनी में बदल दिया। सु-कैम के फाउंडर कुंवर सचदेव से जानते हैं उनकी कामयाबी की कहानी, खुद उन्हींकी जुबानी.. बड़ा सपना, बड़ी सोच आज मैं खुश हूं कि मेरी कंपनी
अगर एंटरप्रेन्योरशिप असफलता को सफलता में बदलने की कहानी है, तो ऐसे ही एंटरप्रेन्योर हैं कुंवर सचदेव, जिन्होंने 10 हजार रुपये से शुरू हुई कंपनी को 1000 करोड़ रुपये वाली कंपनी में बदल दिया। सु-कैम के फाउंडर कुंवर सचदेव से जानते हैं उनकी कामयाबी की कहानी, खुद उन्हींकी जुबानी..
बड़ा सपना, बड़ी सोच
आज मैं खुश हूं कि मेरी कंपनी 1000 करोड़ रुपये की है, लेकिन शुरुआत बिल्कुल भी अच्छी नहींथी। मेरी पढ़ाई गवर्नमेंट स्कूल से हुई थी। पिता रेलवे में क्लर्क थे। घर की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहींथी। कई बार बीच में पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी। फिर मैंने भाई से साथ पेन बेचना शुरू किया। जब यह बिजनेस कामयाब नहींहुआ, तो केबल कंपनी में एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम करने लगा। पर यहां भी बात नहींबनी। फिर जॉब के दौरान बचे 10 हजार रुपये से बिजनेस शुरू किया। कॉलेज के समय से मैं बस यही सोचता रहता था कि कुछ अपना बिजनेस हो। घर के लोग भी मेरी इस बात से परेशान रहते थे कि मैं हमेशा बड़ी-बड़ी बातें ही करता रहता था। पर आज जब पीछे मुड़ कर देखता हूं, तो हैरानी होती है कि क्या यह सब मैंने किया है! वैसे, लाइफ में आगे बढ़ने के लिए आप एक जगह ठिठके रहना गवारा नहींकर सकते, भले ही शुरुआत में नाकाम रहे हों।
पैशन ऐंड रिस्क
मैं मानता हूं कि वर्क के प्रति पैशन ही आपको कामयाब बना सकता है। अगर 'मैं कर सकता हूं' के तेवर हों और जोखिम लेने का दुस्साहस हो, तो आपको आगे बढ़ने से भला कौन रोक सकता है। मैं उन इंसानों में से नहींहूं, जो एक ही असाइनमेंट पर लंबे समय तक काम करते रहें और न ही मैंने अपनी लाइफ में कभी ईजी पाथ को फॉलो किया है। यही मेरा स्ट्रेंथ और पैशन भी है।
लीडरशिप स्किल
मैं लॉ ग्रेजुएट हूं। जब मैं कॉलेज में था, तो उस समय लोग अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए मेरे पास आया करते थे। मुझे भी उनकी परेशानियों को सॉल्व करने में मजा आता था। आज उसी लीडरशिप की वजह से इतनी बड़ी कंपनी को संभाल पा रहा हूं।
डिग्री बड़ी या काबिलियत
मैं नहींमानता कि एमबीए या फिर दूसरी बड़ी डिग्री है, तभी किसी कंपनी मेंबॉस या टॉप पोजीशन तक पहुंच सकते हैं। मेरी कंपनी में कई टॉप पोजीशन पर काम करने वाले साधारण ग्रेजुएट हैं। वह इस पोजीशन पर सिर्फ अपनी काबिलियत की वजह से हैं, न कि डिग्री की वजह से।
प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी
कई लोग केवल प्रॉल्बम की बात करते हैं। जब तक सिर्फ प्रॉब्लम की बातें करते रहेंगे, तब तक न तो खुद का और न ही ऑर्गेनाइजेशन का भला कर सकते हैं। जबकि मैं प्रॉब्लम की नहीं, बल्कि उसके सॉल्यूशन की बात करता हूं। इसीलिए प्रॉब्लम की बजाय सॉल्यूशन की बात करने वाले लोग मुझे अधिक पसंद हैं।
इंस्पिरेशन ऐंड आइडल
मुझे रतन टाटा और एन.आर.नारायणमूर्ति को सुनना अच्छा लगता है, लेकिन मेरा कोई ऐसा आइडल नहींहै। मुझे आस-पास के लोगों या फिर जो मेरे साथ काम करते हैं, उनसे इंस्पिरेशन मिलती है। सोनी के फाउंडर अकियो मोरिता की बुक 'मेड इन जापान' ने मुझे काफी इंस्पायर किया है।
एमडी स्पीक
कुंवर सचदेव
(एमडी, सु-कैम पावर सिस्टम लि.)
माई फर्स्ट गुरु
सी.के प्रह्लंाद। उन्हें मेरे आइडिया में दम दिखाई दिया।
माई फर्स्ट जॉब
मैंने अपने भाई के साथ पेन बेचने से करियर की शुरुआत की थी।
माई फर्स्ट बॉस
अजय खन्ना, मैनेजिंग डायरेक्टर ऑफ श्याम टेलिकॉम।
माई फर्स्ट प्रमोशन
मैं मानता हूं कि जिस दिन मैंने एक मिलियन कमाया, वह मेरा पहला प्रमोशन था।
माई फर्स्ट डिसअप्वाइंटमेंट
कॉलेज के बाद मैं और मेरे भाई ने सोचा कि हम अपने पेन बिजनेस को बढ़ाएंगे, लेकिन बात नहींबन पाई।
टिप्स फॉर स्टार्ट-अप्स
बी ऑनेस्ट विद कस्टमर्स
अगर आपके प्रोडक्ट में कोई फॉल्ट है, तो उसे रिप्लेस करें। यह कस्टमर के दिल को जीतने का सबसे अच्छा रास्ता है।
रीइन्वेस्ट इन योर बिजनेस
रियल एस्टेट और स्टॉक्स में इनवेस्टमेंट की बजाय अपने बिजनेस में ही इनवेस्ट करना ज्यादा फायदेमंद होता है।
क्विक डिसीजन
लाइफ में आगे बढ़ने के लिए क्विक डिसीजन लेना जरूरी होता है। मेरी कामयाबी का राज भी यही है।
थिंक अहेड
अपने अचीवमेंट पर ही हमेशा खुश रहने की बजाय आगे की सोच जरूरी है।
इंटरैक्शन : अमित निधि