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न्यू एज राइटर्स

किताबें लिखना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के वर्षो में युवा राइटर्स की जो जमात सामने आ रही है, वह कई मायनों में

By Edited By: Mon, 17 Feb 2014 02:24 PM (IST)
न्यू एज राइटर्स

किताबें लिखना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के वर्षो में युवा राइटर्स की जो जमात सामने आ रही है, वह कई मायनों में डिफरेंट है। आइटी और मैनेजमेंट फील्ड में अपनी स्पेशलाइजेशन के जलवे दिखाने के बाद इन्होंने अपने शौक के चलते राइटिंग की ओर रुख किया है। खास बात यह है कि रीडर्स की नब्ज भांप इन्होंने ऐसे सब्जेक्ट पर पूरी रोचकता के साथ लेखनी चलाई है, जो हर किसी को जोड़ और झकझोर रहे हैं। यही कारण है कि इनकी किताबें बेस्ट सेलर साबित हो रही हैं और पब्लिशर उनके पीछे दौड़ लगा रहे हैं। इन यंग राइटर्स की दूसरी पारी उन तमाम युवाओं को प्रेरित कर रही है, जो अपने मौलिक लेखन से नाम कमाना चाहते हैं। पिछली पीढ़ी से अलग इन न्यू एज राइटर्स को अपनी किताबों की जमकर मार्केटिंग करने से भी परहेज नहीं..

राइटर्स का नया आसमान

आज आइटी, बैंकिंग, डिफेंस और अन्य क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ यूथ राइटिंग के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ये यंग राइटर्स अपने दिल की आवाज सुनकर राइटिंग फील्ड में हाथ आजमा रहे हैं। हालांकि इसके लिए उन्होंने जमकर होमवर्क भी किया है, अपने देश, यहां की संस्कृति और इतिहास को गहराई में उतरकर जाना-समझा है। यह अलग बात है कि इस इतिहास को वे अपनी राइटिंग में अलग नजरिए से पेश कर रहे हैं। यही कारण है कि पाठकों को उनकी किताबें अपने दिल के करीब लग रही हैं।

नए सब्जेक्ट्स पर बुक्स

आइआइएम बेंगलुरु से एमबीए करने के बाद रवि सुब्रमणियन ने बैंक से करियर की शुरुआत की। अपनी जॉब से सेटिस्फाई होने के बावजूद रवि कुछ अलग हटकर करना चाहते थे। बैंकिंग के क्षेत्र में अपने एक्सपीरियंस को उन्होंने बुक की शक्ल देने का फैसला किया। 2007 में उन्होंने पहली बुक इफ गॉड वाज अ बैंकर लिखी। पहली बुक ने ही उन्हें एक मजबूत लेखक बनने का हौसला दिया। रवि सुब्रमणियन कहते हैं कि आज रीडर का अपना अलग टेस्ट है, यही वजह है कि राइटर्स भी अलग और बिल्कुल नए सब्जेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। कोई फिक्शन का माहिर है, तो कोई माइथोलॉजी का। यंग जेनरेशन को ध्यान में रखकर भी किताबें लिखी जा रही हैं।

कनेक्शन विद रीडर

जाने-माने लेखक और साहित्यकार असगर वजाहत के मुताबिक आज के लेखक वही लिख रहे हैं, जिनसे वे सीधे रीडर से कनेक्ट हो सकें। यानी रीडर जब बुक पढ़े, तो उसे लगे कि यह उसी की लाइफ से जुड़ी कहानी है। उसका लेखन मास को अपील कर सके। इसके अलावा, आज राइटर्स अपनी राइटिंग के जरिये समाज को कुछ मैसेज देने की कोशिश भी कर रहे हैं। हालांकि मेरा मानना है कि राइटर्स को कंट्रोवर्सी या किसी सनसनी के जरिए प्रमोशन नहीं करना चाहिए।

वक्त की डिमांड है प्रमोशन

युवा लेखक तूहीन सिन्हा कहते हैं कि आज के राइटर्स के लिए किताब का प्रमोशन वक्त की जरूरत है। वे खुद अपनी बुक की प्रमोशन के लिए सोशल मीडिया, लिटरेरी फेस्टिवल और वीडियोज की मदद लेते हैं।

बुला रही हैं किताबें

दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे व‌र्ल्ड बुक फेयर में अलग-अलग विषयों की रोचक किताबें रीडर्स को अपनी ओर खींच रही हैं।

व‌र्ल्ड बुक फेयर

-होस्ट : सीबीएसई

-ऑर्गेनाइजर : एनबीटी

-थीम : चिल्ड्रेन लिटरेचर

अट्रैक्शन

-ऑथर्स कॉर्नर

-ई-बुक स्टॉल

राइटर्स के साथ?इंटरैक्शन

बुक फेयर में ऑथर्स कॉर्नर बनाया गया है, जहां राइटर और रीडर्स एक-दूसरे से इंटरैक्ट कर सकते हैं और उनसे अनुभव बांट सकते हैं।?अगर कोई राइटर अपनी बुक को लॉन्च कराना चाहे, तो उसके लिए भी बुक फेयर में ऑडिटोरियम बुक करा सकते हैं।?इसके अलावा फेयर में ई-बुक्स पर भी फोकस किया गया है। स्टाल पर एक्सपर्ट यह बता रहे हैं कि टैबलेट और स्मार्टफोन पर ई-बुक को कैसे डाउलोड करें।

छोटे-छोटे शहरों में

नेशनल बुक ट्रस्ट के असिस्टेंट डायरेक्टर पीआर ऐंड प्रमोशन कुमार समरेश बताते हैं कि दिल्ली ही नहीं, देश के कोने-कोने में हर साल बुक फेयर आर्गेनाइज किए जा रहे हैं। इनमें पटना, लखनऊ, रांची, वाराणसी, धर्मशाला, देहरादून, अहमदाबाद, शिमला, चंडीगढ़, जालंधर, मैंगलोर, रामनाथपुरम आदि शहरों के नाम गिनाए जा सकते हैं।

इसके अलावा, एनबीटी और कई अन्य संस्थानों द्वारा मोबाइल बुक लाइब्रेरी भी संचालित की जाती है।

हिंदी को बढ़ावा

अक्सर यह माना जाता है कि हिंदी की किताबों और लेखकों को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिल पाता, लेकिन पिछले कुछ वर्षो से हालात तेजी से बदल रहे हैं।

हिंदी की बढ़ती मांग

टेक्निकल राइटर निमिश दुबे मानते हैं कि भारत में लोग हिंदी में टेक्निकल कंटेंट चाहते हैं, लेकिन उन्हें अब तक मिल नहीं रहा था। अब हालात थोड़े बदले हैं। हिंदी का भी ग्लोबलाइजेशन हुआ है, हाईटेक्नॉलॉजी में भी पैठ बनाई है।?अब सिर्फ कंप्यूटर ही नहीं, मोबाइल फोन भी लोगों की सुविधा के लिए हिंदी की-बोर्ड वाले आने लगे हैं।

हाईटेक हुई हिंदी

कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि हिंदी बदलते वक्त के साथ नहीं चल पा रही है। ऐसा सोचना गलत है। यूजर लेवल पर पहले मुश्किलें थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब कई सारे ऐसे सॉफ्टवेयर आ गए हैं, जिनसे आप टाइप करना नहीं भी जानते हों, तो भी हिंदी में लिख सकते हैं। पहले कई सारी हिंदी वेबसाइट्स पर फॉन्ट प्रॉब्लम के चलते पढ़ने में परेशानी होती थी, लेकिन अब वे बेहतर

दिखते हैं।

मार्केटिंग स्ट्रेटेजी हो स्ट्रॉन्ग

मशहूर इंटरनेशनल पब्लिशर हॉर्पर कॉलिंस ने हिंदी में भी किताबें लॉन्च की थीं, लेकिन कुछ वजहों से वे हिट नहींहो सकीं।?इसकी एक वजह यह बताया गया कि इंटरनेशनल पब्लिशर्स हिंदी के मार्केट को समझ नहीं पाए। आज के राइटर्स इस बात के लिए पहले से तैयार हैं, इसीलिए उन्हें कामयाबी भी मिल रही है।

बुक इंडस्ट्री के प्लेयर्स पब्लिशर-राइटर

पब्लिशर का अहम रोल

एक बुक को नर्चर करने में पब्लिशर का रोल सबसे अहम होता है। वह किताब की क्वालिटी के साथ-साथ उसकी फिल्टरिंग भी करता है। मार्केट में इनवेस्टमेंट और बुक के प्रमोशन में भी वह बड़ी जिम्मेदारी निभाता है। हाफ बैक्ड बीन्स पब्लिशिंग के फाउंडर चेतन सोनी के अनुसार बुक पब्लिश कराने से पहले राइटर की प्रोफाइल देखी जाती है। उसके बाद राइटर से तीन अलग-अलग सिनॉप्सिस मांगे जाते हैं। बुक पर काम शुरू करने से पहले राइटर के साथ डिस्कशन किया जाता है। क्या चेंजेज करने हैं या एडिटिंग लेवल पर क्या बदलाव लाने हैं, इस बारे में राइटर से बातचीत की जाती है। सब कुछ फाइनल होने पर ही मैन्यूस्क्रिप्ट को प्रकाशन के लिए भेजा जाता है।

राइटिंग का न्यू ट्रेंड

चेतन के मुताबिकराइटिंग का ट्रेंड बदलता रहता है। इस समय हॉरर और थ्रिलर राइटिंग की खास डिमांड है। इसके बाद रोमांटिक बुक्स ज्यादा पसंद की जाती हैं। पब्लिशर का मकसद बुक को ज्यादा से ज्यादा रीडेबल बनाने का होता है। शुरुआत में कम संख्या में बुक पब्लिश की जाती है। जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती है, उसकी और कॉपीज प्रिंट की जाती हैं। कॉम्पिटिशन बढ़ने से आज मार्केट में यंग राइटर्स के लिए बुक पब्लिश कराना भी आसान हो गया है। उनके मुताबिक नए राइटर पर बुक पब्लिशिंग की कॉस्ट करीब 40 से 50 हजार रुपये आती है।

राइटर भी कर रहे प्रमोशन

पब्लिशिंग इंडस्ट्री में पहले एक राइटर बुक के प्रमोशन में हिस्सा नहीं लेता था। उसके द्वारा किताब लिख लेने के बाद सारी जिम्मेदारी पब्लिशर की होती थी, लेकिन आज ट्रेंड बदल चुका है। राइटर रवि सुब्रमणियन की मानें तो इससे एक ऑथर का रोल कहीं से कम नहीं होता है। वह बुक की कवर, फॉन्ट साइज तय करने के साथ ही उसके प्रमोशन के लिए अग्रेसिव स्ट्रैटेजी भी डेवलप करता है जैसे कि अमीश त्रिपाठी, रविन्दर सिंह जैसे ऑथर्स कर रहे हैं, यानी अब राइटर कमोबेश एक सीईओ के रोल में आ रहे हैं। बुक रिलीज से पहले ही सोशल मीडिया पर उसकी चर्चा शुरू कर दी जाती है। आज के वक्त की मांग को देखते हुए जरूरी भी है कि अच्छे काम को पब्लिसाइज किया जाए।

Online Library

-amazon.in

-flipcart.in

-prathambooks.org

-bookboon.com

-bookdepository.com

-tulikabook.com

-tarabooks.com

-zubaanbooks.com

-seagullindia.com

-earthcarebooks.com

-en.childrenslibrary.org

आईआईएम बेंगलुरु के एल्यूमिनस और सिटी बैंक, एचएसबीसी में काम करने वाले रवि सुब्रमणियन बीते दो दशक से फाइनेंशियल सर्विस इंडस्ट्री को अपनी सेवा दे रहे हैं। लेकिन 2007 में इन्होंने एक किताब लिखने का फैसला लिया। किताब को सक्सेस मिली और लाइफ में बहुत कुछ बदल गया। आज रवि जॉब के साथ फाइनेंशियल थ्रिलर राइटर के रूप में अपनी खास पहचान बना चुके हैं। फिलहाल वह अपनी सातवीं बुक पर काम कर रहे हैं, जो 60 परसेंट कंप्लीट हो चुकी है।

बैंकिंग से राइटिंग तक

रवि सुब्रमणियन की लाइफ का एक बड़ा समय बैंकिंग सेक्टर के इर्द-गिर्द गुजरता है। ऐसे में जब उन्होंने लिखने का मन बनाया, तो कहानी के किरदार और प्लॉट उनकी आंखों के सामने थे। उन्होंने बताया कि एक थ्रिलर के लिए जो मसाले (क्राइम, रिलेशन, धोखा आदि) चाहिए, वह बैंक में आसानी से मिल जाते हैं। आखिर थ्रिलर ही क्यों चुना, पूछने पर रवि कहते हैं कि मार्केट में फिक्शन, माइथोलॉजी और रोमांस पर लिखने वाले बहुत सारे राइटर्स हैं। लेकिन बैंक की लाइफ को कभी किसी ने किताब की शक्ल देने का जोखिम नहीं उठाया। ऐसे में जब उनकी किताब इफ गॉड वाज अ बैंकर आई और उसे रीडर्स ने हाथों हाथ लिया, तो उन्होंने इसी सीक्वल को आगे बढ़ाते हुए डेविल इन पिनस्ट्रिप्स, द इनक्रेडिबल बैंकर, द बैंकस्टर और द बैंकरप्ट नाम से किताबें लिखीं। ये सभी सक्सेसफुल भी रहीं।

सीक्रेट ऑफ राइटिंग

रवि दिन में बैंक की अपनी प्रोफेशनल ड्यूटी निभाने के बाद रोजाना रात को लिखते हैं। दूसरे लेखकों की तरह उन्हें एकांत माहौल की दरकार नहीं होती है, बल्कि घर के लिविंग रूम में फैमिली मेंबर्स के बीच वह लिखते हैं। इस दौरान कई बार 14 साल की अपनी बेटी से स्टोरी भी डिस्कस करते हैं। जब पहला ड्राफ्ट तैयार होता है, तो पत्नी उसे पढ़ती हैं। रवि कहते हैं कि थ्रिलर लिखने में पेस, एक्साइटमेंट, रोमांच, ट्विस्ट सब कुछ बनाए रखना होता है। यह ध्यान रखना होता है कि कहीं कोई लूपहोल न रहे।

इनोवेटिव कॉन्सेप्ट्स से सक्सेस

रवि कहते हैं कि आज मार्केट काफी फैला हुआ है। पब्लिशर्स नए राइटर्स में इनवेस्ट करने से बचते हैं। जिन राइटर्स की किताबें बिकती हैं, वे ब्रांड बन जाते हैं। ऐसे में जो लोग फ्रेश और इनोवेटिव आइडियाज पर काम करते हुए खुद की राइटिंग स्टाइल डेवलप करते हैं यानी राइटिंग के क्राफ्ट को समझ लेते हैं, उन्हें सक्सेस पाने में ज्यादा देर नहीं लगती है।

मेकिंग अ डिफरेंस इन राइटिंग

एज ऑफ पॉवर के राइटर तूहीन सिन्हा ने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से बीकॉम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवर्टाइजिंग से डिप्लोमा करने के बाद साल 2000 में मुंबई की राह पकड़ ली थी। ख्वाब था अभिनेता बनना। लेकिन एक दिन फैसला कर लिया कि अदाकारी नहीं, बल्कि लेखन के जरिए अपनी पहचान बनाएंगे और वह अपने इस मकसद में कामयाब भी हुए। अफसर बिटिया, ये रिश्ता क्या कहलाता है, जैसे कई मशहूर टीवी सीरियल की सफल स्क्रिप्ट राइटिंग के अलावा उनकी किताबों को भी रीडर्स का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इनकी चार किताबें बेस्ट सेलर्स रही हैं।

सफल टीवी सीरियल राइटर

तूहीन ने बताया कि वे बचपन से ही कुछ रिबेलियस किस्म के थे। इसलिए जमशेदपुर के एकेडेमिक माहौल में पले-बढ़े होने के बावजूद उन्होंने आईएएस बनने की बजाय क्रिएटिव पेशे को चुना। पहले फ्रीलांस जर्नलिच्म में हाथ आजमाया। दिमाग में कुछ कॉन्सेप्ट्स थे, तो मुंबई में एक-दो साल तक टीवी स्क्रिप्ट राइटर के रूप में काम किया। प्यार की कश्ती में, कोई दिल में है, देखो मगर प्यार से, वक्त बताएगा कौन अपना कौन पराया जैसे सीरियल्स के स्क्रिप्ट लिखे या को-स्क्रिप्ट राइटर के रूप में जुड़े रहे। लेकिन जब टीवी राइटिंग में संतोष नहीं मिला, तो किताब लिखने का फैसला कर लिया।

किताबों में वैरायटी

तूहीन किसी सांचे में बंधना नहीं चाहते थे। कहते हैं, किताबें ठहराव सिखाती हैं। उनके अनुसार, सीक्वल लिखना आसान होता है क्योंकि पहली किताब के बाद ही इसका एक रीडरशिप बेस तैयार हो जाता है। अगर काम में विविधता हो, तो लेखक आगे बढ़ता है। तूहीन का पहला नॉवेल डैट थिंग कॉल्ड लव रोमांस पर आधारित था। जबकि कैप्टन एक क्रिकेट थ्रिलर है। इसके अलावा उन्होंने पॉलिटिकल थ्रिलर भी लिखी है, जिसे काफी पसंद किया गया है।

जमाना टेक्निकल राइटिंग का

आजकल जमाना फेसबुक-ट्विटर, यू-ट्यूब, व्हाट्स एप, एंड्रॉयड और स्मार्टफोन का है।?युवाओं का एक बड़ा वर्ग लेटेस्ट फोन, टेक्नोलॉजी और एप्लीकेशंस के बारे में इंफॉर्मेशन हासिल करने में लगा रहता है। मार्केट में आते ही एप्लीकेशन डाउनलोड कर लिए जाते हैं। इसे देखते हुए ही कंपनियां अपने यहां बाकायदा टेक्निकल राइटर्स रखने लगी हैं, जो कस्टमर्स को एप्लीकेशन की तकनीकी जानकारी और उसकी उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताते हैं। ऐसे ही टेक्निकल राइटर्स में तेजी से उभरता हुआ नाम है निमिश दूबे का।

लैपटॉप से हुई शुरुआत

टेक्निकल राइटिंग की शुरुआत के बारे में निमिश बताते हैं, शुरू में वह बिजनेस और क्रिकेट पर लिखा करते थे। लेकिन 1999 में एक संपादक ने उनसे एक लैपटॉप दिखाकर उसकी खूबियों और खामियों के बारे में लिखने को कहा। निमिश?के लिए बड़ा मुश्किल था, बड़ा बोरिंग भी। लेकिन जब लिखना शुरू किया, तो कलम थमी नहीं।

टेक्निकल बैकग्राउंड जरूरी नहीं

निमिश दूबे की मानें तो टेक्नोलॉजी पर लिखनेके लिए टेक्नोलॉजी का बैकग्राउंड होना जरूरी नहींहै, जरूरत है तो बस इनोवेटिव और टेक्निकल सोच की। जब भी आप किसी टेक्निकल चीज को एक आम आदमी की नजर से देखेंगे जिसे कुछ नहीं पता, तो आप अच्छा लिख जाएंगे। इन दिनों ऑप्शंस बढ़ते ही जा रहे हैं। आप अपना ब्लॉग शुरू कर सकते हैं, फेसबुक पेज शुरू कर सकते हैं।?वेबसाइट बनाना भी बहुत कठिन या महंगा नहींरहा।

फ्यूचर है टेक्निकल राइटिंग

वह जमाना गया, जब सीवी लेकर ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब आप ई-मेल से रिज्यूमे भेज सकते हैं। यह भी बता सकते हैं कि आप क्या करना चाहते हैं और क्या कर सकते हैं। अपने आइडियाज भी भेजिए। यकीनन फ्यूचर ब्राइट होगा। अगर आपको टेक्निकल फील्ड में राइटर बनना है, तो सबसे पहले अपने इंट्रेस्ट को जानिए। आपको टेक्नोलॉजी की कितनी नॉलेज है? इसकी कितनी टर्मिनोलॉजी जानते हैं? फिर टेक्नोलॉजी रिलेटेड पब्लिकेशंस एनालाइज करें। देखें कि आप किस प्रकाशन और किस वेबसाइट पर लिखना चाहते हैं।? उसके लिए अप्लाई करें।

हिंदी से भी हो सकते हैं मशहूर

काकचेष्टा बकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च,

अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणम् ।

संस्कृत के इस बहुत पुराने श्लोक में विद्यार्थी के पांच लक्षण गिनाए गए हैं। इन्हीं में से दो लक्षणों-अल्पाहारी और गृहत्यागी को लेकर भूतनाथ के नाम से मशहूर प्रचण्ड प्रवीर ने उपन्यास लिख डाला।

पटना का अल्पाहारी गृहत्यागी

स्टोरी का प्लॉट चुना बिहार की राजधानी पटना को। आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्रों की रियल लाइफ को प्रचण्ड ने कागज पर जीवंत कर दिया। हार्पर कॉलिंस ने 2010 में अल्पाहारी गृहत्यागी: आईआईटी से पहले नाम से किताब प्रकाशित की।

हिंदी में नई अलख

आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले प्रचण्ड ने नॉवेल लिखने के लिए हिंदी को चुना। हार्पर कॉलिन्स का यह पहला उपन्यास था, जो हिंदी में छपा था। सर्वान्तेस के उपन्यास डॉन किहोते की शैली में लिखा गया यह उपन्यास हिंदी में अपनी तरह का अलग प्रयोग है, अछूता विषय है। शायद यही वजह रही कि यह किताब हिंदी की बाकी किताबों से अलग हटकर अंग्रेजी किताबों को टक्कर देने लगी। इसकी एक बड़ी वजह है मार्केटिंग।

हिंदी में लिखने का रिस्क

प्रचण्ड बताते हैं, हिंदी में इसलिए लिखा क्योंकि हिंदी में लिख सकता हूं। उर्दू आती तो उर्दू में भी लिखता। हम खुद को और हिंदी साहित्य को हीन भावना से देखते हैं। इसे व्यवसाय की तरह देखना प्रकाशक का काम होना चाहिए और आलोचकों का - लेखक का नहीं। मैं कितने ही पुस्तक विमोचन में जाता हूं, लेकिन कभी किताब नहीं खरीदता। क्यों पैसे खर्च करूं? बेकार निकलेगा तो पैसे बरबाद होंगे। अगर उतने पैसे की फिल्म देख लूं या कुछ खा-पी लूं.. यह ग्राहक की मर्जी है। अब आपको ग्राहक को अपनी ओर खींचने का तरीका आना चाहिए, फिर वह हिंदी में हो, अंग्रेजी में या किसी और भाषा में।

ट््रैवल में है दमदार राइटिंग का स्कोप

बचपन में जब फ्रेंड्स एस्ट्रोनॉट या डिटेक्टिव बनने के सपने देखते थे, तो शिव्यानाथ एक राइटर बनना चाहती थीं। वे ऐसी कहानियां बुनना चाहती थीं जिनसे री़डर्स के इमैजिनेशन को पंख मिल सके। पब्लिशिंग इंडस्ट्री में कोई कॉन्टैक्ट नहीं था। लेकिन डिसाइड कर लिया था, तो उसी दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिए और आज एक सक्सेसफुल ट्रैवल राइटर के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं।

जॉब में नहींरमा मन

शिव्यानाथ सिंगापुर टूरिच्म बोर्ड में डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया प्रोफेशनल के तौर पर डेस्क जॉब कर रही थीं। जब भी मौका मिलता, वीकेंड पर कहीं घूमने निकल जातीं। जो मन में आता, उसे लिख डालतीं। शिव्या कहती हैं, 2011 की गर्मियों में मैंने जॉब से दो महीने का ब्रेक लिया और यूरोप के कंट्रीसाइड की ओर निकल पड़ी। यूरोप के अलावा इंडिया में हिमालय का सफर भी किया। उन दो महीनों में इतना सुकून मिला कि कॉरपोरेट जॉब छोड़ दी। इंडिया लौट आई और पूरी तरह से ट्रैवल राइटिंग पर फोकस कर लिया। शुरू में सिर्फ ऑनलाइन राइटिंग की। इससे पोर्टफोलियो बनाने में मदद मिली। साथ ही कॉन्फिडेंस लेवल भी काफी बढ़ गया।

क्रिएटिविटी से कमाई

शिव्या ट्रैवल राइटिंग को एक चैलेंजिंग और टफ प्रोफेशन मानती हैं, लेकिन कहती हैं कि इसका अपना एक अलग रोमांच है। शुरुआत में ज्यादा इनकम न भी हो, तो इसमें क्रिएटिव सैटिस्फैक्शन है। यहां वह अपनी बॉस हैं। शिव्या की मानें तो एक अच्छा राइटर फ्रीलांसिंग के जरिए चाहे तो बढि़या कमाई कर सकता है। वह खुद फ्रीलांस ट्रैवल राइटर, ब्लॉगर और सोशल मीडिया कंसल्टेंट के रूप में अच्छा-खासा अर्न कर रही हैं। इंडियन के अलावा इंटरनेशनल न्यूजपेपर्स, बीबीसी ट्रैवल, फो‌र्ब्स ट्रैवल गाइड, याहू और ब्रिटेनिका के अलावा नेशनल च्योग्राफिक जैसी मैगजीन्स के लिए लिख रही हैं। इन सबके अलावा शिव्या इंडिया अनट्रैवल्ड नाम से एक ट्रैवल पोर्टल भी चलाती हैं।

ऑनलाइन मीडिया का रोल

शिव्या की मानें तो फ्रीलांसिंग अब पहले की तरह वन वे गेम नहीं रहा। एडिटर्स से आपको कनेक्टेड रहना पड़ता है। खासकर जब हजारों लोग फ्रीलांस राइटिंग असाइनमेंट्स पर काम कर रहे हैं, तो ऑनलाइन प्रोफाइल से ही आपकी विश्वसनीयता और विशिष्ट पहचान कायम होती है।

राइटिंग की इनोवेटिव मार्केटिंग

हर किताब अपने आप में बहुत स्पेशल और यूनीक होती है, उसकी मार्केटिंग भी यूनीक होती है। बस उसकी यूनीकनेस ढूंढ़कर रीडर्स के सामने पेश कर देना है, फिर हाथों-हाथ बिक जाती है किताब ।?

मार्केटिंग ऑफ बुक

मार्केटिंग के दो आस्पेक्ट्स होते हैं, एक बेसिक और दूसरा इनोवेटिव।?बेसिक मार्केटिंग के तहत रिसोर्सेज और फंड को ध्यान में रखते हुए बुक की ऑनलाइन मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग की जाती है। पी आर एजेंसी के जरिए ब्रांड बिल्डिंग की जाती है। दूसरा तरीका होता है इनोवेटिव मार्केटिंग का, जिसमें हर किताब की अलग तरीके से मार्केटिंग करनी पड़ती है। बुक प्रमोशन के लिए बड़ा और यूनीक आइडिया चाहिए, जो आपकी किताब को हिट करा दे। कुछ इसी सोच के साथ दिल्ली की लिपिका भूषण ने बुक मार्केटिंग की वेबसाइट मार्केट माई बुक लॉन्च की। इससे पहले 2007 से अप्रैल 2013 तक उन्होंने हार्पर कॉलिंस में बुक मार्केटिंग का काम किया।

जब रम गया मन

लिपिका को कभी अंदाजा नहीं था कि वह बुक्स के लिए मार्केंिटंग करेंगी। इस बारे में लिपिका बताती हैं, जो एक बार पब्लिशिंग और बुक मार्केंिटग के फील्ड में आता है, वह फिर यहींरम जाता है। लिपिका को किताबें पढ़ने या लिखने का कोई खास शौक नहीं था, लेकिन अब वह मार्केटिंग के लिए आने वाली हर किताब को अच्छी तरह से पढ़ती हैं, ताकि उसका यूएसपी समझ में आ सके।

अंडरस्टैंड द मार्केट

मार्केटिंग और पीआर पर्सन के लिए सबसे जरूरी है अच्छे कॉन्टैक्ट्स का होना। इसके बाद उसमें यह एबिलिटी हो कि वह मार्केट की डिमांड समझ सके। यह समझ सके कि लोग क्या पसंद कर रहे हैं और क्या नहीं। कई बार किताब की कोई ऐसी खासियत सामने रखे कि डिमांड क्रिएट हो जाए।

मार्केटिंग का आइडिया इस बात से निकला था कि कई ऐसे राइटर्स हैं, जो बहुत अच्छे राइटर्स हैं। मैंने एक कंपनी शुरू की और सौभाग्य से ईश्वर देसाई की किताब के साथ शुरूआत हुई मेरी। हर तीन महीने पर मेरा एक नया राइटर रहता है। छोटे पब्लिशर भी रहे हैं जैसे। ऐसे राइटर भी हैं जो डायरेक्टली मेरी सर्विस लेते हैं।

आपको कुछ अलग सोचना पड़ता है। इसमें कुछ ऐसी चीजें हैं जो काम करेंगी ही करेंगी जैसे कोई मर्ज लेकर आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको बीमारी के हिसाब से तो देता ही है, आपकी बॉडी के हिसाब से कुछ घटा-बढ़ा भी देता है। मान लीजिए ऑथर का प्रोफाइल ऐसा है कि वो मीडिया और पीआर डाइवर्ट रहेगा। कई बार ऐसा होता है कि नहीं हो पाएगा। तो हमें उसे इस तरह देखना पड़ता है कि क्या हम उनसे कोई टाई-अप कर सकें। वो ऑफलाइन रिटेल हो या ऑनलाइन हो वो तो लेनी ही पड़ेगी। पहली बात तो आपके सही कॉन्टैक्ट्स होने चाहिए। आप किसी भी चीज की मार्केटिंग नहीं कर सकते। पॉसिबिलिटी होनी चाहिए कि क्या चीज आप किस हद तक पुश कर सकते हैं।

किताबों में हिट करियर

हर साल किताबों की करोड़ों प्रतियां प्रकाशित करने वाली इंडियन बुक इंडस्ट्री तकरीबन 20 परसेंट सालाना की दर से ग्रो कर रही है। इस सदाबहार इंडस्ट्री के साथ जुड़ने के कई विकल्प आपके पास मौजूद हैं। अपनी योग्यता और पसंद के अनुसार इनमें से किसी का भी चयन किया जा सकता है।

इंडियन बुक मार्केट दस हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का है। दूसरे देश के लोग भी आउटसोर्सिग के जरिए यहां किताबें पब्लिश कराना चाहते हैं। इस इंडस्ट्री की ग्रोथ और विदेशियों के इसकी ओर आकर्षित होने से यहां युवाओं के लिए जॉब आप्शन पहले की तुलना में और भी बेहतर हो गए हैं। बुक इंडस्ट्री में राइटिंग, डिजाइनिंग, मार्केटिंग फील्ड में तो जॉब के ऑप्शन हैं ही, अगर आप चाहें तो बुक प्रमोटर, बुक फेयर ऑर्गेनाइजर, कॉपीराइट एक्सपर्ट आदि के तौर पर भी काम कर सकते हैं।

राइटर्स : अभिव्यक्ति को आवाज

लोगों की सोच और लाइफस्टाइल में आए परिवर्तन के अनुसार राइटिंग फील्ड में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। यहां कुछ ऐसी फील्ड्स सामने आई हैं जिनमें नए राइटर्स के लिए काफी स्कोप हैं :

ट्रैवल राइटर : किसी जगह घूमने जाने से पहले लोग वहां के अट्रैक्शंस, रुकने के स्थान, करीब के स्टेशन, मशहूर चीजों, खाने-पीने की उपलब्धता, मौसम आदि के बारे में जानना चाहते हैं। ट्रैवल राइटर अपने ट्रैवल एक्सपीरियंस और जानकारियों से विभिन्न स्थानों के बारे में किताबें लिखकर ये इन्फॉर्मेशन लोगों तक पहुंचाते हैं।

टेक्निकल राइटर : टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी से रिलेटेड इन्फॉर्मेशन स्टेप बाई स्टेप आसान शब्दों में इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि साधारण पाठक को भी चीजें पूरी तरह क्लियर हो जाती हैं। इस तरह की राइटिंग के लिए अपनी फील्ड से जुडे़ सभी नए अपडेट्स की जानकारी और अंग्रेजी पर कमांड होना जरूरी है।

फूड राइटर : शेफ और रेसिपीज की इन्फॉर्मेशन रखने वाले राइटर्स की किताबों की डिमांड बढ़ती जा रही है। इस तरह की किताबों के राइटर देश-विदेश की नई रेसिपीज के बारे में बताते ही हैं, साथ ही उनकी क्वालिटी इंप्रूव करने और न्यूट्रिशन बनाए रखने, कैलोरी चार्ट आदि की जानकारी भी देते हैं।

मोटीवेशनल राइटर : मोटीवेशनल राइटर अपनी किताबों के जरिए ऐसी एनर्जी फैलाते हैं, जिससे लोगों को आगे बढ़ने का हौसला मिलता है। अपने विचारों और टिप्स के जरिए वे हर व्यक्ति में सफल होने का भरोसा जगाते हैं। इस तरह की राइटिंग करने वाले मनोभावों को समझने और तार्किक ढंग से अपनी बात कहने में माहिर होते हैं।

साइंस राइटर : साइंस राइटर अपनी किताबों से विभिन्न विषयों पर किए जा रहे रिसर्च की जानकारी पूरे डाटा और विश्लेषण के साथ रीडर्स तक पहुंचाने का काम करते हैं। इनकी डिमांड साइंस जनरल पब्लिश करने वाले पब्लिकेशंस में अधिक है।

पब्लिशर : कंप्लीट रिस्पांसिबिलिटी

बुक पब्लिकेशन से जुड़े सभी पहलुओं की रिस्पांसिबिलिटी बुक पब्लिशर की है। अच्छे कंटेंट और राइटर्स को प्रमोट करके लोगों के सामने लाना और कंपनी के आर्थिक हितों को पूरा करना, इनकी जिम्मेदारी है। पब्लिशर को इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि बुक में प्रकाशित कंटेंट से समाज के किसी वर्ग की भावना को ठेस न पहुंचे।

किताब की प्लानिंग से लेकर उसे पाठक तक पहुंचाने की कंप्लीट रिस्पॉसिबिलिटी पब्लिशर की ही होती है।

ट्रांसलेटर : लैंग्वेज नो बार

दूसरी भाषा में लिखी गई अच्छी किताबें भी लोग पढ़ना चाहते हैं, लेकिन भाषा की समस्या सामने आ जाती है। इस समस्या का समाधान ट्रांसलेटर करते हैं। ये अपनी भाषा के साथ-साथ किसी दूसरी भाषा की जानकारी भी रखते हैं। अच्छा ट्रांसलेटर बनने की लिए दोनों भाषाओं पर कमांड होना जरूरी है।

बुक प्रमोटर : घर-घर पहुंचाए

किताब की अच्छी सेल के लिए जरूरी है कि उसकी पब्लिसिटी भी ठीक से की जाए। बड़े पब्लिकेशंस में बुक प्रमोटर रखे जाते हैं जो किताब के बाजार में आने से पहले ही उसकी खूबियों के बारे में मीडिया के विभिन्न अंगों और सोशल नेटवर्किग साइट्स का प्रयोग कर लोगों को बताते हैं।

मार्केटिंग मैनेजर : मार्केट में फेस

मार्केटिंग मैनेजर अपने पब्लिकेशन की नई किताबों को जल्द से जल्द रीडर्स तक पहुंचाता है। अपने ग्रुप के लिए नए मार्केट की तलाश करना और मार्केट में किताबों को लेकर चल रही एक्टिविटीज की जानकारी ग्रुप को देना इसका मुख्य काम है।

ऑर्गेनाइजर : इंटरैक्टर

ये किताबों के प्रमोशन और उनके लेटेस्ट ट्रेंड से लोगों को परिचित कराने के लिए बुक फेयर ऑर्गेनाइज करते हैं। कई बड़े पब्लिशर्स, चर्चित राइटर्स को एक ही स्थान पर बुलाकर लोगों के साथ उनका इंटरैक्शन कराकर रीडर्स की डिमांड सीधे पब्लिशर्स और राइटर्स तक पहुंचाना इनका काम है।

कॉपीराइट एक्सपर्ट : चोरी पर नजर

इस फील्ड में लीगल इश्यू भी सामने आते रहते हैं। इन इश्यूज को सॉल्व करने के लिए पब्लिकेशन हाउस अपने यहां कॉपी राइट या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट एक्सपर्ट को रखते हैं।

डिजाइनर : लेआउट का अट्रैक्शन

ग्राफिक डिजाइनिंग की ट्रेनिंग लेकर इंडियन बुक इंडस्ट्री के साथ एक पेजनेटर, कवर डिजाइनर आदि के रूप में जुड़ सकते हैं। बुक डिजाइनर डाटा, टेक्स्ट, फोटोग्राफ के यूज से बुक को लुक वाइज भी आकर्षक बनाते हैं।

प्रिफर्ड स्किल्स : खुद को करें तैयार

बुक राइटर

-लिखने से पहले रिसर्च की आदत

-विजुअलाइजेशन पावर और क्रिएटिविटी

-लैंग्वेज पर कमांड

-सब्जेक्ट और थीम पर फोकस

ट्रांसलेटर

-भावानुवाद की काबिलियत

-बोलचाल की भाषा की जानकारी

बुक प्रमोटर

-कम्युनिकेशन के सभी तरीकों की नॉलेज

-प्रॉपर बिजनेस सेंस

बुक फेयर ऑर्गेनाइजर और मार्केटिंग मैनेजर

-लोगों को कनेक्ट करने की क्वॉलिटी

-टारगेट ग्रुप की पहचान करना

कॉपी राइट एक्सपर्ट

-लीगल इश्यूज पर कमांड

-तथ्यों पर रिसर्च की आदत

डिजाइनर

-विजुअलाइजेशन और क्रिएटिविटी

-नए सॉफ्टवेयर्स से अपडेट रहने की आदत

पॉपुलर कोर्स

-सर्टिफिकेट इन क्रिएटिव राइटिंग

-डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग

-डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग (डिस्टेंस लर्निग)

-पीजी डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग

एलिजिबिलिटी

क्रिएटिव राइटिंग के अधिकतर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स के लिए कैंडिडेट का सीनियर सेकंडरी पास होना जरूरी है। पीजी कोर्स के लिए मिनिमम क्वालिफिकेशन ग्रेजुएशन मांगी जाती है।

सैलरी

इस इंडस्ट्री में आमतौर पर सैलरी की शुरुआत 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह से होती है। राइटर्स की इनकम अधिकतर रॉयलिटी या कॉन्ट्रैक्ट बेस पर डिसाइड की जाती है।

इंस्टीट्यूट्स

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,

नई दिल्ली, www.ignou.ac.in

जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली www.jmi.ac.in

-कोलकाता यूनिवर्सिटी, कोलकाता www.caluniv.ac.in

-कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी, कर्नाटक www.karnatakastateopenuniversity.in

भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली www.bvbdelhi.org -भीमराव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद
www.baou.org

-ब्रिटिश काउंसिल ऑफ इंडिया

www.britishcouncil.in

कॉन्सेप्ट : मिथिलेश श्रीवास्तव, मो. रजा, अंशु सिंह, शरद अग्निहोत्री