ऐप डेवलपमेंट फ्यूचर है ब्राइट
ऐप के मामले में भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे तेजी से उभरता हुआ मार्केट बन चुका है। इसमें सबसे बड़ा रोल स्मार्टफोन यूजर्स की बढ़ती संख्या को माना जा रहा है। गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 तक 268 अरब से भी ज्यादा बार मोबाइल ऐप्स डाउनलोड किए
ऐप के मामले में भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे तेजी से उभरता हुआ मार्केट बन चुका है। इसमें सबसे बड़ा रोल स्मार्टफोन यूजर्स की बढ़ती संख्या को माना जा रहा है। गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 तक 268 अरब से भी ज्यादा बार मोबाइल ऐप्स डाउनलोड किए जाएंगे, जिससे 77 अरब डॉलर से अधिक का रेवेन्यू जेनरेट होगा। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सेक्टर में किस पैमाने पर जॉब अपॉच्र्युनिटीज क्रिएट होंगी। आज भी जिस तरह से मोबाइल ऐप टेलीविजन, कार नेविगेशन, एंटरटेनमेंट, शॉपिंग, कॉमर्स और बैंकिंग के साथ जुड़ चुके हैं, उसे देखते हुए टैलेंटेड ऐप डेवलपर्स की मार्केट में डिमांड और तेजी से बढ़ रही है।
क्या है ऐप डेवलपमेंट
मोबाइल फोन, टैबलेट, स्मार्ट वॉचेज या डिजिटल असिस्टेंट्स जैसे डिवाइसेज के लिए एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर क्रिएट करने की प्रक्रिया को मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपमेंट या ऐप डेवलपमेंट कहते हैं। यह किसी भी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की तरह होता है। हालांकि ऐप ऐसा होना चाहिए जो ट्रेडिशनल डेस्कटॉप या वेब एप्लीकेशन की तुलना में स्मॉल स्क्रीन, कम मेमोरी, कम प्रोसेसिंग पॉवर और ज्यादा से ज्यादा यूजर्स द्वारा संचालित किया जा सके। एक आम धारणा यह है कि ऐप्स किसी भी मोबाइल डिवाइस के लिए सिंपल या फ्लैशी गेम्स या प्रोग्राम्स की तरह काम करते हैं, जबकि हकीकत यह है कि ऐप्स हमारे जीवन के हर पल को प्रभावित कर रहे हैं, जैसे-इन दिनों फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल साइट्स और गेम्स के अलावा शॉपिंग या सर्विस में भी ऐप्स का खूब इस्तेमाल हो रहा है। इन ऐप्स को मैन्युफैक्चरिंग के समय प्री-इंस्टॉल या कस्टमर द्वारा डाउनलोड किया जा सकता है।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
ऐप डेवलपर बनने के लिए कंप्यूटर साइंस या सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री होना आवश्यक है। ऐप डेवलपमेंट में coursera, udacity या udemy के स्पेशलाइज्ड ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं। इंडिया में कई प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स ऐप्स डेवलपमेंट में शॉर्ट टर्म या डिप्लोमा कोर्स संचालित करते हैं। सी, सी प्लस प्लस जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी सीख सकते हैं।
बेसिक स्किल्स
ऐप डेवलपर्स को सबसे पहले अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी का ध्यान रखना होता है कि वह हर प्रकार के स्क्रीन साइज, कनेक्शन टाइप, डिवाइस या ऑपरेटिंग सिस्टम पर संचालित किया जा सके। इसके लिए रिजल्ट ओरिएंटेड होना जरूरी है। साथ ही, समय-समय पर ऐप को अपडेट और इंप्रूव करना आना चाहिए। आपको क्लाइंट्स की जरूरतों की समझ होनी चाहिए। सिक्योरिटी या बग की समस्या कभी भी फिक्स करनी पड़ सकती है। आखिरी समय में कंपनी मैनेजमेंट के कहने पर फीचर में बदलाव करने पड़ सकते हैं। आपके पास जितने रिसोर्सेज होंगे, उतना ही अच्छा रहेगा।
ग्रोइंग फील्ड
मोबाइल एप्लीकेशन मार्केट बहुत तेजी से ग्रो कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, हर भारतीय प्रतिदिन औसतन 52 मिनट मोबाइल ऐप पर गुजारता है। सिर्फ आम यूजर्स ही नहीं, बल्कि बिजनेस और इंस्टीट्यूशनल यूजर्स भी स्ट्रेटेजी बनाने में इनका इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके अलावा, जिस तरह से आए दिन नए ऐप्स लॉन्च हो रहे हैं, उसे देखते हुए कंपनियां तेजी से स्किल्ड ऐप डेवलपर्स की हायरिंग कर रही हैं। खासकर उन्हें हाथों-हाथ लिया जा रहा है, जो खुद से ऐप्स डेवलप कर रहे हैं। एक ऐप डेवलपर को शुरुआत में तीन से पांच लाख रुपये सालाना मिल जाते हैं।
मार्केट में बढ़ी डिमांड
इंडिया में आइफोन, आइपैड या किसी नए एंड्रॉयड डिवाइस के ऐप डेवलपर्स की आज भी कमी है। जबकि एक अनुमान के अनुसार, 2016 तक कंज्यूमर मोबाइल ऐप्स से दुनिया भर में करीब 50 अरब डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट होने की संभावना है, यानी आने वाले समय में ऐप डेवलपर्स के लिए अपॉच्र्युनिटीज की भरमार होगी।
चंदन गुप्ता, सीइओ, फोन वॉरियर
टॉप इंस्टीट्यूट्स
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप ऐंड स्माल बिजनेस डेवलपमेंट, नोएडा
http://niesbud.nic.in/
-एपेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टीमीडिया, कोयंबटूर
www.apexmultimediaz.com
-एंड्रॉयड इंस्टीट्यूट, कोलकाता
http://androidinstitute.in/
इंटरैक्शन : अंशु सिंह