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काबिलियत से कामयाबी

पुरानी कहावत है कि आपका धन, रुपया, पैसा तो कोई भी चुरा सकता है, छीन सकता है, लेकिन नहीं छीनी जा सकती है तो आपकी काबिलियत, आपके गुण। आप कितनी ही मुसीबत में क्यों न हों, वक्त कितना ही उल्टा क्यों न चल रहा हो आप अपने ऐसे ही खास गुणों, स्किल्सके बल पर इस उल्टे चल रहे वक्त को अपने मुफीद बना सकते हैं। खुद हमारे इतिहास में ही ऐसे न जाने कितने उदाहरण मौजूद हैं कि एक बेहद आम व्यक्ति ने अपनी काबिलियत की बदौलत कामयाबी पाई और आज भी बतौर मिसाल याद किए जाते हैं। यदि आप भी कॅरियर संघर्ष के भारी झंझावतों से पार पाना चाहते हैं तो अपनी क्षमताओं पर भरोसा करें और खुद में समाई एक ऐसी स्किल को निखारें, उसे संवारें जो कॅरियर के हर पड़ाव पर आपकी ताकत बने..

By Edited By: Published: Wed, 21 Nov 2012 05:33 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2012 12:00 AM (IST)

इंजीनिय¨रग

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काबिलियत से बनेगी तकदीर

आज 12वींबाद हर बच्चा बीटेक करने का ख्वाब यूं ही नहीं पाल लेता है। दरअसल इस क्षेत्र में पिछले दो दशकों में आए जोरदार बदलावों ने इसे सबसे बडा जॉब मार्केट बना दिया है। आज यहां बडी संख्या में काबिल डिग्रीधारकों की जरूरत है। लेकिन इन डिग्रीधारकों में कामयाबी का शिखर उन्हीं को नसीब होगी जिनमें खास गुण मौजूद होंगे।

हरदम सीखने का नजरिया- अच्छा इंजीनियर वही है, जो हर तकनीकी गुत्थी को सुलझाने में यकीन रखे। लेकिन आजकल के युवा में इसकी कमी देखी जा रही है। यहां यदि तकनीकी विषयों जैसे मैथ्स, फिजिक्स व केमिस्ट्री पर पकड के साथ रुचि नहीं है, तो सफल नहीं हो सकते हैं।

तकनीक की परख- प्रोफेशनल वर्किग के दौरान ये चीजें खासी मदद देंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि डिग्री होल्डर इंजीनियर कंप्यूटर फ्रैंडली तो हैं, लेकिन जिस क्षेत्र में उनसे विशेषज्ञता की दरकार है, उसमें उन्हें महारत नहीं हासिल है।

मेडिकल

दर्द को समझो अपना दर्द

दर्द किसी का भी हो उसे अपने सीने में महसूस करने का हुनर ही आपको मेडिकल के क्षेत्र में सफल बनाएगा। भारत जैसे बडी आबादी वाले देश में जहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहले से कमी हो, मेडिकल सेक्टर में करने को बहुत कुछ है। बस दरकार है कुछ खास गुणों की।

- सेवा भाव- रोगियों, लाचारों का इलाज करते वक्त उनके प्रति समर्पण की भावना इस फील्ड में सफलता की गारंटी है। आज डॉक्टरी का पेशा अपनाने वालों में समर्पण की भावना कम, वित्तीय रुझान ज्यादा है।

- मानसिक ताकत- यहां कई मौके ऐसे आते हैं, जब आपकी मानसिक दृढता की परीक्षा होती है। दृढता मानसिक मजबूती से आती है। ऑड वर्किग ऑवर, मरीजों का दर्द, लंबे काम के घंटों के बीच युवाओं में जो मानसिक दृढता चाहिए, आज उनमें इसकी कमी है।

- राइट टाइम टू गिव फाइनल पंच- भूल शब्द डॉक्टर की डिक्शनरी में नहीं होता। उनकी एक चूक से जान चली जाती है। यही कारण है कि उन्हें धरती पर भगवान का दर्जा प्राप्त है। यह गुण लंबे अनुभव से ही आता है।

मीडिया

संघर्ष से मिलेगा सफलता का पथ

मीडिया में ग्लैमर की तो कमी नहीं है, लेकिन इस ग्लैमर को पाने का सफर बडा ही टेढा मेढा व संघर्षो से भरा है। आज बहुत से युवा इस ऊपरी चमक-दमक को देखकर इस फील्ड में आ तो जाते हैं, लेकिन कुछ अहम स्किल्स के अभाव में मनचाही सफलता अर्जित नहीं कर पाते।

- मजबूत भाषा- इस फील्ड में हिंदी-इंग्लिश दोनों ही भाषाओं पर पकड बहुत जरूरी है। अगर आप इन दोनों ही भाषाओं में निपुण हैं तो आपको यहां कामयाब होने से कोई?नहीं रोक सकता है।

- टाइम के साथ जुगलबंदी- मीडिया डेड लाइन बेस्ड प्रोफेशन है, जहां टाइम का मतलब ही है सफलता, दूसरों से आगे। लेकिन वक्त के साथ की जाने वाली इस भागम-भाग में अक्सर मीडिया प्रोफेशनल्स पर बहुत अधिक दबाव हो जाता है। यही कारण है कि आज इस फील्ड में टिकने वाले लोग कम ही हैं।

- नो वर्किग ऑवर: इस फील्ड में आप तभी आएं, जब किसी भी समय काम करने के लिए तैयार रहें और देश के किसी भी कोने में जाने को तत्पर रहें। इस तरह की वर्किग कंडीशन में ढलने में कई युवा असफल साबित होते हैं।

डिफेंस

किलर इंस्टिंक्ट है बडा हथियार

कहा जाता है? कि सरहद पर जान देने से बडा नशा और कोई?नहीं है। लेकिन इस क्षेत्र में जाने से पहले आपमें कुछ ऐसे गुणों का होना आवश्यक है?जो दुश्मन के दिलों में सिरहन पैदा कर दे। यदि आप में भी ऐसे ही गुण हैं तो डिफेंस में कॅरियर एक सही विकल्प है।

- बॉडी फिट तो सब फिट- इस फील्ड में वही लोग बेहतर कर सकेंगे, जिनकी फिजिकल फिटनेस का स्तर व स्टेमिना असाधारण होगा। पर आज युवाओं की शारीरिक क्षमता/फिटनेस स्तर नीचे आया है। शायद यही कारण है कि बडी से बडी रिक्रूटमेंट ड्राइव में भी सेना को निराशा ही हाथ लगती है। यहां आज उन्हें अपने स्तर के लायक युवा नहीं मिल पा रहे है।

- त्वरित निर्णय- युद्ध की परिस्थितियों या फिर आंतकरोधी अभियानों में कुछ सेंकेड में लिए गए निर्णय लडाई का रुख मोड देते हैं। इस कारण डिफेंस में तेज निर्णय क्षमता की सख्त जरूरत होती है।

- अनुशासन- डिफेंस में इंट्री का पहला और आखिरी मंत्र अनुशासन है। बगैर इसके यहां एक पग बढाना भी मुश्किल होगा।

मैनेजमेंट

आप बढो तो सब बढें

वो दिन गए, जब अंगुलियों पर गिने जाने लायक एमबीए हुआ करते थे और नौकरी पाना एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं हुआ करता था। पर अब तो एमबीए डिग्रीधारकों की भरमार है। लिहाजा अब जॉब उसी को मिल रहा है, जो कंपनी की अपेक्षाओं पर खरा उतरे। इस कसौटी पर सफल होने के लिए खास स्किल्स डेवलप करनी होगी।

- प्रबंधकीय कौशल- इस क्षेत्र में सफल होने के लिए आपको चीजों को बेहतर ढंग से मैनेज करने की कला आनी चाहिए। इस तरह के गुण तभी आ सकते हैं, जब आपमें लोगों की बातें समझने और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता होगी।

- स्पीकिंग इंग्लिश- आज इंग्लिश भाषा अपना ग्लोबल प्रभाव रखती है। इस कारण इस क्षेत्र में कामयाब वहीं हैं, जो इंग्लिश बोलने में सहज हैं। इस इंडस्ट्री में अधिकतर मैनेजमेंट डिग्री प्राप्त प्रोफेशनल, बेरोजगार इसी कारण हैं कि उन्हें अच्छी अंग्रेजी नहीं आती है।

- परफेक्ट नॉलेज- इन गुणों के अलावा व्यवासायिक क्षेत्रों में क्या बदलाव हो रहे हैं, इस बारे में सरकारी नीतियां क्या हैं, कॉरपोरेट सेक्टर का क्या मूड है, आने वाले दिनों में मार्केट ट्रेंड कैसा रहने वाला है, ब्रांड्स की समझ इत्यादि यहां बहुत आवश्यक हैं। यह गुण तभी आ पाएंगे, जब आपको इस क्षेत्र में रुचि होगी।

- टीम कोऑर्डिनेशन- टीम में काम करने की कला एक बडी क्वालिटी होती है। यदि आप कॉरपोरेट सेक्टर में काम कर रहे हैं और टीम वर्क पर यकीन नहीं करते तो जान लें कि कंपनी के साथ-साथ आप पर भी इसका बुरा असर पडेगा।

बैंक

इरादों में दम तो हर चुनौती है कम

बैकिंगसेक्टर में कॅरियर बूम आज आसानी से देखा जा सकता है। यहां अवसरों की बढी दर के कारण युवा तेजी से इस ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ-साथ बैंकों से युवाओं का स्विचओवर रेट भी बढा है। इसका सबसे प्रमुख कारण है बैंक में काम करने के लिए जरूरी स्किल्स की कमी।

- कैलकुलेशन में है राह- यह क्षेत्र पूरी तरह गणनाओं पर ही चलता है। वे छात्र जिनकी कैलकुलेशन पॉवर अच्छी है, यहां बहुत आगे तक बढते हैं। इसके साथ ही करेंट नॉलेज भी जरूरी है।

- कूल रहना जरूरी- इस सेक्टर में आपको कई बार शार्ट टेंपर्ड ग्राहकों से भी निपटना होता है। ऐसे मे मानसिक रूप से सुलझे व ठंडा दिमाग रखने वाले युवा बैकों की पहली पसंद होते हैं।

टीचिंग

अध्ययन आएगा काम

टीचिंग में इन दिनों कॅरियर बनाने वालों की कमी नहीं है। बेहतर सैलरी, काम के निश्चित घंटे, सुविधाओं के चलते यह क्षेत्र हॉट फे वरेट बन चुका है। लेकिन बहुत बार इस फील्ड से युवा असंतुष्ट रहते हैं, कारण-अध्यापन के लिए जरूरी क्वालिटी/ स्किल्स की कमी।

- गहन ज्ञान है पहली शर्त- विषय की गहरी नॉलेज शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता पाने की पहली शर्त?है। इस फील्ड में इंट्री लेने वाले युवाओं में आज धीरज की बहुत कमी देखी जा रही है, जिसके चलते अध्यापन के दौरान छात्रों से सामंजस्य न बिठा पाना, आपा खो देना जैसी समस्याएं बहुत आम हैं। अगर आप इस पर काबू पा लेते हैं, तो आपके लिए टीचिंग जॉब सबसे उपयुक्त और बेहतर हो सकता है।

खुद को पहचानें

गुणों को निखारना एक सतत प्रक्रिया है। इस पर लगातार काम करके ही आप परफेक्शन हासिल कर सकते हैं..

बदलती वैश्विक जरूरतों, बदलते समय में कॅरियर की जरूरतें भी पहले से जुदा हुई हैं। आज आप सिर्फ फलां कोर्स? करके या फलां डिग्री हासिल कर कामयाब कॅरियर नहीं बना सकते हैं। आज तो ज्यादातर जॉब्स में इंट्री व प्रोग्रेस का पैमाना ही बदल चुका है। एक वैश्विक सर्वे से मिले आकंडे भी इनकी वकालत करते हैं, जिसके मुताबिक आज कोई भी कंपनी अपने कर्मचारियों के वर्किग आउटपुट के लिए इंतजार नहीं करती। वह चाहती है कि इम्प्लाई पहले ही दिन से कंपनी की मेनस्ट्रीम वर्किग में शामिल हो जाएं। ऐसे में कॉलेज लेवल पर चलने वाले फिनिशिंग स्कूल, इंटर्नशिप कोर्सेस जॉब फ्रंट पर आपको और काबिल बनाते हैं।

खुद पर भरोसा है कामयाबी का मंत्र

एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स का जीवन, कॅरियर मार्केट में स्किल्स की अहमियत बयां करने वाली परफेक्ट केस स्टडी है, जिसका अध्ययन कर कोई भी तरक्की के पंख पा सकता है। 20 साल की उम्र में उन्होंने एक छोटे से गैराज में एप्पल कंपनी खोली थी। जो महज दस साल के अंतराल में 2 बिलियन डॉलर व 4000 कर्मचरियों वाली विशाल कंपनी बन गई। लेकिन 30 के होते-होते स्टीव को खुद उनकी ही बनाई कंपनी से निकाल दिया गया। स्टीव बेराजेगार हो गए, उनका देखा हुआ सपना सार्वजनिक तौर पर फेल होता दिखा, उनके जैसे तमाम उद्यमियों के लिए यह बडा झटका था। पर असल कहानी तो यहां से शुरू हुई?थी। इसके बाद उन्होंने अपनी नई कंपनियां नेक्स्ट व पिक्सर शुरू कीं, जो आगे चलकर सिलिकॉन वैली की सबसे चमचमाता नाम बन गई। आगे स्टीव ने खुद माना कि एप्पल से निकाला जाना उनके कॅरियर का सबसे बडा बे्रकथ्रू था, यह न हुआ होता तो शायद स्टीव स्टीव न होते। आज कॅरियर के फ्रंट पर स्टीव जॉब्स की यह छोटी सी कहानी लाखों युवाओं को सबक दे रही है, और बता रही है कि आपके पास किसी काम करने का खास गुण है, तो अच्छा होगा कि इन गुणों के जरिए कॅरियर मार्केट में बेस्ट डील अंजाम दें।

सरकारी प्रयासों का दिखता रंग

आज सरकार अपने देश की कार्ययोग्य जनता की कार्यदक्षता बढाने हेतु प्रयासरत है। लिहाजा इस बार के वित्तीय बजट में सरकार ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट फंड के अंतर्गत दिए जाने वाले फंड को 1000 करोड रुपये से बढाकर 2500 करोड कर दिया है। इसके अलावा के्रडिट गांरटी स्कीम व रोजगारपरक कोर्स संचालित करने वाले संस्थानों को सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर किया गया है। यही नहीं, युवाओं की स्किल बेस्ड इंडस्ट्री में राह आसान करने के लिए सरकार बैंकों के जरिए भी उन्हें वित्तीय मदद पहुंचाती है। देश में कौशलपूर्ण?कामगारों की जरूरत अरसे से महसूस की जा रही थी। इसको पूरा करने के लिए अक्टूबर 2009 में नेशनल स्किल डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन की शुरुआत की गई। क्रमश: 49 व 51 फीसदी सरकारी व निजी सहभागिता से चलने वाली अपनी तरह की यह पहली संस्था सन 2022 तक देश में 50 करोड स्किल्ड इम्प्लाई? बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। अब तक एनएसडीसी ने 21 की सेक्टर चिथ्ति किए हैं।

जेआरसी टीम


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