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'क्यों नहीं अनुबंध समाप्त करते हुए आपको बर्खास्त कर दिया जाए'

---जागरण फॉलोअप--- - अभियान निदेशक ने जिला लेखा प्रबधंक सुजीत को किया शो-कॉज- सात दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने का सुजीत कुमार चौधरी को मिला अल्टीमेटम-उपायुक्त ने सदर अस्पताल में पदस्थापित डैम को बर्खास्त करने की थी अनुशंसा

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 07:59 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 07:59 PM (IST)
'क्यों नहीं अनुबंध समाप्त करते हुए आपको बर्खास्त कर दिया जाए'

जागरण संवाददाता, चाईबासा : सदर अस्पताल, चाईबासा में पदस्थापित नेशनल हेल्थ मिशन (एचएचएम) के जिला लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी को अभियान निदेशक (एचएचएम) ने गुरुवार को शो-कॉज किया है। अभियान निदेशक ने सुजीत कुमार चौधरी को स्पष्टीकरण करते हुए लिखा है कि पश्चिमी सिंहभूम के जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त की ओर से आपके विरुद्ध अनाधिकृत रूप से कार्यालय से अनुपस्थित रहने एवं उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाते हुए आपको कार्यमुक्त करने की अनुशंसा की गयी है। साथ ही आपको कार्यशैली में सुधार लाने के लिए पूर्व में भी अंतिम चेतावनी दी जा चुकी है। अत: आप अपना स्पष्टीकरण सात दिनों के अंदर समर्पित करना सुनिश्चित करें कि क्यों नहीं आपका अनुबंध समाप्त करते हुए आपको कार्यमुक्त कर दिया जाये। दरअसल, पश्चिमी सिंहभूम जिला के सिविल सर्जन डा. ओम प्रकाश गुप्ता के साथ चल रहे विवाद और मनमाने रवैये की वजह से उपायुक्त अनन्य मित्तल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक से जिला लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी को बर्खास्त करने की अनुशंसा कर रखी है। आरोप है कि पश्चिमी सिंहभूम जिला के असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने 16 अप्रैल 2021 को कोविड-19 के संदर्भ में विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों एवं फंड के संबंध में डैम सुजीत कुमार चौधरी को खोजे जाने पर कर्तव्य स्थल से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित पाया था। इसके आलोक में सिविल सर्जन ने सुजीत कुमार चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा था। सुजीत ने अपना स्पष्टीकरण 20 अप्रैल को दिया। स्पष्टीकरण असंतोषजनक एवं अस्पष्ट पाये जाने की वजह से 21 अप्रैल को पुन: डैम से स्पष्ट जवाब एवं साक्ष्य सहित सिविल सर्जन के माध्यम से समर्पित करने को कहा गया था। डैम सुजीत कुमार चौधरी ने इसके आलोक में 26 अप्रैल को अपना स्पष्टीकरण सीधे उपायुक्त को प्रेषित कर दिया था। इसके बाद 1 जून को फिर से सिविल सर्जन ने प्रतिवेदन दिया कि सुजीत कुमार चौधरी का कार्यकलाप सही नहीं है। वे सिविल सर्जन के आदेशों का अनुपालन नहीं करते हैं। सुजीत कुमार चौधरी पर यह भी आरोप है कि कोविड-19 के दौरान विभिन्न फार्मा कंपनियों, उपकरण आदि की क्रय के विरुद्ध भुगतान में चौधरी के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के तथा निविदा को अनावश्यक रूप से विलंब करने तथा वेंडरों को अनावश्यक रूप से तंग करने के कारण वेंडरों में असंतोष है एवं उनके द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कार्यों में रूचि नहीं ली जा रही है।

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