पश्चिमी सिंहभूम में कोहरे के कारण दो से चार मिनट ही दिखा सूर्यग्रहण नजारा
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का नजारा पश्चिमी सिंहभूम जिले के लोगों ने देखा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं था इसलिए चंद्रमा की छाया सूर्य का पूरा भाग नहीं ढक पाई। भारत में सुबह 8 बजे से ग्रहण लगा और दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर खत्म हुआ।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का नजारा पश्चिमी सिंहभूम जिले के लोगों ने देखा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं था इसलिए चंद्रमा की छाया सूर्य का पूरा भाग नहीं ढक पाई। भारत में सुबह 8 बजे से ग्रहण लगा और दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर खत्म हुआ। साल के इस आखिरी सूर्य ग्रहण को देखने के लिए प्रथम संस्था की ओर से जिले 9 प्रखंडो के 39 जगहों में सूर्यग्रहण कैंप आयोजित किया गया था। कैंप में बच्चों और अभिभावकों में सूर्यग्रहण देखने को लेकर एक नई उमंग और ललक थी किन्तु सूर्य और बादल के बीच में लुका-छिपी के खेल के कारण मुश्किल से तकरीबन 2 से 4 मिनट तक ही सूर्य का अवलोकन हो सका। मनोहरपुर प्रखंड में इसका अवलोकन ज्यादा देर तक देखा गया। प्रथम संस्था के जिला समन्वयक प्रशांत मिश्रा ने बताया कि गुरुवार को कैंप के माध्यम से सोनुवा, चक्रधरपुर, बंदगांव, गोईलकेरा, मनोहरपुर, मझगांव, खूंटपानी एवं सदर के करीब 2187 बच्चों एवं 350 अभिभावकों ने सूर्यग्रहण का अवलोकन किया। सूर्यग्रहण को देखने के लिए प्रथम सदस्यों द्वारा कैंप में बॉल मिरर प्रोजेक्टर, सोलर फिल्टर चश्मे की व्यवस्था की गयी थी।
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तांतनगर के सेरेंगिबल में छात्रों ने अभिभावकों संग सूर्यग्रहण पर की चर्चा
तांतनगर प्रखंड अंतर्गत सेरेंगबिल गांव के मुंडा मानकी करवा एवं कुंडिया बिरुली ने गांव के सभी बच्चों एवं उनके अभिभावकों को सुबह आठ बजे ही एकत्र होने का आग्रह किया था। तय समय पर सभी लोग इस कैंप में शामिल भी हुए और इस खगोलीय घटना की जानकारी के साथ सावधानीपूर्वक सूर्यग्रहण के नजारे का आनंद लिया।
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गांव के एक अभिभावक ने सूर्यग्रहण के सन्दर्भ में एक दिलचस्प कहानी भी सुनाई। बताया कि सूर्य द्वारा चांद को उधारी न दे पाने के कारण चांद उसे गुस्से में निगल जाता है इसलिए ये घटना होती है लेकिन कैंप में शामिल उनके पुत्र सत्यजीत ने जब सूर्य ग्रहण के पीछे की वैज्ञानिक अवधारणा को सभी के बीच रखा तो वह गदगद हो उठे।
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खेरियासिदरी में की गई थी टेलीस्कोप से नजारा देखने की व्यवस्था ़
खेरियासिदरी गांव में सूर्यग्रहण को देखने के लिए प्रथम संस्था की तरफ से टेलिस्कोप की भी व्यवस्था की गई थी किन्तु असमान बादलो से ढके होने के कारण सूर्य स्पष्ट नहीं दिख सका। वहां के सभी बच्चे काफी उत्साहित थे क्योंकि वो पहली बार टेलेस्कोप के माध्यम से सूरज का अवलोकन करने वाले थे।