सहियाओं ने दी काम ठप करने की दी चेतावनी
पश्चिम सिंहभूम जिले के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत सहियाओं को पिछले छह महीने से प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हुआ है।
संवाद सहयोगी, चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत सहियाओं को पिछले छह महीने से प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हुआ है। इस मामले को लेकर सोमवार को सदर अस्पताल परिसर में बैठक हुई। इसमें विभिन्न प्रखंड की सहियाएं उपस्थित थीं। बैठक में कई बिदुओं पर विचार-विमर्श करते हुए कई निर्णय लिए गए। बैठक के बाद बकाया भुगतान से संबंधित एक ज्ञापन सिविल सर्जन को सौंपा गया। इसकी एक प्रति उपायुक्त अनन्य मित्तल के नाम भी सौंपी गई। इसमें बकाया भुगतान अविलंब कराने की मांग की गई है। जल्द भुगतान नहीं होने पर कार्य को ठप करने की चेतावनी दी गई। कहा कि खूंटपानी, तांतनगर व मंझारी प्रखंड की सहिया को पिछले छह माह से भुगतान नहीं किया गया है। जबकि सदर की 3 माह, चक्रधरपुर 3, झींकपानी 4 माह व टोंटो की साहियाओं को पिछले 2 माह से भुगतान नहीं किया गया है। इससे सहियाओं की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। यदि बकाया राशि जल्द भुगतान नहीं होती है तो जिले में कार्यरत सभी सहियाएं काम को ठप कर देंगे। मौके पर उषा कुमारी, सविता देवगम, किरण बिरूली, सुमित्रा एक्का, सुनीता देवगम, मेजो तियु, जेमा गोप, जिगी तियु, पूनम कुदादा, विनीता कुई, संगीता गोप समेत काफी संख्या में साहियाएं उपस्थित थीं।
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वेतन भुगतान की मांग को लेकर सीएस कार्यालय के बाहर धरने में बैठे स्वास्थ्य कर्मी
जासं, चाईबासा : झारखंड चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की ओर से अपनी मांगों को लेकर सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य कर्मी मनोरंजन कुमार ने कहा कि संक्रमण काल में दो साल तक अपनी सेवा देने के बावजूद एएनएम को छह माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया। कई बार जिला के उच्च पदाधिकारी समेत सिविल सर्जन को ज्ञापन सौंपकर मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। छह माह पहले भी तत्कालीन सिविल सर्जन को वेतन भुगतान की मांग किए थे तो उन्होंने राज्य सरकार से पत्राचार कर आगे की कार्रवाई करने की बात कही थी। उस समय के पत्राचार से अभी तक वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा जैसे त्योहार में वेतन का भुगतान नहीं करेंगे तो स्वास्थ्य कर्मी अपना परिवार को कैसे चला सकते हैं। कोरोना संक्रमण काल के दौरान सरकार एएनएम व स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना योद्धा बता रही था, लेकिन अब उनका सुध लेने वाला कोई नहीं है। अगर इसी प्रकार का रवैया स्वास्थ्य विभाग का रहा तो मजबूरन आंदोलन के लिए स्वास्थ्य कर्मी बाध्य होंगे।