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देशी चिकित्सालय प्रखंडों में बन रहे खंडहर

-स्टाफ नहीं रहने से सालों से बंद पड़े है प्रखंडों में मौजूद आयुर्वेदिक औषधालय - सरकार नहीं कर रही दवा की सप्लाई जिले में 23 आयुर्वेदिक औषधालय कर्मी मात्र छह

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 07:58 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 07:58 PM (IST)
देशी चिकित्सालय प्रखंडों में बन रहे खंडहर

मो. तकी, चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिला में एक विभाग ऐसा भी है जिसके कार्यालय की संख्या दो दर्जन है लेकिन उस में कार्यरत कर्मी मात्र पांच से छह हैं, वह भी जिला मुख्यालय में कार्यरत हैं। यह हाल हैं देशी पद्यति वाले आयुष चिकित्सालयों की। आयुष विभाग में आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सा व्यवस्था मिली हुई है। सदर अस्पताल परिसर में जिला संयुक्त औषधालय मौजूद है। लेकिन लोगों को यहां कोई सुविधा नहीं मिलती है। इसकी खास वजह है कि सरकार की ओर से आयुर्वेदिक दवा ही सप्लाई नहीं की जाती है। रोज यहां 2-4 मरीज दवा लेने पहुंचते भी हैं लेकिन उन्हें सिर्फ दवा का नाम ही थमाकर बाजार से खरीदने के लिए भेज दिया जाता है। इससे भी बदतर हाल प्रखंडों में मौजूद आयुर्वेदिक औषधालयों की है। वहां तो कोई स्टाफ है ही नहीं, सभी भवन या तो खंडहर बन चुके हैं या दूसरे विभाग उसमें कब्जा कर लिए हैं। जिले में आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सा व्यवस्था से हजारों मरीज ठीक होते हैं। इसके बावजूद जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों में कोई चिकित्सक, कंपाउडर, आदेशपाल मौजूद नहीं है। जिले में 15 राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, छह राजकीय होम्योपैथिक औषधालय, एक राजकीय यूनानी औषधालय के साथ एक जिला संयुक्त औषधालय मौजूद है। इसके अलावा करोड़ों रुपये लागत से 16 वर्ष से अधूरा बनकर खड़ा झारखंड का इकलौता आयुर्वेदिक कालेज सह अस्पताल भी जिले में मौजूद है और अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

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यहां है राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय

चाईबासा, मनोहरपुर, निश्चितपुर, गोईलकेरा, कुड्डा, हेस्साडीह, खूंटपानी, पुरनिया, बारीजल, तांतनगर, झींकपानी, बलंडिया, बड़ाजामदा, गाड़ाहातु, जगन्नाथपुर।

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- यहां है राजकीय होम्योपैथिक औषधालय

तांतनगर, मंझारी, जैंतगढ, बींज, मनोहरपुर, सोनुवा।

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- यहां है राजकीय युनानी औषधालय खड़पोस

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आयुष विभाग में सरकारी स्तर से डाक्टर, कंपाउडर, स्टाफ आदि की नियुक्ति ही नहीं हो रही है। जिला अस्पताल के लिए सरकार की ओर से दवा नहीं दी जाती है। धीरे-धीरे स्टाफ सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में देशी चिकित्सा व्यवस्था से मरीजों को दवा कहां से मिलेगी। सरकार को इस पर ध्यान देकर कार्य करना चाहिए। साथ ही डाक्टर और चिकित्सा कर्मी की नियुक्ति भी करनी चाहिए। जिले के लगभग सभी प्रखंड में आयुष विभाग का केंद्र है लेकिन स्टाफ की कमी के कारण सभी बंद पड़ा हुआ है। झारखंड का इकलौता आयुर्वेदिक कॉलेज सह अस्पताल भी अधूरा है।

फोटो -23- डा. ओम प्रकाश, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी जिला संयुक्त औषधालय चाईबासा।


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