Lok Sabha Polls 2019 : रेफरल अस्पताल खुद है बीमार, चुनाव में मु्द्दा बनेगा ही
LOk Sabha Polls 2019. पश्चिमी सिंहभूम जिले का मंझगांव रेफरल अस्पताल बीमार है। इस अस्पताल की बदइंतजामी सिंहभूम संसदीय सीट पर चुनावी मुद्दा तो बनेगा ही।
चाईबासा, जागरण संवाददाता। बीमारी बढ़ी तो गांवों के उप स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से नर्स दीदी और डाक्टर साहब ने मझगांव रेफरल अस्पताल भेजा दिया। मुकम्मल इलाज के आश्वासन के साथ, कहा-पूर्ण स्वस्थ होकर ही घर लौटेगा। लेकिन यह क्या, यहां तो अस्पताल ही लाइलाज बीमार से जूझता मिला।
देखा कि किस्तों में टूटकर तीन मंजिला भवन गिर रहा है। अस्पताल कभी भी धंस सकता है। डाक्टरों के बैठने के लिए जगह नहीं है। इलाज कराना और करना, दोनों जान जोखिम में डालना है। यह बात स्वास्थ्य सेवा के बारे में पूछे जाने पर मझगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले खैरपाल के देवेन्द्र सिंकू, सिलफोड़ी के हरिश चन्द्र दिग्गी, ताड़ापाई की रुकमनी कुंटिया जैसे अनेक लोगों ने बताई। लोगों ने बताया कि अधिकतर लोग इलाज कराने के लिए ओडिशा की ओर रूख करते हैं। लोगों ने बताया कि जान जोखिम में डालकर जान बचाने की कोशिश तो इस लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनेगा ही।
डाक्टरों ने वेतन से कराई कमरे की मरम्मत
दो लाख से अधिक आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निभाने वाले डाक्टरों ने अपने वेतन से एक कमरे की मरम्मत कराई है। जिसमें 4 से 5 डाक्टर शिफ्ट हिसाब से रहते हैं। यह भी काफी रोचक है। क्योंकि जब एक डाक्टर अपनी ड्यूटी पर आते हैं तो उसी कमरा का इस्तेमाल करता है फिर जब दूसरे डॉक्टर आते हैं तो वह भी उनके कमरा छोड़ने के बाद उसी का इस्तेमाल करते हैं।
पानी की व्यवस्था नहीं, शौचालय भी नदारद
एक कमरा में 24 घंटा के अंदर 3 से 4 डाक्टर रहते हैं। कमरे में भी न तो पानी की व्यवस्था और न ही शौचालय की। ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि डाक्टर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर कैसे रह कर मरीजों का इलाज कर सकते हैं।
छत से मलबा गिरने से बच चुकी है जच्चा-बच्चा का जान
जर्जर भवन में ही प्रसूति गृह चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि कुछ माह पूर्व वह एक महिला का प्रसूति करा रही थी, उसी समय छत का एक बड़ा टुकड़ा बेड पर ही गिर पड़ा था। संयोग अच्छा था कि टुकड़ा उसके ऊपर नहीं गिरा। यही हाल स्टोर रूम का है। जहां दवा को सुरक्षित रखने के लिए छत पर स्वास्थ्य कर्मियों को प्लास्टिक का सहारा लेना पड़ता है।
ये कहते ग्रामीण
थोड़ा भी ध्यान नहीं दिया। लोगों को परेशानी हो रही है। कई बार देखने को मिला है कि मरीज तड़पता रहता लेकिन कोई डाक्टर मौजूद नहीं होते हैं।
-हरिश चन्द्र दिग्गी, सिलफोड़ी।
मझगांव रेफरल अस्पताल काफी पुराना हो गया है, पूरा भवन जर्जर हो चुका है। कई बार इस मुद्दे को लेकर स्वस्थ विभाग को लिखा गया लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया।
-पूनम जेराई, प्रमुख मझगांव।
अस्पताल की व्यवस्था अति दयनीय है। इस बार चुनाव में यह मुख्य मुद्दा के रूप में होगा। डेढ़ से दो लाख की आबादी पर स्वस्थ विभाग पूरी तरह मुंह फेर लिया था।
-रुकमनी कुंटिया, ताड़ापाई।
यहां से अधिकतर लोग इलाज कराने के लिए ओडिशा जाते हैं। बेहतर डॉक्टर होते हुए यहां कोई रहना नहीं चाहते हैं। इस लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मझगांव रेफरल अस्पताल ही रहेगा।
-देवेन्द्र सिंकू, खैरपाल