चिरिया माइंस में मजदूरों से लिया जा रहा जबरन काम
दिल्ली में तबलीगी जमात का कारनामा सामने आने के बाद इसी तर्ज पर चिरिया माइन्स में लाक डाउन के निर्देशों को धता बताने का मामला सामने आया है। मनोहरपुर ओर माइन्स चिरिया के ठेका मजदूरों से ठेकेदार द्वारा जबरन काम लिया जा रहा है।
संवाद, सूत्र,मनोहरपुर : दिल्ली में तबलीगी जमात का कारनामा सामने आने के बाद इसी तर्ज पर चिरिया माइन्स में लाक डाउन के निर्देशों को धता बताने का मामला सामने आया है। मनोहरपुर ओर माइन्स चिरिया के ठेका मजदूरों से ठेकेदार द्वारा जबरन काम लिया जा रहा है। सुरक्षा नियमों को अनदेखा कर म•ादूरों को बस से धोबिल माईन्स काम पर भेजा जा रहा है। कोरोना वायरस से बचाव व सुरक्षा को लेकर लॉकडाउन की स्थिति में प्रति दिन लगभग 150 ठेका मजदूरों से चिरिया के धोबिल आयरन माइन्स में लौह अयस्क उत्खनन का काम लिया जा रहा है। बताया जाता है वर्तमान स्थिति में मजदूर काम पर नही जाना चाहते हैं, पर ठेका प्रबंधन द्वारा कहा जाता है कि काम पर नहीं जाने पर उन्हें पेमेंट नहीं दिया जाएगा। मजदूरों का कहना है कि कोरोना से सुरक्षा को लेकर ठेका प्रबन्धन द्वारा उन्हें मास्क व हैंडवाश भी नहीं दिया जा रहा है। ऊपर से उन्हें बस में एक साथ बैठा कर लगभग 35 किमी दूर धोबिल माइन्स लौह अयस्क उत्खनन के लिए भेजा जा रहा है। जबकि वे काम पर नही जाना चाहते हैं। जानकारी के अनुसार लाकडाउन की स्थिति में भी प्रति दिन 5 बस मजदूरों को माइन्स ले जाने व काम के बाद वापस लाने के काम में लगी हैं। मनोहरपुर साइडिग से दो बस, चिरिया से दो बस और छोटानगरा से एक बस मजदूरों को लाने व ले जाने का कार्य में लगी हैं। इसके अलावा धोबिल ़गांव की तरफ से कई मजदूर पैदल धोबोल माइंस काम पर पहुंच रहे हैं। जानकारी के अनुसार इस लाकडाउन की स्थिति में भी प्रति दिन 150 से 200 मजदूर धोबिल माइंस में लौह अयस्क उत्खनन का कार्य मजबूर हो कर कर रहे हैं। इससे मजदूरों में ठेका प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। इधर ठेका कंपनी के स्टाफ का कहना है कि उन्हें माइंस चलाने के लिए खनन विभाग से आदेश है। सुरक्षा नियम का पालन कर काम हो रहा है।
मजदूर प्रतिनिधि दर्शन सुरीन बताते हैं कि ठेका कंपनी उन्हें जबरन काम पर भेज रही है। ठेका कंपनी का कहना है कि काम नही करोगे, तो पेमेंट नही मिलेगा। मजदूरों को मास्क व हैंडवाश भी मुहैया नही कराया गया है। मनोहरपुर साइडिग से धोबिल माइन्स 35 किमी दूर है। मजदूर बस में साथ साथ बैठ कर जाने को मजबूर है। सुरक्षा के नाम पर माइन्स में मजदूरों का सिर्फ टेम्परेचर स्कैनिग किया जाता है। माइन्स में भी एक एक फेज में चार-चार मजदूर एक साथ काम करने को विवश हैं। हम मजदूर अपना दुखड़ा किसे बताएं।