चाईबासा, जागरण टीम: एक समय रास्ता भटकर कर नक्सलवाद से जुड़े रहने वाले अर्जुन और युद्धिष्ठिर आज मछली पालन कर मुख्यधारा में लौट आये हैं। पश्चिमी सिंहभूम के सोनुवा ब्लॉक के अर्जुन कुमार महापात्रा और युधिष्ठिर भूमिज पनसुवा डैम में केज के माध्यम से मछली पालन व बोटिंग के जरिये आज लाखों की कमाई कर रहे हैं।
दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे अर्जुन और युधिष्ठिर
अर्जुन व युधिष्ठिर के साथ लगभग 100 लोग इस रोजगार से जुड़ कर दूसरों के लिए मिसाल बन चुके हैं। अर्जुन महापात्रा नक्सली घटनाओं में शामिल होने के कारण 900 दिनों तक जेल में रहे जबकि युधिष्ठिर भूमिज ने 7 महीने जेल में गुजारे। 2007 में जब दोनों जेल से बाहर निकले तो उनका पूरा जीवन बदल चुका था।
परिवार ने कहा, अब गलत रास्ते पर मत चलना
दैनिक जागरण से बात करते हुए अर्जुन महापात्रा ने कहा कि नक्सलियों का साथ देने के आरोप में पुलिस ने मुझे पकड़ कर जेल भेज दिया था। जेल से निकला तो रोजगार की समस्या आन पड़ी।
परिवार वालों ने कहा कि अब गलत रास्ते पर मत चलना। इसके बाद जीवन ऐसे ही चलता रहा। फिर पता चला कि मत्स्य विभाग की ओर से पंसुवा डैम में मछली पालन कराया जा रहा है।
मत्य विभाग ने किया सहयोग
उन्होंने बताया कि मत्य विभाग के सहयोग से हमारी एक समिति बनी जिसमें 52 लोग शामिल हुए। विभाग की सहायता से हमने डैम में ही केज के माध्यम से मछली पालन शुरु किया। मछली पालन से अच्छी आमदनी होने लगी। अब मेरी समिति में ही मछली पालन से 52 परिवार चल रहे हैं। इसके अलावा मछली पालन के लिए मिली बोट से पर्यटकों को बोटिंग कराने से अलग आमदनी होने लगी।
5 से 6 लाख की होती है सालाना कमाई
वे बताते हैं कि मछली पालन से सालाना 5 से 6 लाख का कमाई होती है तो बोटिंग से हर महीने अतिरिक्त 20 से 25 हजार की आमदनी हो रही है।
इसी तरह युधिष्ठिर भी नक्सली को साथ देने के आरोप में 7 महीने जेल की सजा काट चुके हैं। दोनों ने गलत रास्ते को छोड़ कर अब रोजगार की नयी राह चुन ली है।
पनसूवा डैम में बोटिंग के लिए पहुंच रहे रोजाना 200 पर्यटक
पनसूवा डैम में पर्यटक अक्टूबर से फरवरी तक घूमने के लिए पहुंचते हैं। रोजाना 150 से 200 पर्यटक डैम में बोटिंग का आनंद लेते हैं। पनसूवा डैम में प्राकृतिक सौंदर्य का बेहतरीन नजारा पर्यटकों को लुभाते हैं। चारों ओर से पहाड़ों का नजारा, बीच में विशाल डैम बरबस ही पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है।