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पौधरोपण से ही जल संरक्षण संभव : अनूप तिर्की

देश आजादी के समय प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी। उस समय देश की आबादी कम थी। इस तरह से पानी की उपलब्धता धीरे-धीरे कम होती गई और आबादी बढ़ती गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 08:38 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 08:38 PM (IST)
पौधरोपण से ही जल संरक्षण संभव : अनूप तिर्की

संवाद सूत्र, नोवामुंडी : देश आजादी के समय प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी। उस समय देश की आबादी कम थी। इस तरह से पानी की उपलब्धता धीरे-धीरे कम होती गई और आबादी बढ़ती गई। अनुमान है कि देश का 29 प्रतिशत क्षेत्र पानी की भीषण समस्या से जूझ रहा है। नोवामुंडी बस्ती उत्क्रमित मिडिल स्कूल प्रधान शिक्षक अनूप तिर्की जागरण जल सेना को जल संरक्षण अभियान के तहत पौधरोपण कार्यक्रम में यह जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि इसके लिए कृषि के साथ-साथ उद्योग भी जिम्मेदार हैं। औद्योगिक इकाइयां भी काफी मात्रा में पानी एक दिन में ही खींच लेती हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस देश में पानी की अधिकता है। वहां पर पानी का इतना भीषण संकट क्यों? इसका एक मात्र कारण है कि वर्षा से मिलने वाले कुल पानी का 47 प्रतिशत भाग नदियों के माध्यम से समुद्र के खारे पानी में मिल जाता है। इस जल को बचाया जा सकता है। इसके लिए हमें वर्षा जल का संग्रहण, संरक्षण तथा समुचित प्रबंधन आवश्यक है। यही एकमात्र विकल्प भी है। इसके लिए समाज को अपने आसपास के कुंओं, तालाबों का संरक्षण करना है। खेतों में सिचाई के लिए पक्की नालियों का निर्माण करना होगा, पीवीसी पाईप का इस्तेमाल करना होगा। बहाव क्षेत्र में पानी को संचित किया जा सकता है। इसके लिए बांध बनाए जा सकते हैं, ताकि यह पानी समुद्र में न जाए। इसके आलावा बोरिग, ट्यूबवेल पर नियंत्रण लगाया जाए। यह आम-जन की जागरूकता तथा सहभागिता से ही संभव है। भूजल संरक्षण के लिए देशव्यापी अभियान चलाया जाना अति आवश्यक है। ताकि भूजल का समुचित नियमन हो सके। भविष्य में हमें इतना पानी नहीं मिल पाएगा जितनी हमारी मांग होगी। परंतु समय की मांग है कि पूरा समाज इस अभियान से जुड़े तथा पंरपरागत जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करें। पौधरोपण के दौरान जागरण जल सेना में नोडल छात्र सुरेंद्र सुरेन, रघुनाथ सिकु, मंगल सुरेन, प्रियंका बोदरा, बालेमा हेंब्रम, कृष्णा सुरेन, पूर्ण चंद्र सुरेन, जानो सुरेन, गुरुवारी बारजो, दिलीप सुरेन, गुरुचरण लोहार, पुकली सुरेन, मिथिला बारजो उपस्थित थे।

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