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प्रेरित करने वाला है हनुमान जी का जीवन : प्रदीप भैया

जागरण संवाददाता, चाईबासा : श्री हनुमान कथा के तीसरे दिन का शुभारंभ कृष्णाष्टमी के उपलक्ष्य

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 08:54 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 08:54 PM (IST)
प्रेरित करने वाला है हनुमान जी का जीवन : प्रदीप भैया

जागरण संवाददाता, चाईबासा : श्री हनुमान कथा के तीसरे दिन का शुभारंभ कृष्णाष्टमी के उपलक्ष्य में वृंदावन के गीतकारों ने कान्हा तथा राधा के गीतों से किया। प्रदीप भैया ने तीसरे दिन सुंदरकांड का भावनात्मक विवरण प्रस्तुत किया। सुंदरकांड का विवरण देते हुए उन्होंने हनुमान जी की जीवनी को सबसे ज्यादा प्रेरित करने वाला पात्र बताया। उन्होंने बताया कि कैसे हनुमान जी ने स्वयं को प्रभु राम का भक्त और छोटा बनाकर प्रभु श्रीराम से भी ज्यादा पूजनीय हो गए। आज प्रभु राम से भी ज्यादा मंदिर हनुमान जी के दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने रास्ता दिखाया और बताया कि व्यक्ति को समाज मे छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि इससे बड़े से बड़े काम को साधा जा सकता है। हनुमान के चित्रण को आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि जब हनुमान प्रभु की मुद्रिका लेकर वृक्ष पर बैठे थे और सोच रहे थे कि कैसे सीता माता से अपनी बात कहूं इसी बीच वहां रावण का आगमन हो जाता है। कार्य में अधिकाधिक विलंब से प्रभु परेशान हो उठे। इसी का उदहरण देकर प्रदीप भैया ने कहा कि व्यक्ति को शुभ कार्य करने में संकोच कर विलंबित नहीं होना चाहिए, नहीं तो बड़े व्यवधान आ खड़े होते हैं। सुंदरकांड के कई प्रसंगों का उदहरण देते उन्होंने कहा कि समाज को सीता माता के चरित्र से भी कई चीजें सीखनी चाहिए। सीता जी ने जीवन में तीन गलतियां की जिसकी वजह से उनको प्रभु राम से दूर लंका में रहना पड़ा। वह तीन गलतियां हैं, माया, कटु वचन तथा सीमा रेखा को पार करना। माया की इच्छा जिसमें स्वर्ण मृग की इच्छा थी जिससे स्वयं प्रभु राम उनसे दूर हो गए। दूसरी गलती थी कटु वचन जो उन्होंने लखन लाल से कहा जिससे वो विचलित होकर उनसे दूर हो गए और तीसरी गलती सीमा रेखा जिसे स्वयं सन्यासियों ने खींची थी उसको पार कर गई। अगर ये तीन गलतियां सीता माता ने नहीं की होती तो सीता माता का अपहरण नहीं होता। समाज में सबको इन तीन गलतियों से दूर रहने की सीख उन्होंने दी। हनुमान और मेघनाथ के बीच युद्ध का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब मेघनाथ ने उनपर ब्रह्मवाण खींचा तब प्रभु ब्रह्मा के प्रति श्रद्धा से हनुमान ने उस बाण को सह लिया। इसमें निहित तत्व यह है कि समाज में बुजुर्गों का यथावत सम्मान बना रहना चाहिए। कथा की भव्यता में शहर के प्रमुख व्यवसायी और समाजसेवी मुकुंद रूंगटा, कोल्हान आयुक्त विजय कुमार ¨सह, राधेश्याम अग्रवाल, पुतकर हेम्ब्रम, नितेश राठौर, सुनीत शर्मा, जितेंद्र मदेशिया, मधुसूदन अग्रवाल, मुन्नू ठाकुर, विकास ¨सह आदि शामिल हुए।

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