लोगों को समझाओ तो जवाब मिलता ऐसे नहीं समझेंगे साहब, डंडे की जरूरत है : उपायुक्त
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर हुए लॉकडाउन के दौरान जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। लेकिन इन्हें खासी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा रहा है।
जासं, चाईबासा : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर हुए लॉकडाउन के दौरान जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। लेकिन इन्हें खासी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा रहा है। खासकर आमजनता से ऐसे समय में सहयोग की अपेक्षा की जा सकती है। पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल ने लॉकडाउन के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जिले के आला अफसर से लेकर सभी कर्मचारी सुबह से देर रात तक लोगों को यही समझने में जुटे हैं कि घर में रहिए। अति आवश्यक हो तब ही बाहर निकलें। वर्तमान में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आमजन कोरोना के भय से नहीं बल्कि पुलिस-प्रशासन के डर से ही घरों में कैद हैं। एक व्यक्ति फोन पर जानकारी देता है कि उनके गांव में एक व्यक्ति जांच कराने के नाम पर खेत में भाग जा रहा है। पुलिस भेजिए, लेकिन यह भी कह रहा है कि आप भी बच के रहिए, दूरी बनाकर रहिए। वहीं अभिभावक भी अपने बच्चों को घर के अंदर करने को पुलिस बुला रहे हैं।
फोन आता है कि बच्चे मोहल्ले में क्रिकेट खेल रहे हैं, पांच लोग एक जगह बैठे हैं, ठेले पर दुकान लगी है व पकौड़ी छन रही है और ना जाने क्या-क्या? फोन करने वाला बस एक ही बात कहता है साहब पुलिस भेजिए ऐसे नहीं मानेंगे। प्रशासन की ओर से उन्हें कई बार बोला गया कि बच्चों व आसपास के लोगों को समझाएं तो जवाब मिलता है ऐसे नहीं समझेंगे सब डंडा देखकर ही अंदर जाएंगे।
कुछ लोगों में कोरोना को लेकर सजगता है लेकिन कुछ किराना-सब्जी या किसी बहाने सड़क पर घूमते मिल जाएंगे। उनको घर के अंदर करने के लिए पुलिस-प्रशासन 24 घंटे चाहिए। ऐसे लोगों को यह समझना पड़ेगा कि प्रशासन और पुलिस भी आम इंसान है। प्रतिदिन जाने अनजाने सैकड़ों लोगों के संपर्क में आते हैं। अत: सभी से अपील है कि इस वैश्विक महामारी की गंभीरता को समझें और प्रशासन व पुलिस को सहयोग करें। यदि आपके आस-पास कोई भूखा, असहाय है तो उसे खाना खिलाएं। हम निश्चय ही यह जंग जीत लेंगे।