प्रधानमंत्री आवास के लाभुकों को नहीं मिल रही मजदूरी
प्रधानमंत्री द्वारा गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले बेघर परिव
संवाद सूत्र, कुमारडुंगी : प्रधानमंत्री द्वारा गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले बेघर परिवारों को आवास मुहैया कराने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का निर्वाहन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है की 2019 तक कोई भी गरीब व्यक्ति गरीब ना रहे। हर गरीब के पास आवास हो, राशन कार्ड हो परंतु सरकार की योजना को विफल बनाने के लिए सुदूर क्षेत्र के बिचौलिया गरीबों को ठगकर सक्षम परिवारों से पैसा लेकर आवास उनके नाम करवा रहे हैं। ऐसी ही समस्या कुमारडुंगी प्रखंड की भोंडा पंचायत में भी सामने आई है। 2017-18 में भोंडा पंचायत को एक भी आवास नहीं मिला है। सभी आवासों को डाटा में पूर्ण बताया गया है जबकि 1 लाख 30 हजार की सामग्रियों के पैसे से मजदूरी भुगतान करने के कारण एक भी पीएम आवास पूर्ण नहीं हो पा रहे हैं।
मजदूरी भुगतान करना है खाते में
बता दें कि 95 दिन का मजदूरी भुगतान मनरेगा के तहत मजदूर के खाते में जाना है। प्रखंड के ज्यादातर लाभुकों को मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान मजदूरों के खाते में करने के बारे में जानकारी तक नहीं है। जिस कारण कई लाभुक 1 लाख 30 हजार में आवास पूर्ण नहीं हो पाने से आवास बनाने से पीछे हट रहे हैं। कइयों ने आवास के छत पर शेड लगवाया है। भोंडा पंचायत के इठर गांव के लाभुक हरीदास ने बताया की मनरेगा द्वारा मजदूरी भुगतान करने के लिए कई बार डिमांड भरकर भेजा गया है परंतु एक भी मजदूरी भुगतान नहीं हुआ है। मैटेरीयल के पैसों से मजदूरी भुगतान किया गया जिस कारण घर पूरा नहीं बन पा रहा। अपना पैसा लगाकर पूरा कर रहा हूं। उसी गांव के विधवा मीना कुई ने बताया की मजदूरी का पैसा मजदूरों के खाते में आएगा सुनकर मजदूरों से काम करवा दिया। अब तक पैसा नहीं आया है जिससे मजदूर मुझे पैसा नहीं देने को लेकर धमकी देते हैं। इसी वजह से रोधो दास, जितेंद्र बोयपाई, घोनो सिरका, धानसारी निवासी लुंगी बागे, सुरेश ¨पगुवा, योगेंद्र ¨पगुवा अन्य कई लाभुकों का आवास अधूरा पड़ा है। वहीं इठर निवासी पेलेंग कुई का नाम सूची में नहीं होने पर भी खाता में 26 हजार रुपये आ गए। वहीं बाईहातु पंचायत के लखिमपोसी गांव में धोवो देवी के आवास के खाता संख्या का उलटफेर कर गांव के ही अरुण कुमार के खाते में प्रथम किस्त भेज दिया गया था। काफी प्रयास के बाद बीडीओ ने सारा पैसा वापस करने को कहा। साथ ही सभी लाभुक के खाते में अगली किस्त भेज दी गई है। आवास पूर्ण नहीं हो पाने व मजदूरी भुगतान की समस्या लगभग सभी पंचायत में है। 1 लाख 30 हजार से मजदूरी भुगतान कर आवास पूर्ण नहीं हो पाने से लाभुक पक्का मकान बनाने से इंकार कर रहे हैं।
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आवास निर्माण में तीन स्तर पर जियो टैग करना पड़ता है। जियो टैग के बाद डिमांड निकलता है। ऐसा नहीं करने से मजदूरी का पैसा खाता में नहीं आता है। किसी भी आवास में जियोटैक नहीं किया गया है जिस कारण मजदूरों का पैसा नहीं मिल रहा है।
- एस. एक्का, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा कुमारडुंगी।