कचरे से पटे छठ घाटों की सफाई शुरू
संवाद सहयोगी, चाईबासा : शहर में आस्था के महापर्व छठ की तैयारी जोरों पर है।
संवाद सहयोगी, चाईबासा : शहर में आस्था के महापर्व छठ की तैयारी जोरों पर है। शहर के बीच से होकर गुजरने वाली रोरो नदी में छठ घाटों की सफाई, घेरा, अस्थायी चें¨जग रूम, छठ घाट जाने वाला रास्ता बनाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने नगर परिषद चाईबासा को सौंपी है। इसके लिए नगर परिषद की ओर से जेसीबी मशीन, मजदूर आदि लगा कर पूरी सफाई की जा रही है। शहर में लगभग 10 छठ घाट बनाए जाएंगे। जिसमें छठ व्रती भगवान भाष्कर को अर्घ्य देते हैं। शहर के बीच से बहने वाली रोरो नदी में छह से सात छठ घाट में पूजा होती है। जबकि शहर से चार किलो मीटर दूर कुजू नदी में भी तीन से चार छठ घाट में लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं।
इधर, रोरो नदी में छठ घाटों में गंदगी का अंबार लगा है। या यह कहें कि नदी में कचरा ही कचरा नजर आ रहा है। घाटों भी कचरा भरा हुआ है। रोरो नदी में अधिक पानी का बहाव नहीं होने से कचरा आसपास ही बिखरा पड़ा हुआ है। नगर परिषद की ओर से सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। पहले घाटों की मिट्टी को ठीक किया जा रहा है। उसके बाद नदी के अंदर से कचरा हटाने की बात की जाएगी। छठ घाट में पहुंचने का रास्ता भी दुरुस्त किया जा रहा है। रास्ते के किनारों को कपड़ों से ढका जा रहा है।
शुक्रवार को सफाई का जायजा लेने के लिए नगर परिषद उपाध्यक्ष डोमा ¨मज रोरो नदी छठ घाट पहुंचे। उन्होंने कहा कि छठ को देखते हुए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। सोमवार तक छठ घाटों को पूरी तरह तैयार कर लिया जाएगा। महापर्व में किसी प्रकार की परेशानी किसी को नहीं होगी। नदी में पानी कुछ कम है, इसमें छठ की रात को डैम का पानी छोड़ कर छठ के लिए नदी को पूरी तरह तैयार करने की योजना है।
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नदी पर लकड़ी का पुल बनाने से काबू दत्ता ने खड़े किए हाथ
- छठ के दौरान कई साल से रोरो नदी के करणी मंदिर घाट पर बनने वाला लकड़ी का पुल इस बार शहर के लोगों को नदी पार नहीं कराएगा। हर वर्ष कांग्रेस नेता काबू दत्ता की ओर से इसका निर्माण किया जाता था लेकिन इस बार उन्होंने हाथ खड़े करते हुए कहा कि दूसरों को भी पुल बनाने के लिए मौका दिया जाना चाहिए। इसलिए इस बार मेरी ओर से अस्थायी लकड़ी का पुल नहीं बनाया जाएगा। इस प्रकार देखा जाए तो छठ के दौरान नदी के बीच में बनने वाला अस्थायी लकड़ी का पुल लोगों के आकर्षक को केंद्र होता था। जिससे गुजर कर लोग नदी के दूसरे ओर पहुंच कर आसानी से छठ घाट बनाते थे और पूजा करते थे। इस बार प्रशासन के ऊपर जिम्मेदारी है कि वह पुल का निर्माण कराए। छठ मनाने वाले लोगों को सुविधा दें। क्योंकि नदी के पश्चिम छोर में ही अधिकतर छठ व्रती सूर्य को अर्घ्य देते हैं। पुल होने पर नदी के पूरबी क्षेत्र में भी जा कर लोग छठ घाट में पूजा कर सकते हैं, जिससे एक छोर में भीड़ कम हो सकता है।