एएसपी अभियान के बगैर ही चल रहे नक्सल ऑपरेशन
नक्सल प्रभावित पश्चिमी सिंहभूम में एएसपी अभियान के बगैर ही नक्सल ऑपरेशन चल रहे हैं। जिले में एएसपी अभियान का पद दो माह से भी ज्यादा समय से खाली पड़ा है।
सुधीर पांडेय, चाईबासा : नक्सल प्रभावित पश्चिमी सिंहभूम में एएसपी अभियान के बगैर ही नक्सल ऑपरेशन चल रहे हैं। जिले में एएसपी अभियान का पद दो माह से भी ज्यादा समय से खाली पड़ा है। गृह विभाग ने अभी तक इस पद पर किसी की पदस्थापना नहीं की है। डीएसपी मुख्यालय अरविद कुमार को पहले इसका प्रभार दिया गया था। उनका स्थानांतरण भी जमशेदपुर हो जाने के कारण अब पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ही एएसपी अभियान का काम भी देख रहे हैं। इस पद पर पहले मनीष रमन पदस्थापित थे। चाईबासा में वे चार साल से इस पद पर रहते हुए नक्सल ऑपरेशन को लीड कर रहे थे। मई 2019 में लोकसभा चुनाव के शुरुआती दौर में ही एएसपी मनीष रमन पर नक्सलियों के साथ साठ-गांठ का आरोप लगा था। गृह विभाग ने अपने स्तर से जांच कराई थी। 31 जुलाई 2019 को उनका स्थानांतरण कर दिया गया था। वर्तमान में वो जम्मू कश्मीर में पदस्थापित हैं। मनीष रमन के जाने के बाद से ही एएसपी अभियान का पद खाली पड़ा है। एएसपी अभियान का पद नक्सल जिलों में इसलिए सृजित किया गया है ताकि नक्सल अभियान को सुचारू रूप से चलाया जा सके। पद खाली रहने से जिले में नक्सल अभियान को सुचारू रूप से चलाने में पुलिस प्रशासन को समस्याएं आ रही हैं। जीवन, मिसिर, मोछू व कांडे का दस्ता जिले में है सक्रिय
चाईबासा नक्सल प्रभावित जिला है। यहां जीवन कंडुलना, मिसिर बेसरा, मोछू उर्फ मेहनत और कांडे होनहागा का दस्ता सक्रिय है। पुलिस इन दस्तों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चला रही है। जीवन कंडुलना के दस्ते के कई अहम सूत्रधारों व सक्रिय सदस्यों को पकड़ा भी गया है मगर दस्ते के बड़े लीडर अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। चाईबासा के पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ने बताया कि एएसपी अभियान का पद दो माह से ज्यादा समय से खाली जरूर है मगर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है बल्कि उनके कार्यकाल में नक्सल ऑपरेशन बढ़े ही हैं। तीन माह में 120 से ज्यादा ऑपरेशन जिले में चलाए गए हैं। करीब चार ऑपरेशन तो पुलिस कोबरा के साथ ही मिलकर चला चुकी है। पांच नई पुलिस पिकेट खोलने की चल रही तैयारी
नक्सलियों का पूरी तरह सफाया करने के लिए पुलिस कई तरह की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में लगी है। विभाग के एक वरीय पदाधिकारी ने बताया कि सारंडा जंगल क्षेत्र अब शांत है। यहां नक्सली गतिविधियों की सूचना यदा-कदा ही मिलती है। चक्रधरपुर अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत मनोहरपुर, सोनुवा व गोइलकेरा में नक्सली दस्ते के विचरण की सूचनाएं लगातार मिल रही हैं। हम लोग गुवा से सोनुवा के बीच में कम से कम पांच नए पुलिस पिकेट बैठाने की तैयारी कर रहे हैं। इन इलाकों में पुलिस पिकेट खुल जाने से नक्सलियों से इलाके को मुक्त कराने में आसानी होगी। पुलिस पिकेट खोलने के लिए जगह देखा गया है। आने वाले समय में पश्चिमी सिंहभूम पूरी तरह नक्सल मुक्त हो जाएगा। जिले में सीआरपीएफ की तीन बटालियन हैं। इनमें 197, 60 व 174 बटालियन शामिल है। 18 कंपनी फोर्स है जो अलग-अलग इलाकों में तैनात की गई है।