बिल के भुगतान के लिए मांगा जा रहा 25 फीसद कमीशन
रांची की कंपनी मेसर्स अमन इंटरप्राइजेज के संवेदक (ठेकेदार) ने चाईबासा सदर अस्पताल की डीपीएम यूनिट के लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी पर बिल का भुगतान करने के लिए 25 फीसद रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।
जासं, चाईबासा : रांची की कंपनी मेसर्स अमन इंटरप्राइजेज के संवेदक (ठेकेदार) ने चाईबासा सदर अस्पताल की डीपीएम यूनिट के लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी पर बिल का भुगतान करने के लिए 25 फीसद रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। प्रोपराइटर मुन्ना कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से रिश्वत मांगे जाने की शिकायत की है। उनका कहना है कि कोरोना काल में सिविल सर्जन कार्यालय से उनकी कंपनी मेसर्स अमन इंटरप्राइजेज को सामान की आपूर्ति का काम मिला था। चार अलग-अलग निविदा के माध्यम से 4 लाख 90 हजार 370 रुपये का बिल बना था। इस राशि का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। विपत्र के भुगतान के लिए कई बार जिला लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार से मिले मगर वो संचिका आगे नहीं बढ़ाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सुजीत विपत्र भुगतान के एवज में 25 फीसद रिश्वत की मांग कर रहे हैं। लेखा प्रबंधक के बारे में सिविल सर्जन से कई बार बताया गया मगर वो भी कुछ नहीं करते। भुगतान के लिए आवेदन देने पर, संचिका लेकर जिला लेखा प्रबंधक से मिलने के लिए बोल देते हैं। इससे प्रतीत होता है कि सिविल सर्जन की भी रिश्वत मांगने में मौन स्वीकृति है। उन्होंने प्रधान सचिव से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर राशि का भुगतान कराए जाने की मांग की है।
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लेखा प्रबंधक ने आरोप को बताया बेबुनियाद
मेसर्स अमन इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर की ओर से लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद व झूठे हैं। इस कंपनी को बर्खास्त डीपीएम नीरज यादव के समय काम दिया गया था। अभी इसकी सीआइडी जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही संचिका आगे बढ़ाई जाएगी। तभी भुगतान हो पाएगा। बिल भुगतान के एवज में किसी से कोई कमीशन नहीं मांगा गया है।
-सुजीत कुमार, जिला लेखा प्रबंधक, सदर अस्पताल, चाईबासा
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पीपीइ किट खरीद में हुए फर्जीवाड़ा को ले सीआइडी ने जब्त किए दस्तावेज
जासं, चाईबासा : कोरोना काल में सदर अस्पताल में पीपीइ किट की खरीद में हुए फर्जीवाड़ा की जांच अभी जारी है। मामले में बुधवार को सीआइडी की एक टीम ने चाईबासा आकर एक बार फिर से डीपीएम यूनिट के लोगों से पूछताछ की। कोरोना काल में क्रय-विक्रय से जुड़ी संचिकाओं की पड़ताल की। टीम यहां करीब दो घंटा रुकी। जिला लेखा प्रबंधक और प्रभारी कार्यक्रम प्रबंधक कार्यालय के कर्मियों से भी जानकारी ली। जांच पदाधिकारी अपने साथ कुछ दस्तावेज ले गए हैं। यहां बता दें कि मामले में सिविल सर्जन के बयान पर सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज होने होने के बाद तत्कालीन जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीरज कुमार यादव को सरकार बर्खास्त कर चुकी है। वहीं आर्थिक व सरकारी दस्तावेजों के साथ हुई गड़बड़ी के अनुसंधान का जिम्मा सीआइडी को दिया गया है।