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सबकी है चाहत,संरक्षित हो बीरू रियासत की विरासत

लीड---------- बीरू गढ़ के गर्भ में छुपे हुए हैं समृद्ध व रोचक इतिहास वाचस्पति मिश्र सिमड

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 10:17 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 10:17 PM (IST)
सबकी है चाहत,संरक्षित हो बीरू रियासत की विरासत
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बीरू गढ़ के गर्भ में छुपे हुए हैं समृद्ध व रोचक इतिहास

वाचस्पति मिश्र

सिमडेगा:राजघरानों से जुड़ी कहानियां न सिर्फ हमें प्राचीन इतिहास से रूबरू कराती हैं, बल्कि यह समृद्ध विरासत का संरक्षण के लिए भी अभिप्रेरित करती हैं। मुख्यालय से लगभग 11 किमी दूर रांची-सिमडेगा पथ पर पहाड़ की तलहटी में बसा बीरू रियासत का गढ़ का इतिहास पांच सौ वर्ष से अधिक पुराना है,परंतु इसके पुराने महलों के भग्नावशेषों,पांरपरिक अस्त्र-शस्त्र,मूर्तियां व जमीन में दबे महल आज बीरू गढ़ के समृद्ध राजसी ठाठ व परंपरा के जीवंत तस्वीर पेश करते हैं।जिसे सभी को जानने व समझने की जरूरत है।दुखद यह कि अबतक इस विरासत के संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।बीरू गढ़ के युवराज दुर्गविजय सिंह देव बताते हैं कि बीरू में पुराना राजमहल, सतघरवा,प्राचीन सूर्य मंदिर, दक्षिणेश्वर काली मंदिर,पुराना तालाब समेत

कई ऐसे दर्शनीय स्थल मौजूद हैं।जिसे संरक्षण कर बीरू गढ़ को ऐतिहासिक पर्यटन स्थल रूप

में विकसित किया जा सकता है।उन्होंने बताया कि मुख्य महल के पीछे सतघरवा रूपी महल

का आज भी अधिकांश भाग जमींदोज हो गया है।इस महल में आज भी मां दुर्गें की अष्टधातु की

प्रतिमा समेत कई बेशकीमती व पुरातात्विक महत्व के सामग्री होने की संभावना है।अगर इसे

उत्खन्न कराकर सामने लाया जाए,तो कई अनसुनी व अनदेखी चीजें सामने आएगी। जिले के

उपायुक्त सुशांत गौरव कहते हैं सिमडेगा के बीरूगढ़ के ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की पहल करने की कवायद की जा रही है। संबंधित पक्षों से अनापत्ति लेते हुए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। भूकंप से जमींदोज हुआ पुराना महल

सिमडेगा:बीरू गढ़ में सतघरवा नाम से प्रसिद्ध पुराना महल का प्रवेश द्वार आज भी प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है।बड़े घनाभ आकार के पत्थरों से बने दीवार व चौखट प्राचीन उच्च श्रेणी की वास्तुशिल्प से रूबरू कराती है। इन पत्थरों पर उकेरी गई मां लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा साफ

तौर पे देखी जा सकती है। बताया जाता है कि 1935 के दौर में आए भूकंप में पूरा महल जमीन

के अंदर धंस गय,पर उसका भग्नावशेष आज भी सुरक्षित है। हीरा के बदले मिला बीरू रियासत

सिमडेगा:बीरू राजघराने के मुताबिक बीरू साम्राज्य बाकुड़ा हीरा के बदले मिला था। बीरू गढ़ के

पूर्वज यह बेशकीमती हीरा लेकर चुटिया नागपुर महाराजा दुर्जन शाल की रानी को दिया था।

हालांकि तब दुर्जन शाल दिल्ली के मुगल सम्राट जहांगीर के कैद में थे।बाद में बीरू गढ़ के पूर्वज

व दुर्जन शाल के हितैषियों की मदद से जहांगीर के कैद से दुर्जन शाल को छुड़ाया गया था। इसी

बात से प्रसन्न होकर दुर्जन सिंह ने ताम्र पत्र पर भीमसिह देव को बीरू रियासत सौंपी थी। शिक्षा,धर्म व समाज के लिए दिए योगदान

सिमडेगा:बीरू रियायत ने जिले में धर्म,शिक्षा एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में कई उल्लेखनीय योगदान

दिया है।राजा हरेराम सिंह देव ने रामरेखाधाम की खोज की थी।रामरेखाधाम के नाम से 62एकड़

भी दी गई।श्रीनिवास हुकुम सिंह देव ने रामरेखाधाम में कार्तिक मेला तो राजा धनुर्जय सिंह देव

ने कार्तिक मेला की शुभारंभ की। इन्होंने लंबोई में हाई स्कूल की स्थापना कराई। राजा धर्मजीत

सिंह देव ने गांधी मैदान के लिए 5.70 एकड़ जमीन दी,तो श्री निवास हुकूम सिंह देव ने 51 एकड़

लीज पर जमीन देकर सिमडेगा शहर बसाई।इसके अतिरिक्त यूसी-संत मेरीज स्कूल के लिए भी

100 एकड़ जमीन लीज पर दी।


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