सब ने की पहल तो नशामुक्त हो गया गांव, आदिवासी बहुल इस गांव में अब कोई नहीं पीता शराब
झारखंड में सिमडेगा के सावनाजरा में अब कोई शराब या हड़िया नहीं पीता। पिछले कोई तीन माह से इस पर लोगों ने ही पूरी तरह रोक लगा दी है।
जलडेगा (सिमडेगा), संजय कुमार। झारखंड के आदिवासी बहुल जिला सिमडेगा के सावनाजरा में अब कोई शराब या हड़िया नहीं पीता। पिछले कोई तीन माह से इस पर लोगों ने ही पूरी तरह रोक लगा दी है। ग्रामसभा, मुखिया ने पहल की और प्रशासन ने सहयोग किया तो प्रतिबंध मुकम्मल तरीके से लागू हो गया।
आसान नहीं था शराब से मुक्ति
सिमडेगा जिला मुख्यालय से कोई 45 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल सावनाजरा गांव एक उपेक्षित सा गांव है। कोई डेढ़-दो सौ की आबादी वाला गांव। हड़िया यानी चावल से बनी शराब का आदिवासियों में प्रचलन है। उनकी परंपरा से जुड़ी है। क्या बड़े, क्या महिलाएं, बच्चों को भी लोग पिलाते रहे हैं। घर-घर महुआ चुलाकर शराब बनाई जाती थी। अब यह सब बंद है। यह आसान नहीं था। शराब के नशे में आए दिन होने वाले घरेलू झगड़ों से आजिज आकर ग्रामसभा और मुखिया ने पहल की। लंबी पहल के बाद आज गांव की तस्वीर बदल गई। बीते अगस्त माह में बीडीओ, सीओ आदि प्रशासन के अधिकारियों ने पहुंच गांव में औपचारिक तौर पर शराब बंदी की घोषणा की। अब तो गांव की सीमा पर ही नशा मुक्त गांव का बोर्ड भी लगा दिया गया है।
बदलाव की बयार
सावनाजरा ने शराबमुक्त होकर सामाजिक बदलाव का एक नजीर पेश किया है। चंद माह पहले तक गांव में खुलेआम शराब बनती थी, बिकती थी, लोग सेवन करते थे। अब गांव में शराब की दुर्गंध नहीं, बल्कि यहां की मिट्टी से मेहनत की गंध आने लगी है। लोग अपनी मेहनत से खेतों में फसल उगा रहे हैं, मुर्गी पालन, बकरी पालन जैसे स्वरोजगार को अपना रहे हैं।
सबने कह दिया शराब को ना
गांव की तस्वीर बदलने में यहां जन प्रतिनिधियों एवं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का अहम योगदान रहा। शराब से होने वाली परेशानी को देखते हुए महिलाओं ने न सिर्फ खुद को जागरूक किया, बल्कि वे गांव में घूम- घूमकर शराब व नशापान से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए लोगों से नशामुक्त गांव बनाने की अपील की। सामूहिक प्रयास ने रंग दिखाया। लोगों ने शराब से तौबा कर लिया। ग्राम सभा अध्यक्ष दान कंडुलना कहते हैं कि ग्रामीणों ने सावनाजारा गांवों में पूर्ण शराबबंदी कर दी है। बनाने, बेचने और पीने सब पर पाबंदी।
गांव के वैसे लोग जो शराब बेचकर अपनी आजीविका चलाते थे, वे विभिन्न धंधों में लग गए हैं। गांव के लोग ग्राम सभा के बैनर तले एकजुट होकर कठोरता पूर्वक शराबबंदी को लागू कर रहे हैं। ग्रामीण शराबबंदी के लिए लंबे समय से संगठित हो रहे थे। मगर स्थानीय प्रशासन का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा था। प्रशासन ने साथ दिया तो बात बन गई। सरकारी स्तर पर कई तरह के रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश भी चल रही है इससे शराब के धंधे से जुड़े लोगों ने भी किनारा कर लिया है।
थाना प्रभारी सुशील कुमार ने कहा कि शराब झगड़ों का कारण बनती थी। घरेलू शांति के लिए पाबंदी जरूरी है। प्रशासन उनके साथ है।
जलडेगा पंचायत की मुखिया जयमिला लुगुन।
ग्रामीण एवं महिलाओं के बीच अलख जगाने वाली पंचायत की मुखिया जयमिला लुगुन के अनुसार अब सावनाजारा गांव में शराब न बनती है और न ही बेची जाती है। यह सब के संयुक्त प्रयास से संभव हो पाया है। गांव की सीमा पर नशा मुक्त गांव का बोर्ड भी लगा दिया गया है।