बापू के नाम पर सिमडेगा में प्रत्येक वर्ष लगता है मेला
झारखंड के आदिवासी बहुल जिलों में शुमार सिमडेगा जिला भी राष्ट्रपित
वाचस्पति मिश्र, सिमडेगा : झारखंड के आदिवासी बहुल जिलों में शुमार सिमडेगा जिला भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम, उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को जीवंत रखा है। उनके नाम नाम पर विगत 68 वर्षों से गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विशाल गांधी मेला लगता रहा है। यह मेला जहां एक ओर सामाजिक समरसता का एक बेजोड़ उदाहरण पेश करता है तो दूसरी ओर मेला स्वदेशी रंग व खुशबू के रूप में बापू के स्वराज की परिकल्पना को भी साकार करता है। प्रत्येक वर्ष करीब एक सप्ताह तक चलने वाले इस गांधी मेला में जिले के साथ-साथ निकटवर्ती जिले व पड़ोसी राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ से लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। मेले में एक ओर पारंपरिक आदिवासी संस्कृति की झलक मिलती है तो दूसरी ओर स्वदेशी निर्मित खाद्य सामग्री एवं परिधान भी मिलते हैं। इसके अलावा हस्त निर्मित सामग्री, उत्कृष्ट दर्जे के कृषि उत्पाद, दैनिक जरूरत की वस्तुओं के भी स्टॉल सजाए जाते हैं। मेला का शुभारंभ भी विधिवत राष्ट्रीय ध्वज फहराकर किया जाता है। प्रथम गणतंत्र दिवस से शुरू हुआ मेला
सिमडेगा:गांधी मेला की आरंभिक इतिहास भी बेहद रोचक व प्रेरणादायी रहा है। जब देश को आजादी मिली थी तब यहां बीरू गढ़ के राजा धर्मजीत सिंह देव ने गांधी मैदान में तिरंगा ध्वज फहराया था।उस घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे 90 वर्षीय आचार्य नरोत्तम शास्त्री ने इस संबंध में बताया कि उस ऐतिहासिक मौके पर ध्वजारोहण के बाद राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाया गया था। इसी मौके पर राजा धर्मजीत सिंह देव ने धनुष पर तीर चढ़ाकर भूमि से मिट्टी निकाला और महात्मा गांधी के नाम जमीन दान दी।जिसका नाम गांधी मैदान रखा गया।मौके पर तत्कालीन एसडीओ एस के चक्रवर्ती, स्वतंत्रता सेनानी गंगा विष्णु रोहिल्ला, आचार्य रमापति शास्त्री, वकील रऊफ साहब,संते मरीज विद्यालय के प्राचार्य फादर हेनरी ग्रिस्ट आदि शामिल हुए थे।वहीं जब देश में पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया तब इस गांधी मैदान में गांधी मेला का आयोजन शुरू हो गया। आरंभ में गांधी जी की प्रतिमा माटी से बनाई गई थी,वैसे अब यहां पाषाण प्रतिमा बनाई गई है। 31 जनवरी 1993 में यहां गांधी प्रतिमा चबूतरा निर्माण का आधार शिला रखा गया। ठीक एक साल बाद 26 जनवरी 1994 में प्रमुख टिकैत धनुर्जय सिंह देव एवं एसडीओ अमृत प्रत्यय ने प्रतिमा का उद्घाटन किया। इधर 2016 में तत्कालीन उपायुक्त विजय कुमार सिंह ने चबूतरा सौंदर्यीकरण व गेट आदि बनवाए। बेहतर किसानों को मिलता है पुरस्कार
सिमडेगा:गांधी विकास मेला सह प्रदर्शनी में प्रत्येक वर्ष जिले के किसान बड़ी उत्साह के साथ भाग लेते हैं। किसान अपने बेहतर कृषि उत्पाद को प्रदर्शनी में लगाते हैं। मेला की समाप्ति के मौके पर बेहतर उत्पाद के लिए किसानों को पुरस्कृत किया जाता है।इधर मौके पर विभिन्न विभागों के द्वारा स्टॉल लगाए जाते हैं। जहां विभिन्न प्रकार के योजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है।वहीं स्वरोजगार से जुड़ीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी आचार, मुरब्बा, हैंडक्रॉफ्ट आदि सामग्री की स्टॉल इस मेला में लगाती है। राजकीय मेला की होती रही हैं मांग
सिमडेगा:गांधी मेला को राजकीय मेला बनाने की मांग उठती रही है। झारखंड इस तरह का सांस्कृतिक, ऐतिहासिक मेला शायद ही कहीं लगता है। इधर मेला के लिए नगर परिषद् के माध्यम से डाक बंदोबस्ती की जाती है। एक वर्ष पूर्व तो यहां करीब 20 लाख में बंदोबस्ती हुई थी। जिसका लोगों ने जमकर विरोध किया था। लोगों का मानना है कि इस तरह के मेले को टैक्स फ्री किया जाना चाहिए। जिससे की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके।