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सरायकेला जिले में बनेंगी दो राइस मिल, मिली स्वीकृति

सरायकेला-खरसावां जिले में राइस मिल के लिए भूमि चिन्हित होने के बाद जिले में दो मिल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सरायकेला जिला में भूमि नहीं मिलने के कारण कई योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी है लेकिन इस बार अधिकारियों का प्रयास रंग लाया और कम समय में ही भूमि तलाश कर सरकार को भूमि संबंधी प्रतिवेदन उपलब्ध करा दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 07:15 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 07:15 AM (IST)
सरायकेला जिले में बनेंगी दो राइस मिल, मिली स्वीकृति
सरायकेला जिले में बनेंगी दो राइस मिल, मिली स्वीकृति

जासं, सरायकेला : सरायकेला-खरसावां जिले में राइस मिल के लिए भूमि चिन्हित होने के बाद जिले में दो मिल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सरायकेला जिला में भूमि नहीं मिलने के कारण कई योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी है लेकिन इस बार अधिकारियों का प्रयास रंग लाया और कम समय में ही भूमि तलाश कर सरकार को भूमि संबंधी प्रतिवेदन उपलब्ध करा दिया गया।

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राइस मिल के निर्माण के लिए जिले के नीमडीह प्रखंड के पुरियारा में तीन एकड़ भूमि व खरसावां के गोंडामारा में तीन एकड़ भूमि का चयन कर लिया गया है। राइस मिल के निर्माण को लेकर जमीन का चिन्हित होने के बाद जिला प्रशासन द्वारा जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से जियाडा के पक्ष में हस्तांतरण किया जा रहा है। पुरियारा में खाता संख्या 164,प्लॉट 863 में रकवा तीन एकड़ व गोंडामारा में खाता संख्या 197,प्लाट संख्या 535 में तीन एकड़ भूमि पर राइस मिल का निर्माण होगा।

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राइस मिल बनने से किसानों को होगा लाभ

सरायकेला जिले के दो प्रखंडों में राइस मिल के बनने से संबंधित प्रखंड के साथ जिले के किसानों को काफी लाभ प्राप्त होगा। किसानों को धान अधिप्राप्ति से समर्थन मूल्य प्राप्त होगा। बाजार में औने पौने दाम में धान बेचने की जरुरत नहीं होगी। प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। धान क्रय विक्रय को बढ़ावा मिलेगा। बाहर की चावल मिलों की मनमानी से जूझना नहीं होगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। बताया गया सरायकेला जिला में मुख्य रुप से धान की फसल की जाती है। जिला में धान की खेती के अनुपात में काफी कम मात्रा में धान की खरीदारी हो पाती है। लैंपसों में धान के भर जाने और राइस मिलरों द्वारा उठाव नहीं किए जाने से धान क्रय की गति काफी धीमी पड़ जाती है। जबकि जिला में आसानी से पांच से छह लाख क्विटल तक धान की खरीदारी की जा सकती है। राइस मिल के बन जाने से किसानो को अपना धान धान अधिप्राप्ति केन्द्रो में बेचने में सहूलियत होगी। साथ ही किसान भी धान बिक्री के लिए आगे आएंगे।


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