खरसावां गोलीकांड के अंतिम गवाह का निधन
जागरण संवाददाता, सरायकेला : खरसावां गोलीकांड के अंतिम चश्मदीद गवाह मागू सोय का रविवार सुबह
जागरण संवाददाता, सरायकेला : खरसावां गोलीकांड के अंतिम चश्मदीद गवाह मागू सोय का रविवार सुबह ग्यारह बजे निधन हो गया। मागू सोय कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। सरायकेला स्थित पैतृक गांव हेसा में सुबह घर पर तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर परिजन सदर अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 105 वर्षीय सोय तीन पुत्र एवं एक पुत्री को छोड़ गए। उनकी पत्नी का निधन कई वर्ष पहले हो गया था।
क्या है खरसावां गोलीकांड
एक जनवरी 1948 को खरसावां हाट में 50 हजार से अधिक आदिवासियों की भीड़ पर ओडिशा मिलिटरी फोर्स ने अंधाधुंध फाय¨रग की थी, जिसमें कई मारे गए थे। आदिवासी खरसावां का ओडिशा में विलय किए जाने का विरोध कर रहे थे एवं खरसावां को बिहार में शामिल करने की मांग पर आंदोलन कर रहे थे। आजाद भारत का यह सबसे बड़ा गोलीकांड माना जाता है। मागू सोय इस गोलीकांड के अंतिम गवाह थे। फाय¨रग के दौरान उनके बाएं पैर व बाएं हाथ की उंगली में गोली लगी थी। वे गंभीर रूप से घायल हुए थे।
नहीं मिला सम्मान
मागू सोय समय-समय पर आंदोलनकारियों को उचित सम्मान देने की मांग केंद्र व राज्य सरकार से करते रहे, लेकिन उन्हें किसी प्रकार का सम्मान नहीं मिला। सरकारी सुविधा के नाम पर केवल वृद्धा पेंशन का लाभ मिला। सोय द्वारा पहचान किए गए कई आंदोलनकारियों को झारखंड सरकार की ओर से प्रमाण पत्र प्राप्त हुए, लेकिन वे स्वयं प्रमाण पत्र व सम्मान के मोहताज रह गए। मागू सोय की इच्छा थी की झारखंड, बिहार व ओडिशा सरकार के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हो, लेकिन निधन की सूचना मिलने के बाद भी कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनके घर नहीं पहुंचे।
पहुंचे षाड़ंगी, जताया शोक
सूचना मिलने पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष अशोक षाड़ंगी उनके घर पहुंचे और परिजनों का ढांढस बंधाते हुए हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में षाड़ंगी ने कहा कि खरसवां गोलीकांड के गवाह मागू सोय का निधन सरायकेला ही नहीं पूरे झारखंड के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने निधन की सूचना मुख्यमंत्री को देते हुए परिजनों को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाने का प्रयास करने की बात कही। इस मौके पर भाजपा नगर अध्यक्ष सोहन ¨सह, उमेश भोल, सुदीप पट्टनायक, बद्री दरोगा, वितेश चौधरी समेत अन्य भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे।
पिछले वर्ष हुआ था दशरथ मांझी का निधन : खरसावां गोलीकांड के गवाह रहे दशरथ मांझी का निधन 13 अप्रैल 2017 को सरायकेला के पैतृक गांव भुरकुली में हुआ था। दशरथ मांझी को भी गोलीकांड के दौरान गोली लगी थी। मागू सोय व दशरथ मांझी इस गोलीकांड के चश्मदीद गवाह थे। इन दोनों आंदोलनकारी को अंतिम सांस तक सरकार की ओर से किसी प्रकार का सम्मान नहीं मिला।
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क्या कहते हैं परिजन
मागू सोय के छोटे बेटे शंकर सोय (भूतपूर्व सैनिक) ने बताया कि उनके पिता की अंतिम इच्छा थी कि राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार सरकार की ओर से किया जाए, इसलिए सभी जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, नेता आदि को सूचना दी गई है। सोमवार तक शव को रखा जाएगा। उसके बाद शाम को गांव के श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।