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राजनगर : हनुमतबेड़ा गांव से हत्यारोपी ओझा धराया

संवाद सूत्र, राजनगर : थाना क्षेत्र के हनुमतबेड़ा में 23 अगस्त को डायन संदेह में हुई विधवा मालह

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 05:36 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 05:36 PM (IST)
राजनगर : हनुमतबेड़ा गांव से हत्यारोपी ओझा धराया
राजनगर : हनुमतबेड़ा गांव से हत्यारोपी ओझा धराया

संवाद सूत्र, राजनगर : थाना क्षेत्र के हनुमतबेड़ा में 23 अगस्त को डायन संदेह में हुई विधवा मालहो मुर्मू की हत्या के मामले में मुख्य आरोपित ओझा लाभा टुडू उर्फ भालू को पुलिस ने बुधवार को हनुमतबेड़ा गांव से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी ओझा फिर से हनुमतबेड़ा गांव में पूजा के लिए आया हुआ था। जैसे ही पुलिस को इसकी सूचना मिली थाना प्रभारी यज्ञ नारायण तिवारी एवं एएसआई अनिल ओझा एवं सशस्त्र बल के साथ भोर तीन बजे ही हनुमतबेड़ा पहुंचे और आरोपी ओझा को धर दबोचा। आरोपी ओझा को जेल भेज दिया गया। घटना में ओझा समेत पांच लोग शामिल थे। आरोपियों ने 23 अगस्त रात 11.30 बजे अपने 14 वर्षीय एकलौते पुत्र चना मुर्मू के साथ सो रही मालहो मुर्मू की धारदार हथियार से हत्या कर दी थी। 24 अगस्त को पुत्र चना मुर्मू ने मां की हत्या किए जाने का मामला थाना में दर्ज कराया। हत्या में ओझा समेत मालहो मुर्मू की जेठानी और उसके दो बेटे व एक बेटी शामिल थी। पुलिस ने हत्या के आरोप में राजली देवी, चंपा मुर्मू, चना मुर्मू व लखन मुर्मू को पहले ही जेल भेज दिया है। घटना के बाद से ओझा फरार चल रहा था। ओझा लाभा टुडू ओडिशा के ति¨रग थाना क्षेत्र के कोमराम गांव का रहने वाला है। वह गले में कई माला एवं हाथ में अंगूठी पहने था।

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अंधविश्वास के कारण हो रही हत्याएं : थाना प्रभारी

थाना प्रभारी यज्ञ नारायण तिवारी ने लोगों को ओझा गुनी के चक्कर में नहीं फंसने की अपील की है। थाना प्रभारी ने कहा कि आज भी आदिवासी बहुल इलाकों में अंधविश्वास के चलते लोगों की हत्याएं हो रही हैं। ओझा गुनी के झांसे में आकर निर्दोष को डायन बताकर हत्या कर रहे हैं। यह सभ्य एवं शिक्षित समाज के लिए शर्म की बात है। थाना प्रभारी ने कहा कि गरीब और अशिक्षित परिवार इसके शिकार होते हैं। ऐसे परिवार में यदि कोई सदस्य बीमार पड़ता है तो लोग उसे डॉक्टर के बजाय ओझा के यहां ले जाते हैं। ढोंगी ओझा अपनी मनगढ़ंत बातों से परिवार वालों का ब्रेन वाश करता है। उनके अंदर इतना अंधविश्वास फैला दिया जाता है कि ओझा जिसे डायन करार देता उसे ही लोग डायन समझ बैठते हैं। डायन बिसाही के प्रति लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है। इसके लिए हर तबके तक शिक्षा की रोशनी पहुंचानी होगी।


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