भुगतान की लेटलतीफी से किसान परेशान
किसान सरकार को सरकारी क्रय केंद्र पर अपना धान इसलिए बेचते हैं ताकि उन्हें उनका वाजिब दाम मिले। यही सोचकर अपनी उपज को बिचौलिए के हाथों औने पौन दाम नहीं बेचना चाहते हैं। लेकिन सरकारी क्रय केंद्र में धान बेचकर भी किसान बेहाल है।
राजनगर (सरायकेल-खरसावां): किसान सरकार को सरकारी क्रय केंद्र पर अपना धान इसलिए बेचते हैं, ताकि उन्हें उनका वाजिब दाम मिले। यही सोचकर अपनी उपज को बिचौलिए के हाथों औने पौन दाम नहीं बेचना चाहते हैं। लेकिन सरकारी क्रय केंद्र में धान बेचकर भी किसान बेहाल है। भुगतान समय पर नहीं हो रहा। तीन-तीन महीने बेचे गए धान का पैसा नहीं मिल रहा। वहीं पैसा प्राप्त करने के लिए कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सरकार की इसी लेटलतीफी के कारण किसान बिचौलियों के हाथ अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं। ऐसे ही राजनगर प्रखंड के कुछ किसान हैं, जिन्हें तीन माह बाद भी पैसा नहीं मिला है। पैसा नहीं मिला तो कैसे धान की बोआई, रोपाई का काम कराएंगे। क्या कहते हैं किसान
23 मार्च को 20 क्विंटल धान सरकारी क्रय केंद्र में बेचा था। अभी तक भुगतान नहीं हुआ। खेती किसानी का समय आ गया। कब पैसा मिलेगा। खेतीबाड़ी का काम कैसे होगा। पहले ऐसा नहीं होता था। अब तो किसान सरकार को धान बेचकर खुद बेहाल हैं।
-- चंडी महतो, चांगुवा
14 अप्रैल को 29 क्विंटल धान सरकारी क्रय केंद्र में बेचा था। दो महीने बाद भी पैसा नहीं आया। चाईबासा कार्यालय में कई बार गया। दूरभाष पर भी संपर्क किया। सिर्फ आज कल मिलेगा का आश्वासन मिलता है। पैसा समय पर नहीं मिलेगा तो कृषि कार्य कैसे करेगा।
-- नकुल महतो, राजनगर- 16 अप्रैल को 32 क्विंटल धान सरकारी क्रय केंद्र में बेचा है। दो माह बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। प्रशासन को जल्द भुगतान करना चाहिए। लेटलतीफी के चलते किसान बिचौलियों के हाथों धान बेचने को मजबूर होते हैं।
-- भीम महतो, राजनगर -