जंगली हाथियों के उत्पात से परेशान हैं किसान, विभाग सुस्त
खरसावां वन क्षेत्र में जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम ही नहीं ले रही है। करीब एक दर्जन जंगली हाथी पिछले एक पखवाड़े से जमे हुए हैं।
संवाद सूत्र, खरसावां : खरसावां वन क्षेत्र में जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम ही नहीं ले रही है। करीब एक दर्जन जंगली हाथी पिछले एक पखवाड़े से जमे हुए हैं। शाम होते ही वे पास के जंगल से बाहर निकल कर धान के खेतों में पहुंच जा रहे है और धान की फसल रौंद कर बर्बाद कर रहे है। खरसावां के ग्रामीण क्षेत्र के किसान जंगली हाथियों के उत्पात तथा किये जा रहे नुकासन को लेकर काफी भयभीत है। बरसात का मौसम होने के कारण हाथियों को खेतों से खदेड़ने में भी परेशानी हो रही है। हाथियों को खदेड़ने के दौरान खेत की दलदल मिट्टी में फंसने का डर बना रहता है। दूसरी ओर हाथियों को घने जंगलों की ओर खदेड़ने के दिशा में भी वन विभाग पहल नहीं कर रही है। विभागीय सुस्ती के कारण जंगली हाथी क्षेत्र में ही जमे हुए है। हाथियों को खदेड़ने के लिये न तो वन विभाग के कर्मी बाहर निकलते हैं और न ही हाथियों को भगाने के लिये किसी तरह का दस्ता लाया गया है। इस कारण किसानों के साथ साथ आम लोगों में भी वन विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश देखी जा रही है। ग्रामीणों ने जल्द से जल्द हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने की मांग की है। पिछले एक सप्ताह में जंगली हाथियों ने काशीडीह के बाउरी महतो, काठुराम महतो व अंबिका महतो, बिटापुर के रमेश केराय, मंगल केराय, सुशील बोदरा, गंभीर महतो, धनेश्वर महतो, आसनी महतो, वीर सिंह उरांव, जगन्नाथ उरांव, छोटे सिंह उरांव, विभीषण उरांव, बाहादूर महतो, अक्षय गुंजा, रायडीह के अरविद महतो, सुखदेव महतो, जयसिंह सरदार, भिष्मा महतो, कदमबेड़ा के मनोज उरांव, मंगल उरांव, घासिया उरांव, ललीता उरांव, गुरु चरण उरांव आदि के खेतों में जा कर धान के पौधों को पैरों तले रौंद कर बर्बाद किया।