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मुड़ाटांड़ में हाथियों ने तोड़ा घर, खा गए 15 क्विंटल धान

सरायकेला प्रखंड के नयागोड़ा गांव में गुरुवार रात पांच जंगली हाथियों ने एक घर तोड़कर 15 क्विंटल धान खा गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 06:30 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 06:30 PM (IST)
मुड़ाटांड़ में हाथियों ने तोड़ा घर, खा गए 15 क्विंटल धान
मुड़ाटांड़ में हाथियों ने तोड़ा घर, खा गए 15 क्विंटल धान

संवाद सूत्र, सीनी : सरायकेला प्रखंड के नयागोड़ा गांव में गुरुवार रात पांच जंगली हाथियों ने एक घर ध्वस्त कर दिया और घर में रखे अनाज चट कर गया। घर में बच्चों के साथ सोई महिला किसी तरह भागकर अपनी व बच्चों की जान बचाने में सफल रही। इसके बाद दो लोगों के खलिहान में रखे धान खा गए। इससे लगभग ढाई लाख रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है।

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इससे पहले हाथियों ने मोहितपुर गांव में एक मकान की दीवार तोड़ दी। इस गांव में हाथियों ने ज्यादा जान माल का नुकसान नहीं किया। ग्रामीणों एवं प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बुधवार रात पांच जंगली हाथियों का झुंड रात 11 बजे के लगभग मोहितपुर गांव पहुंच गया। यहां हाथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए खितिश दास की दीवार तोड़ दी। लोगों के जागने पर हाथियों का झुंड आगे बढ़ते हुए रात साढ़े बारह बजे के लगभग मुड़ाटांड़ पंचायत के नयागोड़ा गांव पहुंच गया। गांव में बिजली जल रही थी। हाथियों ने तार नोचकर बिजली बंद कर दिया। गांव के किनारे स्थित मकान में नील कमल मुदी की पत्नी सुरोधनी मुदी अपने दो बच्चों के साथ सोई थी। हाथी आने की आहट सुनकर वह अपने दोनों बच्चों को लेकर किसी तरह घर से भाग कर पड़ोसी के घर में चली गई। हाथियों ने पहला निशाना नील कमल मुदी के मकान को बनाया। मकान पूरी तरह से ध्वस्त करते हुए घर में रखे चार क्विंटल चावल एवं 15 क्विंटल धान खा गया। मकान की दीवार गिरने से टीवी, साइकिल, पंखा, टेबल-कुर्सी समेत घरेलू सामान बर्बाद हो गया। इसके बाद हाथियों ने किरण सरदार के खलिहान में रखे 10 क्विंटल और गुरुचरण सरदार के खलिहान में रखे 12 क्विंटल धान खा गए। ग्रामीणों ने गोलबंद होकर हाथी भगाने के लिए पुआल जलाया। घंटों मशक्कत के बाद सुबह तीन बजे के लगभग हाथियों का झुंड गांव से भगाने में सफल रहे।

नील कमल की पत्नी सुरोधनी मुदी ने बताया कि उसके पति मजदूरी करने कन्याकुमारी गए हैं। वह अपने दो बच्चों के साथ घर में सोई थी। दूसरे कमरे में धान एवं चावल रखे थे। उसी कमरे में बैल भी बंधा था। इस बीच रात साढ़े बारह बजे के लगभग गांव में हाथी आने की आहट पाते ही वह जाग गई और अपने दोनों बच्चों को लेकर घर से भागी। वहां से निकलकर अपने ससुर के घर चली गई। घर मे बंधे बैल भी रस्सी तोड़कर भाग निकले।

धान फसल होने के बाद आते हैं हाथी

सुरोधनी ने बताया कि मकान पूरी तरह ध्वस्त होने पर अब वह बेघर हो गई है। सिर छिपाने के लिए को आशियाना नहीं रह गया। उन्होंने बताया कि जंगली हाथियों ने उनकी दो लाख संपत्ति का नुकसान किया। पति को सूचना दी गई है। उनके आने पर ही रहने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। किरण सरदार एवं गुरुचरण सरदार ने बताया कि इस वर्ष खेती से जो भी धान फसल हुई थी वह खलिहान में ही रखा था। जंगली हाथियों ने पूरे साल की मेहनत पर पानी फेर दिया। लगभग पचास हजार रुपये की फसल का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि गांव में हर साल जंगली हाथी आकर फसल नुकसान करते है। हाथी भगाने के लिए वन विभाग द्वारा पटाखा, लाइट एवं अन्य सामान मुहैया नहीं कराई जाती है। हाथी भगाने के लिए गांव के लोग पुआल जलाकर काम चलाते हैं।

वन विभाग के कर्मचारियों ने घटनास्थल का किया मुआयना

घटना की सूचना मुखिया एवं वन विभाग को दी गई। सूचना पाकर वन विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और नुकसान का आकलन किया। मुखिया गौरी देवी एवं बीस सूत्री कार्यक्रम के प्रखंड अध्यक्ष तपन महतो घटनास्थल पर पहुंचे। मुखिया ने नुकसान का जायजा लिया और पीड़ित परिवार को तत्काल राहत के तहत पचास किलो चावल एवं कंबल आदि उपलब्ध कराया। प्रखंड अध्यक्ष ने वन विभाग को अविलंब क्षतिपूर्ति की मांग की। साथ ही हाथी भगाने के लिए ग्रामीणों को सर्च लाईट, पटाखा समेत अन्य सामान उपलब्ध कराने की मांग की।


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