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हाथियों के डर से रतजगा कर रहे हुदू पंचायत के ग्रामीण

सरायकेला प्रखंड के कई गांवों में हाथियों ने मंगलवार रात जमकर उत्पात मचाया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 07:10 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:33 AM (IST)
हाथियों के डर से रतजगा कर रहे हुदू पंचायत के ग्रामीण
हाथियों के डर से रतजगा कर रहे हुदू पंचायत के ग्रामीण

जागरण संवाददाता, सरायकेला : प्रखंड के वन क्षेत्र में स्थित गांवों में जंगली हाथियों का तांडव जारी है। ग्रामीण सुरक्षा को लेकर दहशत में हैं। रोज एक न एक गांव में हाथी उत्पात मचा रहे हैं। हाथी गांव में घुसकर घरों को तोड़ रहे हैं और अनाज खा जा रहे हैं। पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

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इधर चार माह में सरायकेला प्रखंड के वन क्षेत्र के कई गांवों में जंगली हाथियों ने उत्पात मचाया। कई गरीबों के मकान तोड़ दिए। फसल बर्बाद कर मकान तोड़ दिए हैं। इन सब के बावजूद विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। मंगलवार रात सरायकेला प्रखंड के कालाझोर, शारदाबेड़ा व हतनादा गांव में दर्जनों हाथियों ने रात भर जमकर उत्पात मचाया। हाथियों ने घर में रखे अनाज को बर्बाद करते हुए कई मकान को क्षतिग्रस्त कर दिया। खेत में लगी सब्जियों को खा गया और बर्बाद कर दिया। हाथियों के डर से ग्रामीणों ने पूरी रात जागकर बिताई।

विभाग द्वारा ग्रामीणों को हाथी भगाने के लिए कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इस कारण ग्रामीण हाथी भगाने में लाचार दिखे। ग्रामीण जंगली हाथियों के जाने का इंतजार कर रहे थे। सुबह होते ही जंगली हाथी जंगल की ओर भाग निकले। इसके बाद ग्रामीणों ने मुखिया को घटना की जानकारी दी। सूचना पाते ही हुदू पंचायत के मुखिया दुर्गा मुंडा गांव पहुंचे और ग्रामीणों से मिलकर घटना की जानकारी ली। मुखिया ने ग्रामीणों को विभाग से मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया है। मुखिया दुर्गा मुंडा ने बताया कि मंगलवार रात जंगली हाथियों के झुंड ने कालाझोर के सोना राम मांझी, शारदाबेड़ा के संतोष सरदार व हिन्दू सरदार के घरों को तोड़ दिया। ग्रामीण एकजुट होकर अलाव जलाकर पूरी रात काटी। हाथियों ने बारी-बारी से कई घरों में तबाही मचाई। मुखिया ने वन विभाग के अधिकारियों से हाथी भगाने के लिए कारगर पहल करने का आग्रह किया है। ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों से बचाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई तो ग्रामीण मजबूर गांव छोड़ने को मजबूर होंगे।

पुराने ढर्रे पर चल रहा वन विभाग

दूसरी तरफ विभाग द्वारा फसलों की रक्षा करने के लिए वर्षों पुरानी पारंपरिक व्यवस्था ही चला रही है। इसमें विभाग द्वारा ग्रामीणों को मशाल, जला मोबिल, टॉर्च, पटाखा आदि देकर अपना इतिश्री समझते हैं। बाद में नुकसान के एवज में कुछ मुआवजा दे दिया जाता है। रेंजर प्रमोद कुमार का कहना है कि हाथियों को इस क्षेत्र में खाने पीने की पर्याप्त सामग्री मिल जाती है। इसलिए वे यहां हर साल आना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा है कि आने वाले दिनों में हाथियों के कॉरिडोर को पूर्ण विकसित करने की योजना है। इस पर वन विभाग का काम चल रहा है।


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