हर्षोल्लास के साथ मनाई गई दीपावली
सरायकेला व सीनी समेत आसपास के क्षेत्रों में शनिवार को हर्षोल्लास के साथ दीपावली मनाई गई। हालांकि त्यौहार पर कोरोना का प्रभाव भी हावी रहा। शाम होते ही नगर क्षेत्र रोशनी से जगमगा उठा..
जागरण संवाददाता, सरायकेला : सरायकेला व सीनी समेत आसपास के क्षेत्रों में शनिवार को हर्षोल्लास के साथ दीपावली मनाई गई। हालांकि त्यौहार पर कोरोना का प्रभाव भी हावी रहा। शाम होते ही नगर क्षेत्र रोशनी से जगमगा उठा। स्थानीय लोगों ने रंग-बिरंगे लाइटिंग से अपने-अपने घरों व प्रतिष्ठानों की आकर्षक सज्जा की थी। देर रात तक आतिशबाजी होती रही। बच्चों ने जमकर आतिशबाजी की। इस अवसर पर स्थानीय लोगों वे घरों व प्रतिष्ठानों में मां महालक्ष्मी की आराधना की।
भक्तों ने की महाकाली की आराधना : शनिवार की देर रात सरायकेला क्षेत्र में माता महाकाली की आराधना की गई। सरकारी पूजा मंडप में पंडित गोपाल कृष्ण होता ने माता महाकाली का आह्वान कर विधि-विधान के साथ पूजा की। यजमान के रूप में राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के निदेशक गुरु तपन कुमार पटनायक ने माता की आराधना करते हुए क्षेत्र में सुख, शांति व समृद्धि और कोरोना से मुक्ति के लिए मंगलकामना की। मौके पर केंद्र के वरीय अनुदेशक विजय कुमार साहू समेत कई उपस्थित थे। इसी प्रकार, श्मशान स्थित मां काली मंदिर व गुदड़ी मार्केट स्थित माता काली के मंदिर में भी परंपरागत तरीके से मां महाकाली की पूजा-अर्चना व आराधना की गई।
दीपावली पर जमकर हुई आतिशबाजी : खरसावां में उत्साह के साथ दीपावली मनाई गई। इस दौरान जमकर आतिशबाजी हुई ओर दीया व मोमबत्ती जलाए गए। खरसावां का हर मोहल्ला दीयों की रोशनी से जगमगा उठा। इस अवसर पर विभिन्न व्यापारिक प्रतिष्ठानों व घरों में लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई।
पदमपुर में शनिवार की देर रात शुरू हुई मां काली की पूजा : खरसावां के प्रसिद्ध पदमपुर काली मंदिर में शनिवार की देर रात से श्रद्धा व भक्ति के साथ मां काली की पूजा शुरू हो गई। आगामी सात दिनों तक मां काली की पूजा की जाएगी। 20 नवंबर की शाम मां काली की प्रतिमा का विसर्जन होगा। शनिवार की रात व रविवार की सुबह से देर शाम तक माता के मंदिर में पूजा करने के लिए कोल्हान के कोने-कोने से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भक्तों ने माता के दरबार में माथा टेका। काफी संख्या में माता के भक्त पड़ोशी राज्य ओडिशा व बंगाल से भी आए थे। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। मंदिर परिसर में विशेष विद्युत सज्जा की व्यवस्था भी की गई है। पदमपुर में मां काली पूजा 1897 से होती आ रही है। 123 साल पुराना काली मंदिर सिर्फ खरसावां ही नहीं, बल्कि पूरे कोल्हान के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। चढ़ावा स्वरुप कई भक्तों ने मिष्ठान्न भोज लगाए तो कई ने भेड़ा व बकरा की बलि दी। पदमपुर में इस वर्ष मां काली की पूजा के दौरान मेला का आयोजन नहीं किया गया है। यहां हर वर्ष सात दिनों तक भव्य मेला का आयोजन होता है। मेला में 50 हजार से अधिक लोग पहुंचते हैं। परंतु इस वर्ष कोविड-19 को लेकर मेला का आयोजन नहीं किया गया है। पूजा समिति के सुब्रत सिंहदेव ने बताया कि पूजा के दौरान राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का अनुपालन किया जा रहा है।