प्राकृतिक उपासना का त्योहार है बाहा : सुगनाथ
संवाद सूत्र राजनगर आदिवासियों का प्रमुख त्योहार बाहा उत्सव आरंभ हो गया है। चैत्र माह शुक्ल पक्ष के तृतीय तिथि से शुरू होकर होली तक बाहा पर्व की धूम रहेगी।
संवाद सूत्र, राजनगर : आदिवासियों का प्रमुख त्योहार बाहा उत्सव आरंभ हो गया है। चैत्र माह शुक्ल पक्ष के तृतीय तिथि से शुरू होकर होली तक बाहा पर्व की धूम रहेगी। आदिवासी संथाल समाज में बाहा एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस त्योहार को आदिवासियों के अलग अलग समूह में अलग अलग नाम से जाना जाता है। यह मुख्यत: प्राकृतिक उपासना का त्योहार है। आदिवासियों में ऐसी मान्यता है कि बाहा पर्व के बाद ही नए फल-फूल का सेवन किया जाता है। इन दिनों राजनगर के विभिन्न संथाल बहुल गांवों में बाहा पर्व की धूम है। रोला में रविवार को बाहा पूजा का आयोजन किया गया। नायके लोसो मुर्मू ने जाहेरथन में साल वृक्ष के नीचे पारंपरिक रीति रिवाज से पूजा अर्चना कर सारी परंपराएं संपन्न की। लोगों ने खिचड़ी प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद परंपरा अनुसार नायके ने उपस्थित लोगों को साल का फूल वितरण किया। नायके से साल का फूल लेकर लोगों ने अपने कानों में लगाया। लोगों ने ईस्ट देवता से सुख समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की। इसके बाद पारंपरिक वेशभूषा में मंदार की थाप पर पारंपरिक बाहा नृत्य किया। रातभर आखाड़े में महिला पुरुषों ने बाहा नृत्य का आनंद उठाया। इस अवसर पर मुख्यरूप से उपस्थित आदिवासी सेंगेल अभियान व जेडीपी जिलाध्यक्ष सुगनाथ हेंब्रम ने कहा कि आदिवासी प्रकृति प्रेमी होते हैं। आदिवासियों के सभी पर्व त्योहार प्रकृति के द्योतक होते हैं। संथाल समाज में बाहा पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह प्रकृति उपासना का त्योहार है। इधर मुरुमडीह, कुमडीह, नामीबेड़ा, सरंगपोसी सहित विभिन्न गांवों में बाहा पर्व की धूम है।