वर्तमान सरकार की सोच गांव, गरीब व किसान विरोधी
भाजपा प्रदेश महामंत्री सह राजमहल विधायक अनंत कुमार ओझा शनिवार को कहा कि राज्य सरकार की कृषि आशीर्वाद योजना बंद करने की तैयारी कर रही है। इससे सरकार के गांव गरीब व किसान विरोधी नीति साफ झलकती है। कहा कि राज्य सरकार अपनी अकर्मण्यता और विफलताओं को छिपाने के लिए किसानों के कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने में जुटी है। केन्द्र सरकार के तर्ज पर राज्य में भी पूर्ववती एनडीए की सरकार 2022 तक किसानों की आय दो गुणा करने की दिशा में एक विश्वास के साथ ऐतिहासिक और कल्याणकारी फैसला लिया था। मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की खासियत है कि एक एकड़ तक की जमीन वाले किसानों को पांच हजार रुपए और पांच एकड़ तक जमीन वाले किसानों को 25 हजार रुपए मिल रहे है। वहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से प्रतिवर्ष छह हजार रुपए प्राप्त हो रही है। इस योजना के तहत 35 लाख किसानों को तीन ह
साहिबगंज : भाजपा प्रदेश महामंत्री सह राजमहल विधायक अनंत कुमार ओझा शनिवार को कहा कि राज्य सरकार की कृषि आशीर्वाद योजना बंद करने की तैयारी कर रही है। इससे सरकार के गांव, गरीब व किसान विरोधी नीति साफ झलकती है। कहा कि राज्य सरकार अपनी अकर्मण्यता और विफलताओं को छिपाने के लिए किसानों के कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने में जुटी है। केंद्र सरकार के तर्ज पर राज्य में भी पूर्ववती एनडीए की सरकार 2022 तक किसानों की आय दो गुणा करने की दिशा में एक विश्वास के साथ ऐतिहासिक और कल्याणकारी फैसला लिया था। मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की खासियत है कि एक एकड़ तक की जमीन वाले किसानों को पांच हजार रुपए और पांच एकड़ तक जमीन वाले किसानों को 25 हजार रुपए मिल रहे है। वहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से प्रतिवर्ष छह हजार रुपए प्राप्त हो रही है। इस योजना के तहत 35 लाख किसानों को तीन हजार करोड़ रुपए डीबीटी के माध्यम से मिल रहे है लेकिन वर्तमान सरकार को किसानों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं है। अपने बड़े बड़े वायदों और घोषणाओं को जमीन पर उतारने की क्षमता इस सरकार में नहीं है। इसलिए सरकार के गठन से पहले ही राज्य के खजाना खाली का बहाना ढूंढ कर राज्य की जनमानस को दिग्भ्रमित करने का काम कर रही है। भ्रष्टाचार में फिर से राज्य को झोंकने में यह सरकार लग गई है। राज्य में उग्रवाद फिर से सिर उठाने लगी है। इसका कारण है कि सरकार गठन होते ही राष्ट्र विरोधियों से मुकदमे वापस लिए जाते है। इसका परिणाम आदिवासियों की नृशंस हत्या होती है।