पिढो पिढो ते चला हुयुआ चिहुड़बोना
गोड्डा जिले के बोआरीजोर प्रखंड अंतर्गत लीलातरी टू पंचायत के चिहुरबोन गांव की समस्या के बारे में मैंने सुना तो खुद चलकर देखा। यह गांव मुख्य सड़क से 4 किलोमीटर अंदर है ।इस गांव से पहले मुख्य सड़क से सटे एक गांव सावा पोखर देखा जहां मुख्य सड़क से 2 किलोमीटर तक सड़क है लेकिन सवापोखर गांव के बाद 2 किलोमीटर अंदर प्रकृति की गोद में पहाड़ की तराई में आदिम जनजाति एवं आदिवासियों का गांव चिहुरबोन के लिए जाना चाहता तो मुझे रास्ता का आभास नहीं होने लगा तो मैं कुछ देर खड़ा हो गया इतने में आदिवासी ग्रामीण दिखाई पड़ा उससे मैंने पूछा मुझे चिहुरबोन गांव जाना है जाने का रास्ता बताया जाए तो उन्होंने मुझे बताया
ललमटिया (गोड्डा): बोआरीजोर प्रखंड की लीलातरी टू पंचायत का सावापोखर गांव। सुबह आठ बजे हैं। हमें चिहुरबोना गांव जाना है लेकिन वहां जाने का रास्ता नहीं मिलता है। हम गांव से थोड़ा आगे बढ़ते हैं और एक पुलिया के बगल में स्थित आम के पेड़ों की छांव में रुककर किसी के आने का इंतजार करने लगे। ताकि वह चिहुरबोना गांव जाने का रास्ता बता सके। करीब पांच मिनट बाद एक व्यक्ति दिखता है। उससे चिहुरबोना गांव का रास्ता पूछता हूं। वह कहता है- पिढो पिढो ते चला हुयुआ चिहुड़बोना (खेत की मेड़ से चलते जाइए चिहुड़बोना पहुंच जाइएगा)। उस गांव में जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। अड्डा से होकर दो किलोमीटर चलने के बाद गांव पहुंचता हूं। वहां कुछ ग्रामीणों के साथ ग्राम प्रधान बाबूराम किस्कू भी मिल जाते हैं। इस गांव में करीब 70 घर हैं। सड़क के बारे में पूछने पर वह झल्ला जाते हैं। कहते हैं कि हम आदिवासियों को देखने वाला कोई नहीं है। हमारे गांव में सरकार की योजनाएं नहीं पहुंच पाती हैं। आजतक गांव को मुख्य सड़क से नहीं जोड़ा गया। इसी क्रम में जिला परिषद सदस्य रामजी साह भी वहां पहुंचते हैं। उनके पहुंचते ही गांव के अन्य लोग भी वहां पहुंचे जाते हैं। वे अपनी अपनी समस्या सुनाने लगते हैं। गांव की महिला सुहागिनी मरांडी काफी आक्रोशित है। वह कहती है कि गांव में पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। तीन चापाकल उसने दिखाया जो बेकार पड़े हैं। एक कुएं की भी स्थिति दयनीय है। लोग दो किलोमीटर दूर जाकर दूसरे गांव से पानी ला रहे हैं। कुछ ही देर में उस गांव के वार्ड सदस्य ताला बाबू मुर्मू भी पहुंचे। उन्होंने बताया कि हम लोगों ने पानी के साथ-साथ गंदगी की समस्या से लीलातरी टू पंचायत की मुखिया श्रीमंती देवी को अवगत कराया था। उन्होंने बताया कि साफ सफाई के लिए अभी कोई मेरे पास फंड नहीं है। ग्रामीण मरांगमय मरांडी, ढाबुंग मरांडी, सकल मरांडी, फागु मरांडी, बड़का मरांडी आदि का कहना था कि उनलोगों के घर की स्थिति काफी दयनीय है। प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला है। सुहागनी मरांडी ने बताया कि इस गांव की बहुत बड़ी विडंबना है कि यदि कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए तो उसे खाट पर ही लादकर ले जाना पड़ेगा। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मात्री वंदना एवं माताओं के प्रसव के लिए सड़क ना होने के कारण यहां ममता वाहन भी नहीं पहुंच पाता है। ग्राम प्रधान बाबूराम किस्कू ने बताया कि चिहुरबोना प्राथमिक विद्यालय में तीन-तीन शिक्षक हैं लेकिन स्कूल नियमित खुलता ही नहीं है। स्कूल भवन भी जर्जर है। कुछ दिन पूर्व रिपेयरिग हुई थी लेकिन अब तक उसकी स्थिति दयनीय है। स्कूल के नए भवन का निर्माण 10 माह पूर्व शुरू हुआ लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ।