अब दम तोड़ने के कगार पर रेलवे का समृद्ध तालाब
साहिबगंज : कभी शहर की शान रहा रेलवे का समृद्ध तालाब अब दम तोड़ने के कगार पर है इसका
साहिबगंज : कभी शहर की शान रहा रेलवे का समृद्ध तालाब अब दम तोड़ने के कगार पर है इसका अस्तित्व खतरे में है। अंग्रेजों के जमाने में इसी तालाब से स्टीम इंजनों में पानी भरने का काम होता था। झरना कॉलोनी के लोग इसी के आसरे अपनी दैनिक कार्यकलाप पूरी करते थे। कभी साहिबगंज के रेल कॉलोनियों को जिस तालाब से पानी सप्लाई होती थी। कई एकड़ में फैले तालाब पर अब घास फूस ने अपना प्रभुत्व कायम कर दिया है। रेल अधिकारी बताते हैं कि अब मालदा रेल मंडल के अधिकारी इसे भरकर इसपर रेलवे का प्रोजेक्ट बनाने की सोच रहे हैं। तालाब में कई मौतें डूबने से होने के बाद इसे भूतहा तालाब भी अब कुछ लोग कहने लगे हैं।
जिस समय रेलवे में स्टीम इंजन चलती थी उस समय साहिबगंज में रेलवे का समृद्ध लोको हुआ करना था। साहिबगंज के सैकडों रेलवे क्वार्टर जो खाली पड़े हैं उसमें रेल कर्मी सपरिवार रहते थे उस समय रेलवे का यह तालाब पानी की जरुरतें पूरी करता था। रेलवे के साउथ कालोनी में तालाब के किनारे इंजन का डस्ट फेंका जाता था। अब हालत यह है कि रेलवे में रहने वाले परिवारों के लोग इस तालाब में कचरा फेंकने का काम करते हैं। तालाब का महत्व लोको बंद होने एवं स्टीम इंजन बंद होने के बाद से ही कम होता जा रहा है।
क्या कहते हैं साहिबगंज के रेलकर्मी
रेलवे का तालाब अब धीरे धीरे गाद से भरता जा रहा है। गहराई कम होती जा रही है। रेलवे कर्मी मनोज कुमार बताते हैं कि रेलवे के इस तालाब का महत्व अब भी कम नहीं है परंतु रेलवे इसका जीर्णोंद्धार नहीं करा रहा है। तालाब में मछली पालन से भी रेलवे को अच्छी आमदनी होती थी। रेलकर्मी राकेश कुमार का कहना है कि तालाब में पानी रहने के कारण आसपास के घरों का जलस्तर मेंटेन रहता है चापाकलों में पानी सालोंभर आता है परंतु अगर यह बंद हो गया तो रेलवे में पहले से ज्यादा पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा।
कोट
साहिबगंज रेलवे के पुराने तालाब की देखरेख चल रही है। किसी योजना के लिए तालाब को भरने की योजना फिलहाल नहीं है। रेलवे के पास प्रोजेक्ट के लिए जमीन की कमी नहीं है। रेलवे तालाब को बेहतर स्वरुप प्रदान के लिए कार्य करेगी।
विद्युत मंडल
सहायक अभियंता रेलवे
साहिबगंज