¨सचाई के अभाव में रबी फसल हो रहा बर्बाद
प्रखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों का रवि फसल ¨सचाई के अभाव में नष्ट होने की स्थिति में है। जिससे किसानो की मेहनत को सरकारी लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल राधानगर व आसपास के क्षेत्रों में किसानों का प्रमुख जलस्त्रोत के रूप में गज्जी नाला का पानी है, जो समाप्त हो गया है।वही फरक्का बैराज का पानी बांग्लादेश को जलापूर्ति के लिए दिए जाने से गंगा का जलस्तर नीचे चला गया है। गज्जी नाला को कोदालकाटी व शुक्रवासिनी झील के माध्यम से पानी मिलता है।
उधवा (साहिबगंज) : प्रखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों का रबी फसल ¨सचाई के अभाव में नष्ट होने की स्थिति में है। इससे किसानों की मेहनत को सरकारी लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। राधानगर व आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई का प्रमुख साधन गज्जी नाला है, जिसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। वही फरक्का बराज का पानी बांग्लादेश को जलापूर्ति के लिए दिए जाने से गंगा का जलस्तर नीचे चला गया है। गज्जी नाला को कोदालकाटी व शुक्रवासिनी झील से पानी मिलता है। इस वर्ष दिसंबर माह में ही जलसंकट की स्थिति आ गई है। जबकि इस नाले में फरवरी माह के बाद पानी आना बंद हो जाता था, किंतु इस बार पहले ही पानी की समस्या उत्पन्न हो गया है। इससे राधानगर, बेगमगंज तथा चांदशहर सहित बरहड़वा प्रखंड के कालू बेलडांगा एवं भवानंदपुर मौजा में लगे हजारों एकड़ रवि फसल ¨सचाई के अभाव में नष्ट होने के कगार पर है। इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लहसुन, प्याज, धनिया जैसे व्यावसायिक फसलों की खेती किसान करते है।
कृषक समिति के प्रखंड अध्यक्ष नयन मिश्रा, कृषक मित्र प्रतुल मंडल, शिव शंकर मंडल आदि ने बताया कि गज्जी नाला को कोदालकाटी नाला व शुक्रवासिनी झील के माध्यम से पानी मिलता है। लेकिन फरक्का बराज के कारण गंगा का जलस्तर घटने से गज्जी नाला व कोदालकाटी नाला का भी पानी का स्तर नीचे चला गया है। वही लंबे समय से गज्जी नाला का जीर्णोद्धार नहीं होने से ¨सचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। विगत दो तीन वर्षों से ऐसी स्थिति हर बार आती है और किसानों को ¨सचाई के अभाव में भारी नुकसान उठाना पड़ता है। सूखे के कारण अगहनी फसल को नुकसान हुआ था। कृषक निरंजन मिश्रा, देवेन्द्र मंडल, प्रभाष मंडल, मनोरंजन मंडल, अशोक मंडल, उपेन्द्र मंडल, नरेन्द्र मंडल, समर्थ मंडल, अजय मंडल आदि का कहना है कि गज्जी नाला में प्रतिवर्ष लगभग यही हाल होता है। प्रशासन को जानकारी देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। गज्जी नाला का जीर्णोद्धार कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है। वहीं फरक्का बराज प्रबंधन से वार्ता कर खेती के समय में गंगा का जलस्तर बरकरार रखने का निर्णय लिया जा सकता है। इससे किसानों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।