मुहल्ले का नाम बदलने पर लोगों ने जतायी आपत्ति
चुनावी साल में नगर परिषद द्वारा शहर के करीब आधा दर्जन मुहल्लों का नाम बदलने पर कुछ लोगों ने आपत्ति जतायी है। ऐसे लोगों ने नगर परिषद अध्यक्ष श्रीनिवास यादव से मिलकर उनके मुहल्लों के नामों में छेड़छाड़ न करने का अनुरोध किया है। गौरतलब हो कि नगर परिषद ने पिछले माह बोर्ड की बैठक में कुछ मुहल्लों का नाम बदलने का निर्णय लिया था। उन सभी मुहल्लों में बोर्ड लगाने की तैयारी चल रही थी। इसी बीच इसकी सूचना मिलने पर कुछ लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
साहिबगंज : चुनावी साल में नगर परिषद द्वारा शहर के करीब आधा दर्जन मुहल्लों का नाम बदलने पर कुछ लोगों ने आपत्ति जतायी है। ऐसे लोगों ने नगर परिषद अध्यक्ष श्रीनिवास यादव से मिलकर उनके मुहल्लों के नामों में छेड़छाड़ न करने का अनुरोध किया है। गौरतलब हो कि नगर परिषद ने पिछले माह बोर्ड की बैठक में कुछ मुहल्लों का नाम बदलने का निर्णय लिया था। इन मुहल्लों में बोर्ड लगाने की तैयारी चल रही थी। इसी बीच इसकी सूचना मिलने पर कुछ लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। खासकर हबीबपुर का नाम हरिपुर करने पर लोगों की ज्यादा आपत्ति है। नगर परिषद अध्यक्ष का कहना है कि वार्ड 11, 12, 13 एवं 14 में हबीबपुर एवं हरिपुर दोनों क्षेत्र पड़ता है। लंबे समय से यह इसी नाम से जाना जाता है। लोगों की भावना को देखते हुए इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। बताया जाता है कि नाम परिवर्तन के बाद मुहल्लों के लिए नया बोर्ड तैयार कराया गया लेकिन पेंटर ने उसमें गड़बड़ी कर दी। इस वजह से उन सभी बोर्ड को रिजेक्ट कर दिया गया। ज्ञात हो कि साहिबगंज काफी पुराना शहर है। यहां आटा, तेल, जूट आदि का मिल हुआ करता था। रेलवे का भी बड़ा कारोबार था। लोको शेड हुआ करता था जिसमें हजारों लोग काम करते थे। इसी क्रम में शहर का विकास हुआ। कुलियों के रहने की जगह कुलीपाड़ा के नाम से जानी जाने लगी तो कुएं पर बाघ की आकृति होने की वजह से जेएन राय मोड़ का नाम बघवा कुआं प्रचलित हो गया। बाटा की दुकान की वजह से बंगाली टोला से सटे चौक का नाम बाटा चौक पड़ गया। इसी तरह एक व्यक्ति के नाम पर हबीबपुर नाम पड़ गया। चौधरी उपनाम के लोगों के रहने की जगह चौधरी कॉलोनी हो गई। पुरानी साहिबगंज के जिस इलाके में ओझा उपनाम के लोग रहते हैं वह ओझा टोली हो गई। सबसे पहले गंगा किनारे शहर का विकास हुआ इसलिए वह पुरानी साहिबगंज के नाम से जाना जाने लगा। काफी समय से लोग इन नामों में परिवर्तन की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए नगर परिषद ने यह निर्णय लिया था।