घर का खर्च चलाने के लिए बेचने लगे पापड़
तालझारी (साहिबगंज) कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन ने कई ल
तालझारी (साहिबगंज) : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन ने कई लोगों की जिदगी बदलकर रख दी है। राजमहल प्रखंड के कन्हैयास्थान गांव निवासी राम मंडल के परिवार में पत्नी शकुंतला देवी, बेटा लव कुमार व कुश कुमार तथा बेटी ममता कुमारी है। बड़ा बेटा लव कुमार केरल में मजदूरी करने गया है। लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गया। राम मंडल ने बताया कि तीन वर्ष पहले उन्हें लकवा मार दिया था। अब वे काम करने में सक्षम नहीं है। किसी तरह पत्नी व बच्चों के सहारे जिदगी जीते हैं। लकवा मारने के बाद पत्नी शकुंतला देवी दूसरे के खेतों में मजदूरी कर घर का खर्च चलाती थीं। लेकिन परिवार का बोझ उठाते-उठाते पत्नी भी मानसिक रूप से असंतुलित हो गई है। ऐसी स्थिति में बड़े बेटे लव कुमार ने पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभाला और पढ़ाई-लिखाई छोड़कर मजदूरी करने केरल चला गया। दो साल से केरल में ही मजदूरी कर पैसा घर भेजता है। सरकार की ओर से उन्हें पीएम आवास योजना के तहत मकान तो मिला है लेकिन इस मकान को बनाने में एक लाख रुपये से अधिक का कर्ज हो गया है। कर्ज चुकाने एवं परिवार का भरण-पोषण करने में बेटे का आमदनी छोटी पड़ जाती है। इसलिए वर्षो बाद भी कर्ज खत्म नहीं हुआ है। छह महीने या साल भर मेहनत मजदूरी करते हैं और जो भी कमाई होती है घर भेज देते थे। पिछले दो महीने से लागू लॉकडाउन के कारण न तो वहां काम मिल रहा है और न ही पैसे भेज रहे हैं। ऐसे में परिवार की आíथक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। घर में कोई भूखा न रहे यह सोचकर छोटा बेटा कुश कुमार को थोड़ी जिम्मेदारी दी गई है ताकि घर का चूल्हा जल सके। बहन ममता कुमारी व भाई कुश कुमार दोनों मिलकर घर में पापड़ छानकर सड़कों पर घूम-घूमकर बेचते हैं। इससे जो आमदनी होती है उसी से खर्च चलता है। बड़ा बेटा लव को घर वापस आने के लिए कहते हैं परंतु घर जाकर बेरोजगार होने तथा कर्ज अदायगी की चिता उसे घर आने नहीं दे रहा है। कहते हैं घर जाकर भी क्या करेंगे। यहां किसी-किसी दिन काम मिलता है जिससे रोजी रोटी चल जाती है। लॉकडाउन खत्म होने पर दिन-रात मेहनत मजदूरी करेंगे और कर्ज चुकता कर देंगे। रिश्तेदारों एवं दोस्तों से कर्ज के रूप में ली गई एक-एक रुपये को वे ईमानदारी से अदा करेंगे।
राम मंडल कहते हैं घर में जब खाने की दिक्कत होती है तो विवाहित बेटी मीरा देवी एवं रंगीला देवी भी काफी मदद करते हैं। यदि बेटी न होती तो उन्हें और भी अधिक मुश्किल का सामना करना पड़ता।