राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह: माता पौष्टिक आहार मिलने से कुपोषित नहीं होंगे बच्चे
पाकुड़: जिले के पहाड़ी व ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या गंभीर है। इसके लिए सरकार
पाकुड़: जिले के पहाड़ी व ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या गंभीर है। इसके लिए सरकारी तंत्र के साथ-साथ जागरूकता की कमी भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में नियमित पोषाहार का वितरण नहीं किया जाता है। स्वस्थ्य शरीर के लिए भोजन में पौष्टिक तत्व का होना जरूरी है। शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, वसा, खनिज लवण, विटामिन शरीर को मिल सके। लोगों को पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए ही सुपोषण सप्ताह मनाया जाता है।
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गर्भवती को पौष्टिक आहार मिलेगा तो कुपोषित नहीं होगा बच्चा
कुपोषण को मूल से समाप्त करने के लिए गर्भावस्था में माताओं को पौष्टिक आहार मिलना जरूरी है। यदि पूरे गर्भावस्था के दौरान महिला को पौष्टिक आहार मिलता है तो उसका बच्च कुपोषण का शिकार नहीं होगा। इसके लिए जहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं को आयरन व कैल्सियम की 180 गोली दी जाती है। इसके अलावे आंगनबाड़ी केन्द्रों से गर्भवती को रेडी टू इट पोषाहार दिया जाता है। यदि नियमित भोजन के अलावे इन सभी चीजों का नियमित सेवन किया जाए तो होने वाले बच्चे कुपोषित नहीं होंगे।
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आंगनबाड़ी केन्द्रों की लापरवाही कुपोषण के लिए जिम्मेदार
पाकुड़ प्रखंड के 277 आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषाहार का वितरण दो माह से पूरी तरह से बंद है। जिसके कारण इन केन्द्रों में करीब 28 हजार बच्चे पौष्टिक आहार से वंचित हैं। जबकि दूसरे प्रखंडों में रेडी टू इट नहीं दिया जा रहा है। विदित हो कि आंगनबाड़ी केन्द्रों से बच्चों व गर्भवती महिलाओं को खिचड़ी, अंडा, दलिया और एक माह में चार पैकेट रेडी टू इट दिये जाने का प्रावधान है। यदि सरकार द्वारा निर्धारित पोषाहार महिलाओं व बच्चों को मिले तो कुपोषण की समस्या का बहुत हद तक समाधान हो जाएगा। परंतु जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में नियमित पोषाहार का वितरण नहीं किया जाता है। पहाड़ी व ग्रामीण क्षेत्रो में तो निर्धारित से कम मात्रा में पोषाहार लाभुको को दिया जाता है।
कोट
जुलाई से रेडी टू इट प्राप्त नहीं हुआ है। जिसके कारण इसका वितरण नहीं हो सका है। रेडी टू इट की आपूर्ति होते ही इसका वितरण किया जाएगा।
प्रमोद कुमार, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, पाकुड़
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गर्भवती महिलाओं के पोषण पर यदि शुरू से ध्यान दिया जाए तो कुपोषण का बहुत हद तक समाधान हो जाएगा। सप्ताह में तीन दिन यदि सहजन के साग का सेवन करें तो कुपोषण से बचा जा सकता है। इसमें भरपूर पौष्टिक तत्व होता है।
डॉ. बी मरांडी, सिविल सर्जन, पाकुड़