नहीं होती निगरानी, खुलकर की मनमानी
मनरेगा योजना में प्रखंड कार्यालय द्वारा उचित पर्यवेक्षण के अभाव में उधवा प्रखंड में पंचायत स्तर पर मनरेगा योजना में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है।सिर्फ एक पंचायत मसना में सोशल ऑडिट टीम के सदस्यों द्वारा निष्पक्ष होकर जो खुलासा किया गया है वहां चौंकाने वाली बात सामने आई है।अन्य पंचायत में भी ऐसी ही स्थिति है लेकिन अधिकांश योजनाओं में प्रखंड द्वारा नियुक्त ज्यूरी के द्वारा हल्की फुल्की राशि का जुर्माना लगाया गया है जिससे मुद्दा दब कर रह गया है।लेकिन मसना पंचायत में सोशल ऑडिट टीम के सदस्यों ने बारीकी से रिपोर्ट प्रस्तुत किया है जिसमें कुल 2
संवाद सहयोगी, उधवा (साहिबगंज): मनरेगा योजना में प्रखंड कार्यालय द्वारा उचित पर्यवेक्षण के अभाव में उधवा प्रखंड में पंचायत स्तर पर मनरेगा योजना में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है। मसना पंचायत में सोशल ऑडिट टीम ने जो खुलासा किया है, उससे चौंकाने वाली बात सामने आई है। अन्य पंचायत में भी ऐसी ही स्थिति है लेकिन अधिकांश योजनाओं में प्रखंड द्वारा नियुक्त ज्यूरी द्वारा हल्की फुल्की राशि का जुर्माना लगाया गया है जिससे मुद्दा दबकर रह गया है।
मसना पंचायत में सोशल ऑडिट टीम के सदस्यों ने जो रिपोर्ट दी है उसमें 28 मुद्दे पर 22500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। बीआरपी चंदन कुमार राय ने बताया कि मसना पंचायत में रोजगार सेवक को 9 हजार, पंचायत सेवक को 5 हजार, जेई को 7 हजार तथा मुखिया को 1500 रुपये का जुर्माना किया गया है। साथ ही छह पशुपालन शेड बनाए बिना ही फर्जी निकासी मामले में वेंडर को 70080 रुपये रिकवरी आदेश दिया गया है। वहीं मुखिया, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक तथा जेई सभी को मिलाकर 386732 रुपये रिकवरी का आदेश दिया गया है। पंचायत में सोशल ऑडिट टीम के सदस्यों द्वारा 53 योजनाओं का ऑडिट किया गया है जिसमें से 32 योजना के अभिलेख में ग्रामसभा का प्रति नहीं था, जिससे प्रतीत होता है कि फर्जी तरीके से योजना का क्रियान्वयन किया गया है। किसी भी जॉब कार्ड में क्रियान्वयन एजेंसी का हस्ताक्षर नहीं है अर्थात सभी योजनाओं में मजदूरों को फर्जी तरीके से रोजगार दिया गया है। 25 योजना में बोर्ड लगाए बिना ही 12,500 रुपये का निकासी किया गया है। कुल नौ मस्टर रोल में मजदूरों का हस्ताक्षर नहीं पाया गया, अर्थात फर्जी तरीके से 33,586 रुपये की निकासी की गई। नौ बकरी शेड में अधूरा काम किया गया है तथा पांच शेड में मजदूरों को भुगतान लाभुकों ने स्वयं किया है। छह बकरी शेड का दरबाजा नहीं लगाया गया है तथा आधा दर्जन गाय शेड तो धरातल पर दिखाई नहीं दिया है। मसना पंचायत तो एक उदाहरण है और पंचायत में भी लगभग यही हाल है। ऐसे में प्रखंड कार्यालय द्वारा क्या निरीक्षण किया जाता है सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। पंचायत का एफटीओ होता है प्रखंड में मनरेगा योजना के संचालन में पंचायत की स्वतंत्रता प्रखंड कार्यालय द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। मनरेगा योजना के तहत योजनाओं का संचालन पंचायत सचिवालय द्वारा किया जाना है।इसके लिए पंचायत को कंप्यूटर ऑपरेटर भी दिया गया है लेकिन सभी ऑपरेटर को प्रखंड मुख्यालय में ही पदस्थापन कर लिया गया है। एफटीओ का सारा काम प्रखंड के कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा किया जाता है।
मुखिया का डिजिटल सिगनेचर व कोड ¨लक नहीं रहने का बहाना बनाकर ऑपरेटर रख लेते हैं, जबकि मटेरियल्स एफटीओ में वेण्डर आंखों में पट्टी बांधकर सिर्फ कमीशन के लिए काम करते हैं। अधिकांश वेंडरों की अपनी कोई दुकान नहीं है, लेकिन वे अधिकांश योजनाओं में वाउचर बेचने का काम करते हैं।
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सोशल ऑडिट टीम के जिला समन्वयक पंचम प्रसाद वर्मा ने बताया कि पंचायत में सोशल ऑडिट टीम के सदस्यों द्वारा जो भी अनियमितता उजागर की गई है उसको 24 दिसंबर को प्रखंडस्तरीय जनसुनवाई में रखा जाएगा। जरूरी हुआ तो ऐसे मामलों को जिला तथा राज्यस्तरीय जनसुनवाई में रखा जाएगा।