शहीद एसपी अमरजीत को अपनों ने ही दिया था दगा
पाकुड़ : 2 जुलाई 2013 का दिन याद करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी दिन इतिहास के प
पाकुड़ : 2 जुलाई 2013 का दिन याद करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी दिन इतिहास के पन्नों में एक काला अध्याय जुड़ गया था। जिले में पदस्थापित एसपी अमरजीत बलिहार सहित पांच पुलिसकर्मियों के शहीद होने की खबर मिलते ही पूरा इलाके में मातम छा गया था। पुलिस अनुसंधान में यह बात सामने आई थी कि अपनों ने ही पुलिस अधीक्षक के साथ धोखा किया था। इसके बाद भी दोषियों पर आजतक कार्रवाई नहीं हो सकी है। घटना के दिन एसपी अमरजीत बलिहार दुमका में डीआइजी की बैठक से वापस पाकुड़ लौट रहे थे। इसी बीच काठीकुंड थाना के जमनी मोड़ के समीप एसपी की गाड़ी पहुंचते ही नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फाय¨रग शुरु कर दी। इसमें एसपी सहित अंगरक्षक चंदन थापा, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, मनोज हेम्ब्रम, राजीव कुमार शर्मा, संतोष मंडल शहीद हो गये थे। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की। जिसमें हवलदार बबलू मुर्मू व सिपाही लुबेनियस मरांडी को सरकारी गवाह बनाया गया था। अनुसंधान के क्रम में अपनों द्वारा दगा देने की बात सामने आयी थी। बबलू ने न्यायालय में अपना बयान बदल चुके हैं। जबकि दूसरा गवाह लुबेनियस ने न्यायालय में क्या गवाही दी थी यह आज तक गुप्त रखा गया है। हमले में मामूली चोट के शिकार हुए लुबेनियस ने नक्सलियों पर एक भी गोली नहीं चलायी थी। उलटे पुलिस पदाधिकारियों के समक्ष यह बयान दिया कि नक्सलियों ने अमरजीत बलिहार सहित सभी सुरक्षाकर्मियों के हथियार लूट ले गए थे। वरीय पुलिस पदाधिकारी ने जब कड़ी पूछताछ की तो पता चला कि एसपी का एके-47 व अंगरक्षक चंदन थाना का नाइन एमएम का पिस्तौल लुबेनियस ने अपने घर में एक बक्सा में बंद कर रखा है। लुबेनियस की पत्नी की उपस्थिति में पुलिस ने बक्शा से असलहा जब्त कर न्यायालय को सुपूर्द कर दिया।
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बलिदान का बदला लेंगे पाकुड़ एसपी
पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र प्रसाद वर्णवाल अभी भी उन नक्सलियों से बदला लेने को तैयार है जो तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या में शामिल था। पुलिस अधीक्षक का अगला शिकार गोपीकांदर, सुंदरपहाड़ी इलाके में एक हार्डकोर नक्सली है। हार्डकोर नक्सली भी एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या में शामिल था। हालांकि कई बार हार्डकोर नक्सली को पकड़ने का मौका मिला लेकिन पुलिस से चुक हो जाने के कारण भागने में सफल रहे। पुलिस अधीक्षक कहना है कि घटना में शामिल तमाम नक्सलियों को पकड़कर उसे सजा दिलाने के बाद भी एसपी की कुर्सी का लाज बचेगा।