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दबंगों के भय से यहां जिंदगी खानाबदोश

झारखंड एवं बिहार के बीच फैले विस्तृत दियारा क्षेत्र के लोग तीन दशक से अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। सर्वे पूरा नहीं होने के कारण अपनी ही जमीन से बेदखल लोगों के लिए दोनों राज्यों का प्रशासनिक अमला भी गंभीर नहीं है। जबकि झारखंड गठन के भी 1

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 05:59 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 05:59 PM (IST)
दबंगों के भय से यहां जिंदगी खानाबदोश
दबंगों के भय से यहां जिंदगी खानाबदोश

साहिबगंज : झारखंड एवं बिहार के बीच फैले विस्तृत दियारा क्षेत्र के लोग तीन दशक से अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। सर्वे पूरा नहीं होने के कारण अपनी ही जमीन से बेदखल लोगों के लिए दोनों राज्यों का प्रशासनिक अमला भी गंभीर नहीं है। जबकि झारखंड गठन के भी 18 साल पूरे हो चुके हैं। परंतु दियारा की जमीन का सीमांकन नहीं होने के कारण उनकी जमीन पर दबंगों का कब्जा कायम है। दियारा की गंगबरार व गंग शिकस्त जमीन कर मापी पूरी नहीं होने के कारण दबंगों से परेशान सैकड़ों परिवार खानाबदोश की तरह ¨जदगी काट रहे हैं। साहिबगंज व कटिहार के बीच 14 मौजा की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। हाल ही में जमीन विवाद का मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंच गया है। अब कोर्ट के निर्देश पर साहिबगंज एवं कटिहार के अपर समाहर्ताओं एवं अन्य अधिकारियों ने बैठक की है। इसमें 540 एकड़ जमीन का विवाद मापी कर सुलझाने का निर्णय लिया गया है परंतु जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन को लेकर गंभीरता अबतक नहीं दिख रही है।

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इस मामले को हाई कोर्ट में ले गए मो. मुश्ताक ने बताया कि सीमा पर प्लाट नंबर 2383 व 2384 को लेकर विवाद चल रहा है। इस जमीन पर कब्जे को लेकर अक्सर हिंसक घटनाएं होती रहती है। इस पर ही दल का गठन कर दोनों जिलों की संयुक्त मापी की बात कही गई है।

मनिहारी दियारा क्षेत्र के बैजनाथपुर दियारा के किसान भी फसल की सुरक्षित कटाई को लेकर भटक रहे हैं। किसानों की जमीन मखमलपुर एवं बैजनाथपुर के बीच है। जो दोनों जिलों की सीमा पर है। किसान मो. मुश्ताक ने बताया कि उनकी जमीन दोनों मौजा में है जिसपर मापी के अभाव में हक नहीं मिल रहा है। किसानों ने बताया कि इसके अलावा बाबूपुर एवं बाखरपुर बिहार की जमीन को लेकर भी विवाद है। सीमा विवाद 1985 से चल रहा है। कटिहार जिले के अलावा प्रमंडल पूर्णिया तक के अधिकारियों को हल निकालने के लिए आवेदन देने पर जब मामला नहीं सुलझा तो किसान हाई कोर्ट की शरण में गए। झारखंड हाई कोर्ट ने जब संज्ञान लिया और कार्रवाई करने को लेकर प्रशासन को आदेश दिया तो बैठक की गई है। इन 14 मौजों की जमीन का है विवाद

साहिबगंज के दियारा क्षेत्र के ग्रामीण राम सागर ¨सह, ललन ¨सह, मुनी देवी सहित अन्य ने बताया कि सीमा विवाद के कारण वे अपनी जमीन से वंचित हैं। जमीन के रहते भूमिहीन बनकर रह गए हैं। साहिबगंज के सदर प्रखंड के कटिहार से 14 मौजा के जमीन को लेकर विवाद है। इसमें गंग बरार एवं गंग शिकस्त जमीन की मापी नहीं हो सकी है। कटिहार के रामपुर, रामनगर, हादीनगर, मुरैला, रुप नगर, लालबथानी, किशन प्रसाद, मखमलपुर, हाजीपुर दक्षिणलाइन, टोपरा वगैरह, बलुआ एवं अराजी की जमीन का सीमांकन होना है। हर प्रसाद दियारा निवासी पूर्व मुखिया वैद्यनाथ ¨सह बताते हैं कि 26 जून 1930 को जारी सरकार की अधिसूचना के आधार पर सभी मौजा की जमीन साहिबगंज की है। दरअसल दियारा की जमीन दबंगों के कब्जे में है। जबकि जमीन मालिक कुछ संत जेवियर के समीप तो कुछ कारगिल, शोभनपुर, गदाई से लेकर महाराजपुर तक में झोपड़ियों में ¨जदगी बीताने को मजबूर हो रहे हैं।

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'साहिबगंज एवं कटिहार जिले के सर्वे के आधार पर मापी का कार्य किया जाएगा। सीमांकन के लिए वक्त लिया गया है। मापी के बाद पिलर गाड़ा जाएगा। दोनों सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों के बीच सीमा का हल निकालने को लेकर बैठक में सहमति बनी है। गंग बरार एवं गंग शिकस्त जमीन को लेकर मापी होगी। जिसकी जमीन है उसपर कब्जा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

अनमोल कुमार ¨सह

अपर समाहर्ता, साहिबगंज


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