हाइवा के लिए गंगा में लगेगी प्रशासन की 'डुबकी'
जब वोट को इंजन वाले जहाज से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा था। इंजन के झटके से वोट असंतुलित हो गया था, जिससे उसपर लादा गया आठ में चार हाइवा गंगा में डूब गया था, जबकि चार हाइवा वोट पर ही पलट कर रह गया था। डूबे चारों हाइवा के चालक व खलासी के भी गंगा में डूबने की अशंका जतायी गयी है।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज : बीते 4 नवंबर की सुबह बिना इंजन के मालवाहक वोट से पलटकर स्टोन चिप्स लदे चार हाइवा वाहनों को गंगा से निकालने की जिम्मेदारी अब जिला प्रशासन ने ले ली है। बता दें कि बिहार के मनिहारी ले जाने के लिए साहिबगंज के सकरीगली समधा स्थित गंगा घाट पर एक मालवाहक जहाज पर आठ पत्थर लदे हाइवा रखे गए थे जिसमें चार हाइवा अनियंत्रित होकर नदी में गिर गए थे। तीन दिन तक फेरीघाट संचालकों ने नदी से हाइवा निकालने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बीच हादसे को लेकर प्रशासन ने भी चुप्पी साधी रही। तीन दिन बार बुधवार को मुफस्सिल थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई। अंचल निरीक्षक नित्यानंद प्रसाद के बयान पर दर्ज प्राथमिकी में गंगा में डूबे चार हाइवा व वोट पर पलटे चार हाइवा के चालकों, घाट संचालक प्रकाशचंद्र यादव व गोड्डा के पूर्व विधायक संजय यादव तथा फेरी घाट के प्रबंधक को आरोपी बनाया गया है।
बता दें कि सकरीगली समधा स्थित गंगा तट पर मनिहारी ले जाने के लिए बिन इंजन के मालवाहक वोट पर रखा स्टिोन चिप्स लदे चार हाइवा उस समय गंगा में डूब गए थे जब वोट को इंजन वाले जहाज से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा था। इंजन के झटके से वोट असंतुलित हो गया था, जिससे उसपर लदे आठ में चार हाइवा गंगा में डूब गए थे, जबकि चार हाइवा वोट पर ही पलट कर रह गया था। डूबे चारों हाइवा के चालक व खलासी के भी गंगा में डूबने की आशंका जतायी गयी है।
इधर नदी में डूबे चारों हाइवा को मिलाने की जिम्मेदारी अब जिला प्रशासन ने ली है। एसडीओ अमित प्रकाश ने बताया कि वरीय पदाधिकारियों से बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया है। बताया कि फेरी घाट संचालक गंगा में डूबे हाइवा को निकालने में विफल रहा है। आशंका है कि हाइवा के साथ उसका चालक व खलासी भी डूबा है। ऐसे में निर्णय लिया गया है कि गंगा में डूबे हाइवा को प्रशासन स्वयं निकलवाएगा। ताकि हाइवा के साथ गंगा में गंगा में डूबे उसके चालक व खलासी की सत्यता की भी जांच हो सके और दोषियों पर सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सके।
बता दें कि घटना के बाद राजमहल व कोलकाता से विशेषज्ञ गोताखोरों को भी डूबे हाइवा का पता लगा उसे निकालने में सहयोग करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन दो दिन के प्रयास के बाद इसमें सफलता नहीं मिल सकी था।