गंगा को स्वच्छ बनाने में डॉल्फिन की भूमिका अहम
जागरण संवाददाता साहिबगंज राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस पांच अक्टूबर को मनाने को लेकर दूसरे दिन गुरुवार को भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की ओर से राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज : राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस पांच अक्टूबर को मनाने को लेकर दूसरे दिन गुरुवार को भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की ओर से राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन किया गया। इसमें साहिबगंज महाविद्यालय के एनएसएस के पदाधिकारी, वॉलिटियर, छात्र-छात्राओं, गंगा प्रहरी, डॉल्फिन मित्र ने डॉल्फिन के सुरक्षा संरक्षण एवं संवर्धन पर चर्चा की है।
गंगा में डॉल्फिन के संरक्षण में स्थानीय समुदाय की भूमिका पर मुख्य वक्ता प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर नीलाद्री दासगुप्ता ने कहा कि डॉल्फिन मछली नहीं है यह स्तनधारी परभक्षी जलीय जीव है। भोजन चक्र में डॉल्फिन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। साथ ही पोषक तत्व में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जलवायु परिवर्तन डॉल्फिन और निवास स्थान पर भी चर्चा की गई। यह विलुप्त होता हुआ प्राणी है, इसलिए सरकार शासन व समाज को आगे बढ़ कर इनकी सुरक्षा व संरक्षण करनी चाहिए। गंगा किनारे बसे ग्रामीणों के अलावा गंगा प्रहरी मछुआरे के साथ शासन एवं सरकार तालमेल बैठाकर इन को संरक्षित किया जा सकता है। डॉल्फिन के बचाव कार्य में वन विभाग को सूचना देना अनिवार्य है। साथ ही अवैध शिकार करने वाले पर रोकथाम के लिए वन विभाग की भी निगरानी होनी चाहिए।
डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि डॉल्फिन के बचाव के लिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से होना चाहिए। प्रदूषण जांच एवं प्लास्टिक का उपयोग ना हो गंगा किनारे खास जिला प्रशासन को रखनी चाहिए। जीविकोपार्जन के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है। गंगे डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि करने के लिए उचित वातावरण में प्रजनन करके फिर से उसे संरक्षित क्षेत्र में छोड़ दिया जाए ताकि डॉल्फिन की संख्या भी बड़े गंगे भी साफ निर्मल रहे। इसमें एस ए हुसैन, डॉ. रुचि बडोला, डॉक्टर संगीता अंगोम, डॉ. श्याम किशोर सिंह, डॉक्टर महाकांत झा, प्रोफेसर नीरज बास्की, अजीजुर रहमान, तनवीर आलम, पूजा चौधरी, विद्या दासगुप्ता, राजेश चौधरी, सही गंगापुर हरी, मणिकांत संतोष, एनएसएस के साहिल, कोमल, मानसी, सुनील, शिक्षिका रेणु गुप्ता आदि ने जुड़कर डॉल्फिन की जानकारी प्राप्त की।