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श्रद्धालुओं ने की महागौरी की आराधना

संवाद सहयोगी साहिबगंज चैती दुर्गा पूजा को लेकर लोगों को उत्साह का माहौल है। मंगलवार को

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 07:02 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 07:02 PM (IST)
श्रद्धालुओं ने की महागौरी की आराधना

संवाद सहयोगी, साहिबगंज : चैती दुर्गा पूजा को लेकर लोगों को उत्साह का माहौल है। मंगलवार को श्रद्धालुओं ने पूजा पंडालों में मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की और सूख समृद्धि की मन्नतें मांगी। शहर में चार स्थानों सकरोगढ़ चैती दुर्गा मंदिर, छोटा जिरबावाड़ी, चौक बाजार तथा रसूलपुर दहला में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से लोग डरे-सहमे भी हैं। पूजा समिति के सदस्य भी काफी सतर्कता बरत रहे हैं। सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का भी पालन किया जा रहा है। पूजा समिति के सदस्य मंदिरों व पंडालों में आनेवाले श्रद्धालुओं को दूर ही पूजा अर्चना करने को कह रहे हैं। मास्क लगाने के बाद ही पूजा पंडाल में प्रवेश करने दिया जा रहा है। शारीरिक दूरी का भी पालन करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। चैती नवरात्र करने वाले भक्तों ने भी मंगलवार को अपने अपने घरों में महागौरी की पूजा अर्चना कर मां से मन्नत मांगी।

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कोटालपोखर : बरहड़वा नगर पंचायत सहित प्रखंड ग्रामीण क्षेत्रों में मंगलवार को चैत्र नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा अर्चना भक्ति भाव से की गई। भक्तों ने भक्ति भाव से पूजा पाठ की तथा अपना उपवास तोड़ा। कई भक्तों ने इस मौके पर अपने घरों में कन्याओं की पूजा की तथा उन्हें भोजन कराने के बाद अपना उपवास समाप्त किया।

बरहड़वा विदुधाम स्थित मां विदुवासिनी मंदिर में पुरोहित मनोज झा ने माता गौरी की पूजा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत की। पुरोहित मनोज झा ने बताया कि नवरात्र के आठवें दिन महागौरी की पूजा देवी की मूल भाव को दर्शाता है। भागवत पुराण के अनुसार देवी दुर्गा मॉं के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति अंश और स्वरूप है, लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में देवी महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्य: फलदायनी है. अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। महागौरी की पौराणिक कथा है कि देवी पार्वती को मात्र आठ वर्ष के वाल्य काल में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास हो गया था। तब से पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी। अपनी तपस्या के दौरान माता पार्वती ने केवल कंदमूल, फल और पत्तों का आहार करती थी। बाद में माता ने वायु पीकर तप करना आरंभ कर दिया। इस तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ। इसलिए उनका नाम महागौरी पड़ा।

मंडरो : मिर्जाचौकी के ग्लैक्सी मैदान में स्थित प्रतिमा की भी भक्तिभाव से पूजा अर्चना की गई। यहां किसी प्रकार की कोई भीड़भाड़ नहीं होने दी जा रही है। लोगों को दूर से ही मां का दर्शन करने दिया जा रहा है। आचार्य लक्ष्मण जी महाराज ने बताया कि आज के दिन नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी, मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है और महागौरी हीं शक्ति मानी गई हैं। इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। दुर्गा, शुंभ निशुंभ को पराजित करने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी की प्रार्थना की थी। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है। बुधवार को हवन के बाद पूजा का समापन हो जाएगा। पूजा को सफल बनाने में इंद्रदेव मंडल, अशोक कुमार सिंह, अरुण सिंह , बलराम यादव, रामानंद सिंह, राजेश राम, हीरा यादव, महादेव मंडल, माखन यादव, मुन्ना यादव, संजय यादव, नरेश मंडल, नित्यानंद मंडल, ओमप्रकाश सुमन, टिकु ठाकुर आदि जुटे हुए हैं।

बरहड़वा प्रखंड क्षेत्र में भक्ति भाव से हुई मां काली की पूजा

कोटालपोखर (साहिबगंज) : बरहड़वा नगर पंचायत क्षेत्र सहित प्रखंड के कोटालपोखर, विजयपुर, मयूरकोला, बड़ा सोनाकड़, भदयटांड, फुलचुवां, पीपलजोड़ी, जीवनपुर, असिला, पथरिया, ढटापाडा, हस्तिपाड़ा, महाराजपुर, भीमपाड़ा, मोगलपाड़ा, रिसौड़, विशनपुर सहित अन्य दर्जनों गांव में काली मंदिर और निजी घरों में मंगलवार की रात चैती काली की पूजा की गई। पुरोहितों ने भक्तिभाव से पूरा करायी।


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