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ओवरब्रिज की तो बात छोड़िए फाटक भी नहीं

तेलो पंचायत का मारीडीह गांव। प्रखंड मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव में 60 घर हैं जहां करीब 300 की आबादी रहती है। लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए एमजीआर लाइन को पार करना पड़ता है। यहां ओवरब्रिज की तो बात छोड़ दीजिए रेलवे फाटक भी नहीं है। रेलवे फाटक से गांव तक जानेवाली सड़क की स्थिति दयनपीय है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 07:01 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 07:01 PM (IST)
ओवरब्रिज की तो बात छोड़िए फाटक भी नहीं

--तेलो पंचायत के मारीडीह गांव जाने के लिए पार करना पड़ता रेलवे लाइन संस, बोरियो (साहिबगंज) : तेलो पंचायत का मारीडीह गांव। प्रखंड मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव में 60 घर हैं। जहां करीब 300 की आबादी रहती है। लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए एमजीआर लाइन को पार करना पड़ता है। यहां ओवरब्रिज की तो बात छोड़ दीजिए, रेलवे फाटक भी नहीं है। रेलवे फाटक से गांव तक जानेवाली सड़क की स्थिति दयनीय है। हालांकि गांव में पीसीसी सड़क नजर आती है। मंगलवार की सुबह गांव में बाबूराम किस्कू, अर्जुन सोरेन, तिलकय मुर्मू, रामजीत मुर्मू मिलते हैं। तिलकय मुर्मू बताते हैं कि मारीडीह गांव के रमेश के घर से पोखर तक सड़क खराब है। गांव में चापाकल तो पांच है, लेकिन एक चापाकल खराब है। बाथटोला के पास एनटीपीसी द्वारा कोयला ढुलाई के तौर पर रेलवे फाटक नहीं रहने के कारण तीन साल पहले चांदा मुर्मू का काड़ा ट्रेन की चपेट में आकर कट गया था। रेलवे गेट होना अतिआवश्यक है। गांव में बिजली तो है लेकिन एलइडी पर्याप्त संख्या में नहीं लगायी गई है। गांव में पीसीसी सड़क पर पानी बहता है। नाले का जरूरत है। बाबूराम किस्कू ने कहा कि नेता जी बीते चुनाव के पहले चुनाव प्रचार में आए थे। इसके बाद अब तक नहीं आए। चुनाव के पहले आते हैं पर जीतने के बाद गायब हो जाते हैं। वोट तो हम लोग देंगे लेकिन अब तक गांव में विकास नहीं हुआ है। जो विकास कार्य करेगा वोट उसी को देंगे। सभी एक जैसे है। जीतने के बाद नजर नहीं आते। गांव में इक्का दुक्का लोग नजर आते हैं। पूछने पर बताया कि लोग धान की कटाई कर रहे हैं। इसके बाद नहा धोकर मंगलवार को हाट बोरियो बाजार जाएंगे। बाबूराम किस्कू कहते हैं कि हमारी उम्र 60 के करीब है लेकिन अब तक वृद्धापेंशन नहीं मिलती है। पानी लेने पहुंचे मरांग मोय हांसदा कहती है कि मुझे भी वृद्धापेंशन नहीं मिलती है। गांव के दिव्यांग युवक रामजीत मुर्मू ने कहा कि दिव्यांग पेंशन तो मिलती है लेकिन अब तक आवास नहीं मिला है। गांव में और विकास की जरूरत है। गांव में पर्याप्त शौचालय एवं पानी टंकी की जरूरत है।

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